जम्मू कश्मीर: महिला डॉक्टरों के अवकाश रद्द करने पर मेडिकल एसोसिएशन ने उठाई आवाज
फेडरेशन आफ आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने जम्मू कश्मीर में महिला डॉक्टरों के वेतन सहित अवकाश को रद्द करने पर शिक्षा व स्वास्थ्य मंत्री से हस्तक्षेप का आग्रह किया है। एसोसिएशन ने सरकार के फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे गर्भवती और प्रसवोत्तर महिला डॉक्टरों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने मातृत्व अवकाश को एक बुनियादी अधिकार बताया और निरस्तीकरण से होने वाले जोखिमों पर प्रकाश डाला।

जम्मू कश्मीर: महिला डॉक्टरों के अवकाश रद्द करने पर मेडिकल एसोसिएशन ने उठाई आवाज (File Photo)
जागरण संवाददाता,श्रीनगर। जम्मू कश्मीर प्रदेश में महिला डाक्टरों के लिए हाल ही में वेतन सहित अवकाश को रद्द करने की मांग लेकर फेडरेशन आफ आल इंडिया मेकिडल एसोसिएशन ने शिक्षा व स्वास्थय मंत्री सकीना इट्टू से आग्रह किया कि वह इस मामले में निजी तौर पर हस्तक्षेप करें।
डा. मोहम्मद मोमिन खान के नेतृत्व में मंत्री को सौंपे गए एक विस्तृत ज्ञापन में, एसोसिएशन ने सरकार के इस फैसले पर गहरी चिंता और निराशा व्यक्त की और इसे चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के लिए एक झटका बताया। एसोसिएशन ने कहा कि यह आदेश उन महिला डाक्टरों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है जो गर्भवती हैं, प्रसवोत्तर हैं या मरीज़ों की देखभाल और घरेलू ज़िम्मेदारियां दोनों संभाल रही हैं।
एसोसिएशन ने महिला डाक्टरों को स्वास्थ्य सेवा प्रणाली की रीढ़ बताया है जो आपात स्थितियों, लंबे कामकाजी घंटों और गंभीर मामलों को संभालती हैं और अक्सर अपनी भलाई से समझौता करती हैं। एसोसिएशन ने कहा कि मातृत्व संबंधी सवेतन अवकाश एक बुनियादी अधिकार है जो मांं और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य और सम्मान की रक्षा करता है।
एसोसिएशन ने इस निरस्तीकरण के कई परिणामों पर प्रकाश डाला, जिनमें गर्भवती और प्रसवोत्तर चिकित्सकों के लिए शारीरिक और मानसिक जोखिम में वृद्धि, महिलाओं का इस मांगलिक पेशे में बने रहने के प्रति हतोत्साहन, कार्यस्थल पर असमानता का सृजन और मातृ सुरक्षा के लिए स्थापित मानदंडों का उल्लंघन शामिल है।
संस्था ने कहा कि वह विशेष उपचार नहीं बल्कि निष्पक्ष उपचार की मांग कर रही है। साथ ही कहा कि आवश्यक सुरक्षा उपायों को हटाने से अधिक महिलाएं सक्रिय सेवा से बाहर हो जाएंगी और क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा वितरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

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