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    नहीं सर, अभी आराम का वक्त नहीं है! पदोन्नित के समय कर्नल मनप्रीत सिंह का यह था जवाब; पढ़ें उनके जीवन का सफर

    By Jagran NewsEdited By: Himani Sharma
    Updated: Thu, 14 Sep 2023 07:15 PM (IST)

    Anantnag Encounter जम्‍मू कश्‍मीर के अनंतनाग में आतंकी मुठभेड़ में बलिदान हुए कर्नल मनप्रीत सिंह बहुत ही बहादुर ऑफिसर थे। उन्‍होंने अपने पदोन्नित के समय कहा था कि फौजी हूं ऑपरेशनल एरिया से बाहर जाकर क्या करुंगा। सिर्फ आतंकियों से लड़ना ही वह अपना मिशन नहीं मानते थे बल्कि स्थानीय युवाओं को नशे की लत से बचाना और उनकी ऊर्जा को सकारात्मक गतिविधियों में लगाना अपना प्रथम कर्तव्य मानते थे।

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    पदोन्नित के समय कर्नल मनप्रीत सिंह का यह था जवाब

    श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। नहीं सर, अभी आराम का वक्त नहीं है। फौजी हूं, ऑपरेशनल एरिया से बाहर जाकर क्या करुंगा। यह जवाब दिया था 2021 में कर्नल के पद पर पदोन्नित के समय मनप्रीत सिंह ने। वह सेना की 19 आरआर में वह बतौर लेफ्टिनेंट कर्नल पहले भी अपनी सेवाएं दे चुके थे। उन्होंने कहा कि मैं दक्षिण कश्मीर में अपने पुराने साथियों संग ही रहना बेहतर समझूंगा और उन्होंने अपनी इच्छा से कश्मीर में आतंकियों का गढ़ कहलाने वाले दक्षिण कश्मीर में पोस्टिंग प्राप्त की।

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    सिर्फ आतंकियों से लड़ना ही वह अपना मिशन नहीं मानते थे, बल्कि स्थानीय युवाओं को नशे की लत से बचाना और उनकी ऊर्जा को सकारात्मक गतिविधियों में लगाना अपना प्रथम कर्तव्य मानते थे। वह कहते थे कि ड्रग्स की बीमारी आतंकी हिंसा से भी बड़ा खतरा है।

    सेना की 19 आरआ दक्षिण कश्मीर में जिला अनंतनाग के अंतर्गत, अच्छाबल, कोकरनाग, वेरीनाग के अलावा साथ सटी पहाड़ों पर सुरक्षा का बनाए रखने की जिम्मेदारी संभालती है। वर्ष 2016 में 19आरआर के जवानों ने ही हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्वाय बुरहान वानी को उसके साथी संग बमडूरा में मार गिराया था।

    आतंकरोधी अभियानों में वीरता मेडल मिला था

    कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धौंचक और जम्मू कश्मीर पुलिस के डीएसपी मुजम्मिल हुमायूं बट बुधवार को कोकरनाग के गडोल इलाके में लश्कर-ए-तैयबा का हिट स्क्वाड कहे जाने वाले टीआरएफ के आतंकियों के साथ मुठभेड़ में बलिदानी हुए हैं।

    छह वर्षीय पुत्र और दो वर्षीय बेटी के पिता कर्नल मनप्रीत को 19 आरआर में टूआईसी जिसे सैकेंड इन कमांड भी कहते हैं, के पद पर रहते हुए सेना मेडल मिला था। उन्हें यह मेडल आतंकरोधी अभियानों में वीरता और नेतृत्व कार्यकुशलता के आधार पर प्रदान किया गया है। उन्होंने बीते वर्ष वेरीनाग के ऊपरी इलाके में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी। इस अभियान में उनके साथ मेजर आशीष धौंचक भी शामिल थे।

    इसी वर्ष मेजर धौंचक को मिला सेना मेडल

    मेजर धौंचक को इसी वर्ष सेना मेडल मिला है। इसे महज संयोग कहा जाए या कुछ और, मेजर आशीष भी कर्नल मनप्रीत सिंह संग बलिदानी हुए हैं। दोनों अक्सर एक साथ ही आतंकरोधी अभियानों में नजर आते थे। सेना की विक्टर फोर्स के एक वरिष्ठ सैन्याधिकारी ने कहा कि कर्नल मनप्रीत सिंह ने अगर 2021 में कश्मीर में अपनी चायस पोस्टिंग नहीं ली होती तो वह आज हमारे बीच होते,लेकिन वह यहां 19 आरआर में अपने साथियों संग ही रहना चाहते थे।

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    उन्हें पीस पोस्टिंग मिल रही थी जिसके वह अधिकारी थे,लेकिन वह कहते थे कि फौजी अगर ज्यादा देर तक आरामदायक जगह बैठेगा तो उसे जंग लग सकता है। वह हमेशा हर मार्च पर आगे रहते थे,जब उनसे इस बारे में बातचीत की जाती तो जवाब मिलता मैं चाहता हूं कि जब तक मैं हू, मेरी वाहिनी का हर जवान और अधिकारी सुरक्षित रहे।

    कर्नल मनप्रीत सिंह सही मायनों में फौजी थे- सरपंच फारुक अहमद मीर

    सादीवारा इलाके के सरपंच फारुक अहमद मीर ने कहा कि कर्नल मनप्रीत सिंह सही मायनों में फौजी थे। वह कहते थे कि आतंकवाद को समाप्त करने के लिए उसके कारणों को नष्ट करना जरुरी है। हमें अपने युवाओं को समझाना है, उनकी ऊर्जा को सकारात्मक गतिविधियों में लगाना है। उन्हें गुमराह होने से बचाना है।

    इसके लिए वह न सिर्फ स्थानीय लोगों के साथ समय समय पर बैठकें करते बल्कि युवाओं के साथ भी संवाद करते। उन्होंने कुछ समय पहले चिनार क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया। उन्होंने लड़के-लड़कियों के लिए क्रिकेट और वालीवाल प्रतियोगिताएं आयोजित की।

    कुछ दिन पहले एक खेल महोत्सव किया था आयोजित

    गडोल जहां मुठभेड़ हो रही है, वहां भी उन्होंने कुछ दिन पहले एक खेल महोत्सव आयोजित किया था। लारकीपोरा में उनका बटालियन मुख्यालय है, वहां भी वह अक्सर खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करते। उन्होंने अग्निवीर बनने के इच्छ़ुक युवाओं के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किए। रूबिया सईद नामक एक स्थानीय महिला क्रिकेटर ने कहा कि कर्नल मनप्रीत हमेशा हम स्थानीय खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाते। वह खेलों में कैरियर बनाने के इच्छ़ुक युवाओं की हरसंभव मदद का प्रयास करते।

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    युवाओं को नशाखोरी से बचाने में जुटे थे

    राशिद वानी नामक एक स्थानी युवक ने कहा कि वह इलाके में युवाओं को नशाखोरी से बचाने में जुटे हुए थे। मैंने एक बार मजाक में कहा कि जनाब फौज का काम आतंकियों से लड़ना है तो उन्होंने कहा कि यह ड्रग्स से बड़ा आतंकी कोई नहीं है। इससे हम अपने बच्चों केा जितना बचाएंगे,उतना ही बेहतर है। अगर हमें अपने समाज को बचाना है तो ड्रग्स की बड़ती बीमारी से भी बचना होगा। उन्होंने यहां कई ड्रग्स पीड़ितों को उपचार के लिए नशा उन्मूलन व पुनर्वास केंद्रों में भेजा है।

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