Nowgam Bomb Blast: 'मोहल्ले में चीखें, थाने के बाहर बिखरे थे हाथ-पैर', लोगों ने बयां की दर्दनाक हादसे की तस्वीर
श्रीनगर के नौगाम में हुए बम धमाके से इलाके में दहशत फैल गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, धमाका इतना शक्तिशाली था कि घरों की खिड़कियां टूट गईं और हर तरफ चीख-पुकार मच गई। थाने के बाहर क्षत-विक्षत शव बिखरे थे, जिससे लोगों में डर का माहौल है। पुलिस घटना की जांच कर रही है।

पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और इलाके को सील कर दिया है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। नौगाम पुलिस स्टेशन में शुक्रवार की रात को विस्फोट से फैली आग की लौ ने कई घरों में हमेशा के लिए अंधेरा कर दिया। धमाका इतना जबरदस्त था किलगा कि जैसे भीषण भूकंप आया हो। आग के साथ धुएं के गुब्बार और मांस के लोथड़ों के जलने की बू फैल गई।
थाने से लगभग 500 मीटर दूर रहने वाले वाहिद जिलानी ने बम धमाके की जानकारी देते हुए कहा कि सब सहम गए और देखा कि थाना जल रहा है और मोहल्ले से बहुत से लोग तुरंत थाने की तरफ भागे। वहां किसी का हाथ बिखरा पड़ा था तो किसी के पांव। मोहम्मद शफी पर्रे भी वहीं पड़ा था, लेकिन उसके दोनों पांव उड़ चुके थे, शरीर भी नहीं पहचाना जा रहा था। वह उम्र में मुझसे छोटा था।
सुबूतों के लिए बैग सिलाई के लिए बुलाया था
मोहम्मद शफी पर्रे के पुत्र ने कहा कि मेरे पिता दर्जी हैं और मोहल्ला मस्जिद कमेटी के प्रधान भी हैं। उन्हें पुलिस ने कुछ सुबूतों के लिए बैग सिलाई के लिए बुलाया था वह बीते तीन चार चार दिन से थाने में ज रहे थे। वह शुक्रवार को जुम्मे की नमाज अदा करने के बाद थाने में गए थे और जब रात को धमाका हुआ तो हम सभी घबरा गए।
हम थाने पहुंचे, लेकिन वह हमें नहीं मिले। हम रात दो बजे तक उके घटना के बाद उनके बेटे ने कहा था कि मेरी मां चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि मैंने अभी तक अपने पिता को नहीं देखा है। उन्होंने आगे कहा कि मैंने रात के 2:00 बजे तक अपने पिता को ढूंढ़ा। लेकिन वह हमे नहीं मिले। हमें आज सुबह उनके शव की पहचान के लिए बुलाया गया। मेरी मां रातभर से बिलख रही है।
अकेला कमाने वाला था दर्जी मोहम्मद शफी पर्रे
उसने कहा कि कल शाम को जब वह घर से थाने के लिए निकले तो हमें नहीं मालूम था कि वह हमेशा के लिए हमसे बिछुड़ जाएंगे। हम तीन भाई बहन हैं। पर्रे की पत्नी को सांत्वना देने की कोशिश कर रही उसकी बहन ने कहा कि वह अकेला कमाने वाला था। अब उसके बीबी बच्चों का क्या होगा? उन्हें कौन सहारा देगा?
दिवंगत दर्जी के घर में सांत्वना जताने आए शब्बीर अहमद ने कहा कि मोहम्मद शफी बहुत नेकदिल था। वह अपने घर में अकेला कमाने वाला था।उसक मौत से यहां सभी दुखी हैं। मैने उसे गत दोपहर एक बजे के करीब मस्जिद में देखा था। जुम्मे की नमाज क ेसमय वह चंदा भी जमा कर रहा था। वह वानबल चौक में उसकी दुकान है।
परिवार के किसी एक एदस्य को नौकरी दी जाए
हमारी सरकार से अपील है कि उसके परिवार के किसी एक एदस्य को नौकरी दी जाए ताकि यह परिवार भूखा न मरे,बेसहारा न रहे। आसिफ सज्जाद नामक एक अन्य युवक ने कहा कि जोरदार धमाका हुआ, हमारा पूरा मकान हिल गया, खिड़कियों के शीशे चटख गए।
सभी घबराकर बाहर निकले तो हमने देखा के थाने की तरफ से आग की लपटें निकल रही हैं। हमे लगा कि शायद को हमला हुआ है। मोहल्ले से कई लोग थाने की तरफ भागे ताकि वहां जाकर मदद की जा सके। वहां हमनें सड़क पर अधजले मानवअंग देखे पर्रे के दोनों पैर उड़ चुके थे। उसके घर में अब कमाने वाला काोई नहीं है।

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