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    नेशनल कांफ्रेंस में युवा नेतृत्व को मिलेगा मौका, पंचायत और नगर निकाय चुनावों से पूर्व संगठनात्मक बदलाव की तैयारी

    By NAVEEN SHARMAEdited By: Rahul Sharma
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 01:22 PM (IST)

    नेशनल कांफ्रेंस के संगठनात्मक ढांचे में जल्द ही बदलाव होने वाला है। पार्टी पढ़े-लिखे और साफ छवि वाले युवा चेहरों को आगे लाएगी। यह बदलाव पंचायत और नगर ...और पढ़ें

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    नेशनल कान्फ्रेंस के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की कवायद बीते दो माह से जारी है। फाइल फोटो।

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस के संगठनात्मक ढांचे में जल्द ही बदलाव देखने को मिलेगा। पार्टी में पढ़े लिखे, स्वच्छ छवि वाले युवा चेहरों को आगे बढ़ाया जाएगा। पंचायत और नगर निकाय के चुनावों से पूर्व यह बदलाव होगा जबकि पार्टी के वरिष्ठ और बुजुर्ग नेता सलाहकार और संरक्षक की भूमिका निभाएंगे।

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    प्रस्तावित बदलाव का संकेत शुक्रवार को स्वयं नेशनल कान्फ्रेंस(नेकां) के अध्यक्ष डा फारूक अब्दुल्ला ने अपने पिता स्व शेख माेहम्मद अब्दुल्ला की जयंती के उपलक्ष्य में उनकी मजार पर आयोजित श्रद्धांजली सभा के दौरान अपने संबोधन में दिया। 

    नेशनल कान्फ्रेंस के संस्थापक और जम्मू कश्मीर के पूर्व प्रधानमंत्री शेख माेहम्मद अब्दुल्ला की आज 121वीं जयंती हैं। शेख अब्दुल्ला को हजरतबल दरगाह से कुछ ही दूरी पर डल झील किनारे दफनाया गया है।

    आज उनकी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित श्रद्धांजली समारोह में मुख्यमत्री उमर अब्दुल्ला समेत नेशनल कान्फ्रेंस के सभी वरिष्ठनेता मौजूद थे। नेशनल कान्फ्रेंस के संगठनात्मक ढांचे में बदलाव की कवायद बीते दो माह से जारी है। 

    युवा और पढ़े लिखे कर्मठ चेहरों को आगे लाने पर जोर

    शेख अब्दुल्ला की जयंती के अवसर पर आयोजित सभा में नेशनल कान्फ्रेंस के अध्यक्ष डा फारूक अब्दुल्ला पार्टी कार्यकर्ताओं का पंचायत और नगर निकायों के चुनाव के लिए तैयार रहने का आह्वान करते हुए कहा कि हम सभी को मिलकर संगठन मजबूत बनाना है। उन्होंने पार्टी में युवा और पढ़े लिखे कर्मठ चेहरों को आगे लाने पर जोर देते हुए कहा कि हम संगठन को मजबूत बनाने के लिए एक बड़ा बदलाव कर रहे हैं। 

    उन्होंने बागी सांसद आगा सैयद रुहुल्ला का नाम लिए बगैर कहा कि बदकिस्मती से, हमारे अपने ही कुछ लोग पार्टी के खिलाफ बोल रहे हैं। आज हमारे पास जो कुछ भी है, वह इसी पार्टी की वजह से है।

    उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में बीते एक वर्ष से सत्तासीन सरकार के कामकाज पर संतोष जताते हुए कहा कि कोई सरकार सिर्फ़ एक साल में क्या हासिल कर सकती है, खासकर जब अधिकार और ताकत उपराज्यपाल के पास हों? फिर भी, निर्वाचित सरकार लोगों की सेवा करने की कोशिश कर रही है।”

    युवा सेवा करते हुए सगठन को मजबूत बनाएं

    उन्होंने युवाओं और महिलाओं से पार्टी की गतिविधियों में पूरे उत्साह के साथ भाग लेने के प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आने वाले चुनावों के लिए पार्टी को नई ऊर्जा और जमीनी स्तर पर एक मजबूत प्रतिनिधित्व की आवश्यक्ता है और यह तभी होगा जब हमारे युवा पूरी निष्ठा के साथ जनता की सेवा करते हुए सगठन को मजबूत बनाएं। 

    उन्होंने जम्मू कश्मीर के विकास में शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि यह दिन शेर-ए-कश्मीर के उस योगदान औ संघर्ष की याद दिलाता है जो उन्होंने उन लोगों की आवाज को ताकत देने के लिए किया जिन्हें यहां दबाया जाता था।

    उन्होंने जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को बहाल किया और कश्मीर को भारत के साथ जोड़ने में अहम भूमिका निभाई। आज हम जो तरक्की देख रहे हैं, वह शेख साहब के सूझबूझ दूरदर्शिताऔर हिम्मत का नतीजा है। उनकी राजनीति सेवा, दया और न्याय पर आधारित थी।” 

    सच्चाई हमारी बुनियाद बनी रहनी चाहिए

    लोगों से शेख अब्दुल्ला के आदर्शों को बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि नेतृत्व का मतलब अपने साथियों पर हुक्म चलाना नहीं है, बल्कि उन लोगों के साथ खड़ा होना जो परेशान हैं या निराशा में जी रहे हैं। हमारा फर्ज़ है कि हम उन्हें उम्मीद दें और यह पक्का करें कि कोई भी बच्चा पीछे न छूटे। सरकारें बदल सकती हैं, लेकिन इंसानियत और सच्चाई हमारी बुनियाद बनी रहनी चाहिए। 

    कश्मीर मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने आज जो अपने पिता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की जयंती पर भाषण दिया है, उसमे सबसे अहम बात पंचायत व नगर निकाय चुनाव नहीं बल्कि पार्टी के भीतर संगठनात्मक बदलाव का उल्लेख है। 

    युवा नेता संगठन में ज्यादा जगह चाहते हैंं

    जिस तरह से संगठन में युवा चेहरों को आगे करने की बात कही है, वह इस बात की पुष्टि करता है कि पार्टी के भीतर अंतर्कलह सिर्फ आगा सैयद रुहुल्ला की बगावत तक सीमित नहीं है और पार्टी के कई युवा नेता अब अपने लिए संगठन में ज्यादा जगह चाहते हैंं और न मिलने पर संगठन के खिलाफ खुलेआम बगावत कर सकते हैं। उनकी बगावत पंचायत और नगर निकाय चुनावों में पार्टी को भारी पड़ सकती है, इसलिए यह बदलाव पंचायत चुनाव से पहले हो सकता है।