बलिदानी DSP हुमायूं बट को मरणोपरांत मिला कीर्ति चक्र, मां और उसकी पत्नी ने राष्ट्रपति से किया प्राप्त
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शहीद डीएसपी हुमायूं मुजम्मिल बट को मरणोपरांत कीर्ति चक्र प्रदान किया। हुमायूं 13 सितंबर 2023 को अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ में वीरगति को प्राप्त हुए थे। घायल होने के बावजूद उन्होंने आतंकियों का डटकर सामना किया और अपने उच्चाधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया। उनके बलिदान और शौर्य को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आज जम्मू-कश्मीर पुलिस के बलिदानी डीएसपी हुमायूं मुजम्मिल बट को मरणोपरांत कीर्ति चक्र प्रदान किया। यह कीर्ति चक्र बलिदानी की मां व उसकी पत्नी फातिमा ने राष्ट्रपति के कर कमलों से प्राप्त किया। डीएसपी हुमायूं मुजम्मिल बट 13 सितंबर 2023 को दक्षिण कश्मीर के गडोल, अनंतनाग में टीआरएफ के कमांडर उजैर खान को मार गिराने के अभियान में वीरगति को प्राप्त हुए थे। इस अभियान में सेना का एक कर्नल और एक मेजर भी वीरगति को प्राप्त हुए थे।
डीएसपी हुमायूं अपने दल के साथ जब पहाड़ी पर आतंकी ठिकाने की तरफ बढ़ रहे थे तो आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया। आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर ग्रेनेड फेंके और उसके बाद उन्होंने अपने स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की। डीएसपी हुमायूं गंभीर रूप से घायल हो गए, लेकिन उन्होंने वहीं पर झाड़ियों में पोजीशन ली औरआतंकियों को मुठभेड़ में उलझा लिया। उन्होंने घायलावस्था में अपने उच्चाधिकारियों को फोन किया और उन्हें आतंकियों की स्थिति से अवगत कराया।
उन्होंने अपने घर पर भी फोन किया और पिता और पत्नी से बातचीत की। उन्हें बताया कि वह जख्मी हो चुके हैं। उनके पिता ने उन्हें मदद पहुंचने तक किसी तरह खुद को संभालने और अपने जख्मों से बह रहे खून को रोकने के लिए जख्म बांधने की हिदायत दी। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि मैं जख्मी हो चुका हूं, अपना और बच्चे का ख्याल रखना। उस समय हुमायूं की बेटी लगभग 42 दिन की थी। जब तक उन तक मदद पहुंचती, वह मुठभेड़ स्थल पर वीरगति को प्राप्त हो चुके थे।
डीएसपी हुमायूं के पिता गुलाम हसन बट भी जम्मू-कश्मीर पुलिस में थे और वह वर्ष 2018 में डीआईजी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। डीएसपी हुमायूं ने अपने पिता की सेवानिवृत्ति से लगभग सात दिन पहले 21 फरवरी 2018 में पुलिस में भर्ती हुए थे। वह जेकेपीएस कैडर के अधिकारी थे। दक्षिण कश्मीर में तैनात होने से पूर्व वह उत्तरी कश्मीर और श्रीनगर में कार्गों में अपनी सेवाएं प्रदान कर चुके थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस सेवा के लिए चुने जाने से पूर्व वह समाज कल्याण विभाग में भी जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर तैनात रहे थे।
उन्होंने इंजीनियरिंग की थी और उन्होंने अपनी एसाल्ट राइफल में अपनी ऑप्रेशनल जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उसमें आवश्यक सुधार भी किए थे। वह स्कैच भी बहुत अच्छा बनाते थे। अनंतनाग में अपने स्थानांतरण से पहले उन्होंने श्रीनगर व उत्तरी कश्मीर में कई आतंकरोधी अभियानों की सफलता में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।
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