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    Jammu Kashmir News: श्रीनगर में 34 साल बाद विचारनाग मंदिर में मनाया गया नवरेह, पढ़ें ये क्या

    Updated: Wed, 10 Apr 2024 03:22 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir News) में आतंकवाद के कारण कई मंदिर दशकों तक बंद रहे। लेकिन अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद धीरे-धीरे इन मंदिरों को खोला जा ...और पढ़ें

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    Srinagar News: 34 वर्ष बाद श्रीनगर में विचारनाग मंदिर में मनाया गया नवरेह। फाइल फोटो

    रजिया नूर, श्रीनगर। कश्मीर में आतंकवाद के चलते दशकों तक बंद पड़े मंदिरों के कपाट जहां खुल रहे हैं, वहीं बदलाव के बीच अब इन मंदिरों में कश्मीरियत को दर्शाते रीति-रिवाज फिर जीवंत हो उठे हैं। मंगलवार को यहां नवरेह पर्व श्रद्धा के साथ मनाया गया। कश्मीर में नवरेह को नववर्ष का पहला दिन माना जाता है।

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    लंबे समय के बाद इतना भव्य आयोजन पहली बार

    लगभग 34 वर्ष बाद नवरेह (Navreh Festival Hindi) पर सबसे बड़ा आयोजन श्रीनगर (Srinagar News) के सौरा क्षेत्र में स्थित भगवान शिव के ऐतिहासिक विचारनाग मंदिर में हुआ। हालांकि यह मंदिर पिछले वर्ष खुला था, लेकिन आतंकवाद के लंबे अंतराल के बाद इतना भव्य आयोजन पहली बार हुआ है। इस मौके पर नई वैदिक जंतरी (पंचांग) भी जारी की गई।

    इस मौके बड़ी संख्या में कश्मीरी हिंदुओं के अलावा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय (Bandaru Dattatreya) ने भी हवन-यज्ञ में भाग लिया। कश्मीर में आतंकवाद का दौर शुरू होने से पहले स्थानीय धार्मिक गुरु नवरात्र से पहले नव वर्ष की जंतरी बनाने के लिए श्रीनगर के इसी विचारनाग मंदिर में लामबंद होते थे और यहीं से इसे जारी किया जाता था।

    लेकिन मंदिर के कपाट बंद होते ही यह प्रक्रिया भी थम गई। इस बार विचारनाग मंदिर में धार्मिक समारोह का आयोजन विश्व कश्मीरी समाज व विचारनाग स्थापन ट्रस्ट ने किया था। इससे मंदिर में रौनक लौट आई और कश्मीरी हिंदुओं के जयघोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

    अब हम बिना किसी डर के मनाते हैं पर्व-श्रद्धालु

    हखू मंदिर में मौजूद श्रद्धालु नन्हा जी हखू ने कहा, 90 के दशक में मैं चार-पांच साल का था, जब यहां से हमारे बहुत से लोग पलायन कर गए। हम तो यहीं रहे, लेकिन पर्व पहले जैसे नहीं मना पाए।

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    अब कुछ वर्षों से यहां हालात में आए बदलाव के बाद हम बिना किसी डर के अपने धार्मिक स्थलों पर धार्मिक रीति रिवाज के साथ पर्व मनाते हैं। हखू ने कहा, मैंने अपने बड़ों से नवरेह पर्व को परंपरागत ढंग से मनाने के बारे में सुना था, आज मैं खुद इसका साक्षी बन गया।

    केंद्र व प्रदेश सरकार के कड़े प्रयासों का परिणाम-राकेश कौल

    कौल कश्मीरी समिति दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष राकेश कौल ने कहा, आज हमारे लिए खुशी का दिन है कि हम फिर यहां कश्मीरी भाइयों के साथ नवरेह का पर्व मना रहे हैं। 1990 के दशक में जब हमारा यहां से सामूहिक पलायन हुआ था।

    तब हमने सोचा नहीं था कि कभी यहां अपने मंदिरों में फिर उसी तरह पर्व मना सकेंगे, लेकिन केंद्र व प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज हम अपने इन धार्मिक स्थलों पर पर्व मना रहे हैं। वह दिन दूर नहीं जब यहां से पलायन कर चुके हमारे सभी भाई लौटेंगे।

    भाईचारा देख दिल बेहद खुश है

    राज्यपाल हरियाणा (Haryana News) के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा, मुझे इस बार नवरात्र का पर्व घाटी में मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मैंने कश्मीरियत के बारे में काफी सुना था, लेकिन आज यहां मुझे हिंदू-मुस्लिम के बीच भाईचारे को देख कश्मीरियत के मायने समझ आ गए। मुस्लिम भाई ईद की तैयारियां करने के बावजूद आज हिंदू भाइयों के साथ पर्व में शामिल हुए उसे देख कर दिल बहुत प्रसन्न हुआ।

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