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    श्रीनगर में मुहर्रम पर उमड़ा जनसैलाब, LG मनोज सिन्हा भी हुए शामिल; इमाम हुसैन को दी श्रद्धांजलि

    By Agency Edited By: Rajiv Mishra
    Updated: Sun, 06 Jul 2025 04:08 PM (IST)

    श्रीनगर में मुहर्रम के 10वें दिन हजारों शिया समुदाय के लोगों ने इमाम हुसैन की शहादत की याद में आशूरा जुलूस निकाला। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा जुलूस में शामिल हुए और श्रद्धांजलि दी। उन्होंने जुलूस में शोक मनाने वालों को पानी बांटा और इमाम हुसैन के बलिदान को शांति प्रेम और करुणा के लिए प्रेरणा बताया। जुलूस में लोग सीना पीटते और रोते हुए गुजरे।

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    मुहर्रम के जुलूस में शामिल हुए मनोज सिन्हा (फोटो- एजेंसी)

    पीटीआई, श्रीनगर। रविवार को श्रीनगर में हजारों शिया समुदाय के लोगों ने मुहर्रम के 10वें दिन (यौम-ए-आशूरा) पैगंबर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में आशूरा जुलूस निकाला। इस मौके पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी शामिल हुए।

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    मनोज सिन्हा ने जुलूस शुरू होने से पहले शहर के लाल बाजार इलाके में बोता कदल का दौरा किया। उन्होंने बोता कदल से शुरू होकर जदीबल इमामबाड़ा तक जाने वाले जुलूस में शोक मनाने वालों को पानी बांटा।

    उपराज्यपाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इमाम हुसैन और उनके बलिदान को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा, "यौम-ए-आशूरा के पवित्र अवसर पर मैंने श्रीनगर के बोता कदल में जुल्जिनाह जुलूस में हिस्सा लिया और हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को श्रद्धांजलि दी।

    उन्होंने कहा कि उनके बलिदान से हमें शांति, प्रेम और करुणा के लिए प्रेरणा मिलती है, जो हमें समानता और सद्भाव पर आधारित समाज बनाने का रास्ता दिखाती है।"

    मनोज सिन्हा ने आगे कहा, "इमाम हुसैन ने निस्वार्थ सेवा का संदेश दिया और मानवता को जरूरतमंदों की मदद करने की राह दिखाई। युवा पीढ़ी को उनके जीवन और गुणों से सीख लेकर सही रास्ते पर चलना चाहिए।"

    जुलूस में शामिल लोग सीना पीटते और रोते हुए शहर की सड़कों से गुजरे, जो अच्छाई और बुराई के बीच इमाम हुसैन के बलिदान की गाथा को याद कर रहे थे।

    प्रशासन ने जुलूस को शांतिपूर्ण बनाने के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे। रास्ते में सुरक्षा बल तैनात किए गए थे, और पुलिस व स्वयंसेवकों ने पानी बांटने के लिए स्टॉल लगाए थे। इसके अलावा, किसी भी आपात स्थिति के लिए डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को भी तैनात किया गया था। यह तीसरा साल है जब प्रशासन ने गुरु बाजार से डलगेट तक आठवें दिन के जुलूस को अनुमति दी।