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    'अब मुसलमानों के घरों में ढूंढना शुरू कर देंगे', अजमेर शरीफ दरगाह विवाद पर बोलीं महबूबा मुफ्ती

    Updated: Fri, 29 Nov 2024 02:37 PM (IST)

    पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अजमेर शरीफ दरगाह विवाद पर प्रतिक्रिया दी है। अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे शिव मंदिर है इस दावे पर महबूबा मुफ्ती ने कहा कि पहले सर्वे मस्जिदों में होता था लेकिन अब हमारे जियारत और श्राइन में भी शुरू हो गए। उन्होंने कहा कि अजमेर शरीफ दरगाह में मुस्लिमों से ज्यादा हिंदुओं की आस्था है।

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    अजमेर शरीफ दरगाह विवाद पर क्या बोलीं महबूबा मुफ्ती।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अजमेर शरीफ दरगाह विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने राजस्थान की एक अदालत में दायर याचिका की आलोचना की, जिसमें दावा किया गया कि अजमेर शरीफ दरगाह एक हिंदू मंदिर के ऊपर बनाई गई है।

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    पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि हिंदू और मुस्लिमों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व चीफ जस्टिस के फैसले से अल्पसंख्यक धार्मिक स्थलों को लेकर विवादास्पद बहस छिड़ गई है। कहा कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश के फैसले से ही धार्मिक स्थलों का सर्वेक्षण शुरू हुआ। इसके बाद से ही हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव बढ़ गया है।

    800 साल पुरानी जियारत है अजमेर शरीफ

    उन्होंने कहा कि पहले मस्जिदों में सर्वेक्षण होता था, लेकिन अब हमारे जियारत, जो हमारे श्राइन हैं, वहां भी सर्वे करने लगे। उसमें भी अजमेर शरीफ जैसी दरगाह में। जहां मुसलमानों से ज्यादा हिंदू श्रद्धा रखते हैं। 800 साल पुरानी जियारत है। वे वहां पर मन्नत मांगने जाते हैं। ऐसा लगता है कि अब ये लोग मुसलमानों के घरों में ढूंढ़ना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बावजूद यथास्थिति बरकरार रखी जानी चाहिए, जैसी कि 1947 में थी।

    20 दिसंबर को होगी सुनवाई

    बता दें कि अजमेर दरगाह को लेकर राजनीति गरमा गई है। कोर्ट में इसको लेकर याचिका दायर की गई है, जिसपर कोर्ट सुनवाई के लिए राजी हो गया। अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के लिए अगली तारीख 20 दिसंबर जारी की है।

    कोर्ट के फैसले का जहां एक तरफ विपक्ष के नेता आलोचना कर रहे हैं, तो वहीं बीजेपी के नेताओं ने इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि इस तरह के विवादित ढांचे के नीचे मंदिरों की मौजूदगी की जांच करने का निर्णय उचित है।

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