जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच कलह जारी, आरक्षण मुद्दे पर MP ने उमर सरकार को दिया ये अल्टीमेटम
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के दो नेता सार्वजनिक रूप से भिड़ गए। सांसद ने उमर अब्दुल्ला सरकार को 'सस्ते प्रचार' के लिए बयानबाजी बंद करने का अल्टीमेटम दिया, जिससे पार्टी में तनाव बढ़ गया। इस घटनाक्रम ने पार्टी के भीतर अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है और आगामी राजनीतिक रणनीतियों पर सवाल उठ रहे हैं।
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सांसद आगा सैयद रुहुल्ला और सीएम उमर अब्दुल्ला (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रुहुल्ला और उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी के बीच तकरार अब खुलकर सामने आ गई है, जिससे पार्टी के बीच अंतर्कलह फिर उजागर हो गई है।
सांसद मेहदी ने 20 दिसंबर, संसद सत्र खत्म होने तक जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को युक्तिसंगत बनाने का अल्टीमेटम देते हुए उमर सरकार के लिए फिर मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इसपर पार्टी के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने सांसद को नसीहत देते हुए कहा कि उन्हें सस्ते प्रचार के लिए मीडिया में बयानबाजी बंद करके संसद में जम्मू-कश्मीर के मुद्दों को उठाना चाहिए।
सांसद रुहुल्ला ने कहा कि अगर आरक्षण का मामला हल नहीं हुआ तो वह फिर से छात्रों के साथ मुख्यमंत्री के आवास के बाहर खड़े नजर आएंगे। उन्होंने कहा कि आरक्षण नीति को लेकर जारी अनिश्चितता की स्थिति चिंताजनक है। इससे युवा हताश हो रहे हैं। ऐसा लगता है कि सरकार और प्रशासन को युवाओं की तकलीफ और निराशा को समझने से कोई लेना देना नहीं है।
रुहुल्ला ने श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय में एमबीबीएस की सीटों पर दाखिले को लेकर पैदा विवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे सरकार की आंखें खुलनी चाहिए। रुहुल्ला ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए कहा कि बीते वर्ष सरकार ने आरक्षण नीति संबंधी मामले को छह माह में हल करने का यकीन दिलाया था, लेकिन अब एक साल हो चुका।
रुहल्ला ने साधा उमर पर निशाना
रुहुल्ला यहीं नहीं रुके, उन्होंने उमर पर निशाना साधते हुए कहा कि क्या किसी का निजी अहम आड़े आ रहा है, क्या पूरी पीढ़ी को इसलिए सजा दी जा रही थी, क्योंकि वह (रुहुल्ला) उनके लिए आवाज उठा रहे थे। अगर अब मामला सुलझा भी लिया जाता है तो जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई मुश्किल है। सरकारी विभागों में नौकरियों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है,
लेकिन आरक्षण का मामला हल नहीं किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि रुहुल्ला ने पिछले वर्ष 23 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को युक्ति संगत बनाने और आरक्षण कोटे को अधिकतम 50 प्रतिशत तक ही सीमित रखने की मांग के साथ मुख्यमंत्री के घर के बाहर धरना दिया था।
इस बीच, श्रीनगर में एक कायर्क्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत में उपमुख्यमंत्री चौधरी ने कहा कि आरक्षण मुद्दे पर समिति अपनी रिपोर्ट दे चुकी है और अब उस पर आगे की कार्रवाई हो रही है।
मुख्यमंत्री बिजली शुल्क में बढ़ोत्तरी के लिए मना कर चुके हैं। ऐसे में सांसद आगा सैयद रुहुल्ला का उक्त मुद्दों पर अनावश्यक बयानबाजी करना, धरना देने की बात करना अनुचित है।
बड़गाम उपचुनाव में भी दिखी थी अंतर्कलह
सांसद रुहुल्ला कई बार अपने बयानों से उमर सरकार के समक्ष मुश्किलें खड़ी कर चुके हैं। पिछले दिनों बड़गाम विधानसभा के लिए हुए उपचुनाव में भी रुहुल्ला ने नेकां प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार नहीं किया था और उनके समर्थक पीडीपी प्रत्याशी की रैली में नजर आए थे। यही, वजह थी कि नेकां को हार मिली और यहां से पीडीपी का उम्मीदवार जीत गया।
आरक्षण मुद्दे पर हमारा स्टैंड स्पष्ट है। कैबिनेट उपसमिति अपनी रिपोर्ट दे चुकी है, मैं स्वयं उस समिति में रही। कानून विभाग ने कुछ स्पष्टीकरण मांगे हैं और उनका जवाब दिया जा रहा है। किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि आज जो लोग आरक्षण के मुद्दे पर शोर मचा रहे हैं, वे उस समय कहां थे, जब यहां ओपन मेरिट का हक मारा जा रहा था, आरक्षण कोटा बढ़ाया जा रहा था। सकीना इट्टू, समाज कल्याण मंत्री

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