कश्मीर में 6 जगहों पर NIA ने मारे छापे, शिवखोड़ी और गगनगीर आतंकी हमले से जुड़ा है कनेक्शन
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मंगलवार को आतंकवादियों द्वारा गैर स्थानीय लोगों की हत्या के सिलसिले में कश्मीर में श्रीनगर बडगाम और सोपोर में कुल 6 जगहों पर छापे मारे हैं। एनआईए सूत्रों ने बताया कि ये छापे जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सहायता से मारे गए हैं जिसके तार शिवखोड़ी और गगनगीर आतंकी हमले से जुड़े हुए हैं।

एजेंसी, श्रीनगर। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को आतंकवादियों द्वारा गैर स्थानीय लोगों की हत्या के सिलसिले में कश्मीर में कई जगहों पर छापे मारे। एनआईए सूत्रों ने बताया कि ये छापे जम्मू-कश्मीर पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की सहायता से मारे जा रहे हैं।
एनआईए ने 6 जगहों पर मारे छापे
सूत्रों ने बताया कि एनआईए के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) संदीप चौधरी की निगरानी में श्रीनगर, बडगाम और सोपोर इलाकों में छह जगहों पर छापे मारे जा रहे हैं। एनआईए जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जुड़े कई अपराधों की जांच कर रही है, जिसमें 9 जून, 2024 को जम्मू संभाग के रियासी जिले में हिंदू तीर्थयात्रियों की हत्या और गांदरबल जिले के गगनगीर में हुई हत्या शामिल है।
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शिव खोड़ी से आ रही बस पर आतंकियों ने की थी हमला
आतंकवादियों ने तीर्थयात्रियों को ले जा रही 53 सीटों वाली बस पर उस समय गोलीबारी की थी, जब यह शिव खोरी मंदिर से रियासी जिले के कटरा शहर जा रही थी। उस कायराना हमले में नौ लोगों की मौत और 41 घायल हो गए थे। आतंकवादियों ने पहले बस के चालक पर गोलीबारी की और फिर पलटी हुई बस पर पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को निशाना बनाकर अंधाधुंध गोलीबारी की।
20 अक्टूबर 2024 को, दो आतंकवादी, एक विदेशी और एक स्थानीय, एक बुनियादी ढांचा कंपनी के श्रमिक शिविर में घुस गए और गंदेरबल जिले के गगनगीर में अंधाधुंध गोलीबारी की। हमले में छह गैर-स्थानीय नागरिक श्रमिक और एक स्थानीय डॉक्टर मारे गए। घाटी में गैर-स्थानीय राजमिस्त्री, बढ़ई, राजमिस्त्री, ड्राइवर और रेहड़ी-पटरी जैसे अकुशल श्रमिक भी आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए हैं।
आतंकी गैर-स्थानीय मजूदरों को भी लगातार बना रहे हैं निशाना
पिछले 20 सालों में आतंकवादियों ने कई जगहों पर गैर-स्थानीय मजदूरों की हत्या की है। माना जाता है कि गैर-स्थानीय लोगों की हत्या आतंकवादियों द्वारा स्थानीय लोगों को व्यापार, शिक्षा और व्यवसाय से दूर रखने की एक रणनीति है।
इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के बाहर उन जगहों पर स्थानीय लोगों के खिलाफ सांप्रदायिक प्रतिक्रिया भड़काने की कोशिश करना भी है, जहां ये लोग देश के अन्य राज्यों में रह रहे हैं और व्यापार कर रहे हैं तथा शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
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