Jammu Kashmir : तीन दशक तक अलगाववादी गतिविधियों का केंद्र रहे गिलानी का मकान अटैच करने की तैयारी
जमात का दावा है कि यह मकान 1995 में खरीदा गया था। तब गिलानी के नाम पर पंजीकृत कराया गया था जबकि गिलानी और उनके परिजन इससे इन्कार करते रहे हैं। यह मकान करीब तीन दशक तक अलगाववादी गतिविधियों और कश्मीर बनेगा पाकिस्तान के नारे का केंद्र बना रहा है।

श्रीनगर, नवीन नवाज : तीन दशक तक अलगाववादी गतिविधियों का केंद्र रहे श्रीनगर के हैदरपोरा में स्थित कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के मकान को अटैच किए जाने की तैयारी है। आतंकियों और अलगाववादियों के पारिस्थितिक तंत्र पर लगातार चोट कर रही प्रदेश जांच एजेंसी (एसआइए) ने अहम सुबूत जुटाएं हैं कि इस मकान को आतंकी फंडिंग के जरिए खरीदा गया था। कट्टरपंथी सैयद अली शाह का गत वर्ष निधन हो गया था। उस मकान में फिलहाल उनकी पत्नी व कुछ रिश्तेदार रहते हैं। गिलानी के दोनों पुत्र नसीम और नईम श्रीनगर में अलग-अलग मकानों में रहते हैं। मकान के एक हिस्से में गिलानी ने तहरीक-ए-हुर्रियत का कार्यालय बनाया है।
इस मकान पर जमात-ए-इस्लामी भी हक जताती रही है। जमात का दावा है कि यह मकान 1995 में उसने खरीदा था और गिलानी के नाम पर पंजीकृत कराया गया था। गिलानी और उनके परिजन इससे इन्कार करते रहे हैं। एसआइए से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कट्टरपंथी गिलानी का यह मकान जम्मू कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान और अन्य मुल्कों से आए पैसे से खरीदा गया है। जमात भी देश-विदेश से चंदा जमा कर उसका इस्तेमाल कश्मीर में आतंकी और अलगाववादी गतिविधियों में करती रही है और प्रतिबंध के बावजूद आज भी उसका कैडर यह काम कर रहा है।
2002 में गिलानी के घर से करोड़ों की संपत्ति हुई थी जब्त
एसआइए के अधिककारी ने बताया कि गिलानी ने खुद कई बार कहा था कि उनका अपना आय का कोई स्रोत नहीं हैं और वह पूर्व विधायक के तौर पर मिलने वाली पेंशन से गुजारा करते हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 में नई दिल्ली में हुर्रियत कांफ्रेंस का नेता इम्तियाज बजाज हवाला के आरोप में पकड़ा गया था। वह स्वयं को पत्रकार भी बताता रहा है। उसके पास से बड़ी धनराशि प्राप्त हुई थी। उसने बताया था कि वह यह पैसा गिलानी को पहुंचाने जा रहा था। जून 2002 में आयकर विभाग ने भी गिलानी के आवास पर छापा डाला था। उस समय उनके मकान से 10 हजार अमेरिकी डालर और 10.2 लाख रुपये की नकदी के अलावा लाखों के आभूषणों की खरीद के बिल और हीरे जड़ित घड़ी बरामद हुई थी। उन्हें यह घड़ी पाकिस्तान सरकार ने कथित तौर पर उपहार में भेंट की थी। इसके अलावा कुछ बेनामी संपत्तियों और वाहनों की खरीद के दस्तावेज भी मिले थे।
आमदनी के नाम पर सिर्फ पेंशन और महीने का खर्च डेढ़ लाख
कट्टरपंथी नेता ने उस समय आयकर रिटर्न में अपनी मासिक आय करीब 17 हजार रुपये बताई थी। इसमें 7100 सौ रुपये पूर्व विधायक के तौर पर प्राप्त होने वाली पेंशन और दस हजार रुपये कृषि क्षेत्र से होनी वाली आय थी। आयकर विभाग द्वारा उस समय किए गए आकलन के आधार पर उनके घर का मासिक खर्च लगभग डेढ़ लाख रुपये मासिक था और घर में करीब 15 नौकर थे। उनकी पत्नी ने खुद बताया कि उसे हर माह 25 हजार रुपये खर्च के लिए मिलते हैं। गिलानी के खिलाफ विदेशी मुद्रा अधिनियम के तहत भी मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद आयकर विभाग ने जब उन्हें 1.73 करोड़ रुपये बतौर कर चुकाने के लिए नोटिस भेजा था।
2014 में अपनी संपत्ति ट्रस्ट के नाम करने का किया था एलान
गिलानी ने कहा था कि उनके पास पेंशन के सिवाय आय का कोई दूसरा साधन नहीं है। करीब पांच वर्ष पूर्व प्रवर्तन निदेशालय ने भी उन्हें नोटिस भेजा था और मार्च 2019 में उन पर 14.40 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई गई थी। एसआइए के अधिककारी ने बताया कि वर्ष 2014 में जब गिलानी ने अपनी संपत्ति को लेकर पैदा हुए विवाद के बाद ट्रस्ट का गठन कर सारी संपत्ति उसके नाम करने का एलान किया तो उस समय जमात-ए-इस्लामी ने उन्हें नोटिस भेजा था। जमात ने दावा किया था कि इस मकान को जमात ने ही खरीदा है।
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