जम्मू-कश्मीर में 52 हजार से ज्यादा लखपति दीदी, स्वरोजगार योजना से कमा रही हैं एक लाख रुपये
जम्मू-कश्मीर में लखपति दीदी योजना महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है जहाँ 52 हजार से अधिक महिलाएं स्वरोजगार से सालाना एक लाख रुपये से अधिक कमा रही हैं। दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत यह पहल कृषि और छोटे व्यवसायों के माध्यम से महिलाओं को स्थायी आय प्रदान करती है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश में लखपति दीदी ने महिलाओं के आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण में असर दिखाना शुरू कर दिया है। प्रदेश में 52 हजार से ज्यादा महिलाएं केंद्र सरकार की लखपति दीदी पहल के तहत स्वरोजगार को अपना एक लाख रुपये से अधिक वार्षिक आय जुटा रही है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत कार्यान्वित इस पहल का उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों की महिला सदस्यों को कृषि संबंधित गतिविधियों या छोटे व्यवसायों के माध्यम से एक स्थायी वार्षिक आय अर्जित करने में सक्षम बनाना है।
जम्मू-कश्मीर में लखपति दीदी पहल की सफलता के बारे में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में जानकारी देते हुए बताया कि जम्मू-कश्मीर में 52,203 स्वयं सहायता समूह महिलाएं लखपति दीदी बन गई हैं। जबकि लद्दाख में यह आंकड़ा 51,736 है।
राष्ट्रीय स्तर पर 1.48 करोड़ महिलाओं ने यह आय का मुकाम हासिल किया है। महाराष्ट्र, बिहार और आंध्र प्रदेश सबसे ऊपर हैं। मंत्री ने कहा कि यह पहल व्यक्तिगत स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) महिलाओं को कम से कम चार कृषि मौसमों या व्यावसायिक चक्रों के लिए निरंतर आय प्रदान करने के लिए डिजाइन की गई है। इसे क्षमता निर्माण, कौशल प्रशिक्षण, वित्तीय साक्षरता और बाजार संपर्कों द्वारा समर्थित किया जाता है।
स्वयं सहायता समूह, ग्राम संगठन और क्लस्टर स्तरीय संघ जैसी सामुदायिक-स्तरीय संरचनाएं इसके कार्यान्वयन का नेतृत्व करती हैं। लखपति दीदी पहल के तहत महिला स्वयं सहायता समूहों की बाजार पहुंच को मजबूत करने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफार्म का भी लाभ उठाया जा रहा है। बाजार पहुंच को मज़बूत करने के लिए मंत्रालय ने फ्लिपकार्ट, अमेजन, मीशो और जियोमार्ट जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म के साथ गठजोड़ किया है।
साथ ही स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री के लिए अपना स्वयं का ई-सारस प्लेटफ़ॉर्म भी लॉन्च किया है। देश भर में 1.44 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) सदस्यों को बैंकिंग कॉरेस्पॉन्डेंट सखियों के रूप में तैनात करके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिससे ग्रामीण समुदायों को स्थानीय स्तर पर बैंकिंग और डिजिटल सेवाओं तक पहुंच प्राप्त हो रही है।
इस योजना में नए सेवा क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 'विद्युत सखी', 'डिजि-पे सखी' और 'ड्रोन दीदी' जैसी प्रौद्योगिकी-संचालित भूमिकाएं भी शामिल हैं। सरकार ने स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) महिलाओं के लिए ऋण तक पहुंच में सुधार के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और आईडीबीआई बैंक के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
निगरानी एक केंद्रीकृत एमआईएस, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशनों के साथ तिमाही और वार्षिक समीक्षाओं और राष्ट्रीय स्तर के निगरानीकर्ताओं द्वारा क्षेत्रीय दौरों के माध्यम से की जाती है। इसके अलावा संबंधित कौशल विकास कार्यक्रमों जैसे दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना और ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थानों ने अपनी शुरुआत से अब तक 74 लाख से ज्यादा ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षित किया है
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