Naugam Blast: 'मां के साथ रात भर पिता को खोजा, सुबह देखा तो उड़ चुके थे दोनों पैर', रुला देगी टेलर पर्रे की कहानी
जम्मू-कश्मीर के नौगाम में हुए विस्फोट में टेलर पर्रे ने अपने पिता को खो दिया। पर्रे ने अपनी मां के साथ रात भर उन्हें खोजा, पर सुबह पता चला कि उनके पिता के दोनों पैर उड़ चुके थे। इस घटना ने परिवार पर दुखों का पहाड़ तोड़ दिया है और स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है।

Naugam Blast: रुला देगी टेलर पर्रे की कहानी...
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। नौगाम पुलिस स्टेशन में शुक्रवार की रात को विस्फोट से फैली आग की लौ ने कई घरों में हमेशा के लिए अंधेरा कर दिया। धमाका इतना जबरदस्त था कि लगा कि जैसे भीषण भूकंप आया हो। आग के साथ धुएं के गुब्बार और मांस के लोथड़ों के जलने की बू फैल गई।
थाने से लगभग 500 मीटर दूर रहने वाले वाहिद जिलानी ने बम धमाके की जानकारी देते हुए कहा कि सब सहम गए और देखा कि थाना जल रहा है और मोहल्ले से बहुत से लोग तुरंत थाने की तरफ भागे।
वहां किसी का हाथ बिखरा पड़ा था तो किसी के पांव। मोहम्मद शफी पर्रे भी वहीं पड़ा था, लेकिन उसके दोनों पांव उड़ चुके थे, शरीर भी नहीं पहचाना जा रहा था। वह उम्र में मुझसे छोटा था।
रात भर पिता को खोजते रहे...
मोहम्मद शफी पर्रे के पुत्र ने कहा कि मेरे पिता दर्जी हैं और मोहल्ला मस्जिद कमेटी के प्रधान भी हैं। उन्हें पुलिस ने कुछ सबूतों के लिए बैग सिलाई के लिए बुलाया था। वह बीते तीन-चार दिन से थाने में ज रहे थे।
वह शुक्रवार को जुम्मे की नमाज अदा करने के बाद थाने में गए थे और जब रात को धमाका हुआ तो हम सभी घबरा गए। हम थाने पहुंचे, लेकिन वह हमें नहीं मिले। हम रात दो बजे तक खोजते रहे।
घटना के बाद उनके बेटे ने कहा था कि मेरी मां चिंतित हैं। मैंने अभी तक अपने पिता को नहीं देखा है। मैंने रात के 2:00 बजे तक अपने पिता को ढूंढ़ा। लेकिन वह हमें नहीं मिले।
हमें आज सुबह उनके शव की पहचान के लिए बुलाया गया। मेरी मां रातभर से बिलख रही है।
शाम को थाने के लिए निकले थे
उसने कहा कि कल शाम को जब वह घर से थाने के लिए निकले तो हमें नहीं मालूम था कि वह हमेशा के लिए हमसे बिछड़ जाएंगे। हम तीन भाई बहन हैं। पर्रे की पत्नी को सांत्वना देने की कोशिश कर रही उसकी बहन ने कहा कि वह अकेला कमाने वाला था।
अब उसके बीबी बच्चों का क्या होगा? उन्हें कौन सहारा देगा दिवंगत दर्जी के घर में सांत्वना जताने आए शब्बीर अहमद ने कहा कि मोहम्मद शफी बहुत नेकदिल था। वह अपने घर में अकेला कमाने वाला था।
उसक मौत से यहां सभी दुखी हैं। मैने उसे गत दोपहर एक बजे के करीब मस्जिद में देखा था। जुम्मे की नमाज के समय वह चंदा भी जमा कर रहा था। वह वानबल चौक में उसकी दुकान है। हमारी सरकार से अपील है कि उसके परिवार के किसी एक एदस्य को नौकरी दी जाए ताकि यह परिवार भूखा न मरे, बेसहारा न रहे।
हमें लगा हमला हुआ है
आसिफ सज्जाद नामक एक अन्य युवक ने कहा कि जोरदार धमाका हुआ, हमारा पूरा मकान हिल गया, खिड़कियों के शीशे चटख गए। सभी घबराकर बाहर निकले तो हमने देखा के थाने की तरफ से आग की लपटें निकल रही हैं।
हमें लगा कि शायद कोई हमला हुआ है। मोहल्ले से कई लोग थाने की तरफ भागे ताकि वहां जाकर मदद की जा सके। वहां हमने सड़क पर अधजले मानव अंग देखे पर्रे के दोनों पैर उड़ चुके थे। उसके घर में अब कमाने वाला कोई नहीं है।

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