'मैं अकेला सीएम हूं, जिसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री होने का अनुभव है', उमर ने क्यों कही ये बात
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वे अकेले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्हें राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दोनों का मुख्यमंत्री होने का अनुभव है। उन्होंने यह बात जम्मू-कश्मीर के बदलते राजनीतिक परिदृश्य के संदर्भ में कही। उमर ने 2009 से 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और बाद में केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह अनुभव उन्हें जम्मू-कश्मीर की विशेष परिस्थितियों को समझने में मदद करता है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को एक बार फिर जम्मू कश्मीर के लिए राज्य के दर्जे की बहाली की मांग को दोहराते हुए कहा कि पूरे देश में मैं एकमात्र अकेला मुख्यमंत्री हूं,जिसे एक पूर्ण राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री होने का अनुभव है।
अगर मुझे कानूनी जानकार इजाजत देते है तो मैं सर्वाेच्च न्यायालय जाकर लिखित में बताने में समर्थ हूं कि एक केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के कारण आपको किन -किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने यह बातें आज यहां पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर मेरे कानूनी सलाहकार कहेंगे कि इससे जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा जल्द दिलाने में मदद मिलेगी, सर्वाेच्च न्यायालय में लाभ होगा तो मुझे जम्मू कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाली की सर्वाेच्च न्यायालय में दायर याचिका में शामिल होने या एक पक्षकार बनने में काेई हिचक नहीं होगी।
लेकिन यह निर्णय कानूनी सलाहकारों की राय से ही लिया जाएगा। उन्होंने राज्य के दर्जे की बहाली के लिए नेशनल कान्फ्रेंस के जारी हस्ताक्षर अभियान का उल्लेख करते हुए कहा हम इस पर आगे की कार्रवाई के लिए तैयार हैं।
उपचुनावों के बाद होगा मंत्रिमंडल में विस्तार
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्यसभा चुनाव और बडगाम व नगरोटा विधानसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावना का संकेत देते हुए कहा कि यह कहना सही नहीं होगा कि प्रत्येक क्षेत्र को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व से ही संबधित इलाके का विकास तेज होगा।
उन्होंने कहा कि मैं अगर मुख्यमंत्री हूं या जावेद राणा मंत्री हैं तो इसका यह मतलब नहीं कि मैं सिर्फ गांदरबल का मुख्यमंत्री हो और केबिनेट मंत्री सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्र के मंत्री। जब हम मंत्री या मुख्यमंत्री हैं तो पूरे जम्मू कश्मीर हैं। हां, मंत्रियों की संख्या कम होने से कुछेक दिक्कतें हो सकती हैं, लेकिन हम काम प्रभावी तरीके से कररहे हैं।
मंत्रिमंडल में विस्तार की संभावना है और राज्यसभा चुनाव हैं, विधानसभा का सत्र और उसके बाद बडगाम-नगरोटा के उपचुनाव होने जा रहे हैं। उसके बाद ही विस्तार के बारे में कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
हमें नहीं मालूम क्यों रोका गया महाधिवक्ता को
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रदेश में महाधिवक्ता की अनुपस्थिति पर कहा कि तकनीकी रूप से देखें तो हमारे पास महाधिवक्ता है। जब हमने सत्ता संभाली तो तत्कालीन महाधिवक्ता को इस्तीफे से मना करतेहुए अपना काम जारी रखने को कहा। हमने उन्हें ही रखा,लेकिन उन्हें क्यों अदालत में पेश होने से रोका गया, यह वही जानें जिन्होंने उन्हें मना किया। उनका इशारा राजभवन की तरफ था,लेकिन उमर अब्दुल्ला ने राजभवन का नाम नहीं लिया।
उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता ही किसी प्रदेश का विधिक चेहरा होता है। हमने नियुक्त किया है और उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि हमने सरकार के कामकाज के नियमों को लेकर संबधित फाइल बीते मार्च में ही राजभवन में भेजी थी, अब वहां क्या रुकावट है? नियमों के मुताबिक, महाधिवक्ता की नियुक्ति निर्वाचित सरकार के अधिकार मे हैं।
महिलाओं के लिए निश्शुल्स बस सेवा का बढ़ेगा दायरा
मुख्यमंत्री उमर अबदुलला ने महिलाओं की बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए , महिलाओं लिए एसआरटी और ई-बस सेवा व अन्य सरकाीर बस सेवाओं का दायरा बढ़ाने का एलान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम महिलाओं के लिए सार्वजनिक परिवहन को और अधिक सुलभ और सुरक्षित बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुफ़्त एसआरटीसी और सरकारी बसों की पहुंच का विस्तार हमारे समाज की महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम है। अभी यह कुछेक क्षेत्रों तक सीमित है,हम पूरे प्रदेश में इन बसों का दायरा बढ़ाएगे।
राज्य का दर्जा मिलते ही पीएसए हटा देंगे
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जब हमने अपने घोषणापत्र में जन सुरक्षा अधिनियम पीएसए को हटाने का वादा किया था, तब मैंने स्पष्ट कर दिया था कि कई वादे जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही पूरे किए जा सकते हैं। यह सच है कि कानून-व्यवस्था फिलहाल उपराज्यपाल के अधिकार क्षेत्र में आती है। हमें उम्मीद थी कि चुनाव के बाद जल्द ही हमारा राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगाऔर हम इस कानून को हटा देंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। और जिस दिन हमारा पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होगा, हम विधानसभा सत्र का इंतजार किए बिना एक अध्यादेश के जरिए इस कानून को हटा देंगे।
बडगाम के लिए उम्मीदवार रविवार को होगा घोषित
बडगाम उपचुनाव पर, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि नेशनल कान्फ्रेंस अपने उम्मीदवार के चयन के अंतिम चरण में है। पार्टी के भीतर उम्मीदवार के नाम पर चर्चा चल रही है और अगले 24 से 48 घंटों में हम अपने उम्मीदवार की घोषणा कर देंगे, जो जल्द ही नामांकन पत्र दाखिल करेगा। नगरोटा सीट पर अगर कांग्रेस चुनाव लड़ना चाहती है, तो हम इसे उनके लिए छोड़ने को तैयार हैं। हमारा एक गठबंधन है और हम जम्मू में अपनी साझेदारी को मजबूत करना चाहते हैं। हम न केवल एक कदम पीछे हटेंगे, बल्कि उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय रूप से काम करेंगे।
केंद्र सरकार राज्य का दर्जा देने का अपना वादा पूरा करे
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहाकि अब समय आ गया है कि केंद्र सरकार अपनी प्रतिबद्धता पूरी करे। राज्य का दर्जा तीन चरणों वाली प्रक्रिया के तहत देने का वादा किया गया था—परिसीमन, चुनाव और बहाली। दो चरण पूरे हो चुके हैं और तीसरा चरण पूरा होना बाकी है। राज्य के दर्जे को आतंकी हिंसा या कानून-व्यवस्था से जोड़ना अन्यायपूर्ण है। पहलगाम या अन्य आतंकी घटनाओं में जम्मू कश्मीर की जनता की कोई भूमिका नहंीं थी। जिन्होंने पहलगाम में लोगों को कत्ल किया था,वह मारे जा चुके हैं औरउनमें एक भी जम्मू कश्मीर का नहीं है। उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने व निर्वाचित सरकार को सशक्त बनाने में देरी 'लोगों के साथ अन्याय' है और संसद तथा सर्वोच्च न्यायालय में दिए गए आश्वासनों के विपरीत है।
स्मार्ट मीटर जरुरी
स्मार्ट मीटरों पर आलोचना का जवाब देते हुए, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने के उनके सरकार के वादे के लिए ये ज़रूरी हैं। उन्होंने कहा कि यह गलत धारणा है कि स्मार्ट मीटर बिल बढ़ाते हैं। वास्तव में, कई इलाकों में बिल कम हुए हैं। मीटर के बिना, हम उन 200 यूनिटों को नहीं माप सकते जिन पर हम सब्सिडी देने की योजना बना रहे हैं। हमारा लक्ष्य कम लागत पर बेहतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना है। राशन कोटा बढ़ाने, निश्शुल्कगैस सिलींडर प्रदान करने में कुछ तकनीकी दिक्कते हैं,उनहें दूर किया जा रहा है।
हम अपने वादों से नहीं हटे
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा हम अपने चुनावी वादों से विशेषकर जो संवैधानिक व राजनीतिक मामलों से जुड़े हैं,पीछे नहीं हटे हैं। हम पर राजनीतिक मुदृदों से पीछे हटने का आरोप लगाना गलत है। हमारे पहले विधानसभा प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर के लिए संवैधानिक गारंटी की बहाली की मांग की गई थी, और राज्य के दर्जे पर पहला कैबिनेट प्रस्ताव व्यक्तिगत रूप से प्रधानमंत्री को सौंपा गया था।
राज्य के दर्जे के लिए भाजपा से हाथ नहीं मिलाऊंगा
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य का दर्जा बहाल करना जम्मू-कश्मीर में भाजपा की सत्ता में वापसी पर निर्भर है, उमर ने कहा, 'अगर ऐसा है, तो उन्हें खुलकर कहना चाहिए। भाजपा ने कभी यह दावा नहीं किया कि राज्य का दर्जा उनके यहाँ शासन करने पर निर्भर करता है। जहां तक हमारा सवाल है, उनके साथ दोबारा गठजोड़ करने का कोई सवाल ही नहीं है। 2015 के पीडीपी-भाजपा गठबंधन ने इस क्षेत्र को तबाह कर दिया था, और मैं वह गलती नहीं दोहराऊँगा।हम पर भाजपा के साथ हाथ मिलाने, केंद्र केे आगे घुटने टेकने का आरोप लगाने वालों को याद रखना चाहिए कि कैसे उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन करके लोगों के विश्वास को तोड़ा था। हम भाजपा के खिलाफ हैं।
पर्यटन को पटरी पर लाने के प्रयास जारी
पर्यटन पर चर्चा करते हुए, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद पर्यटकों के आगमन में गिरावट आयी है। स्थिति से निपटने के लिए हम देश विदेश में रोड शो,पर्यटन मेले आयोजित कररहेहैं। हमारा एक प्रतिनिधिमंडल पहले ही सिंगापुर जा चुका है, और अन्य प्रतिनिधिमंडल लंदन और बर्लिन जाएँगे। घरेलू स्तर पर, हमारे मंत्री जम्मू-कश्मीर को एक सुरक्षित गंतव्य के रूप में बढ़ावा दे रहे हैं। हालांकि, हमें दूधपथरी, द्रंग और गुलमर्ग के कुछ हिस्सों जैसे प्रतिबंधित क्षेत्रों को फिर से खोलने के लिए केंद्र की मदद की ज़रूरत है। केंद्र सरकार को इस दिशा में काम करना चाहिए।
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