धर्म व पर्यटन का अनूठा संगम है मानसर-सुरिंसर झील; कश्मीर की वादियों में मनमोहक पर्वतों के बीच है स्थित; आप भी करें दीदार
जम्मू-कश्मीर की मानसर और सुरिंसर झीलें धर्म, परंपरा और पर्यटन का अद्भुत मिश्रण हैं। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर, ये झीलें स्थानीय लोगों की आस्था का केंद्र हैं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का स्थल हैं। भगवान शेषनाग को मानसर झील का संरक्षक माना जाता है। यहाँ बोटिंग और ट्रैकिंग का आनंद लिया जा सकता है, साथ ही वन्यजीवों को भी देखा जा सकता है।
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धर्म-परंपरा और पर्यटन का अनूठा संगम है मानसर-सुरिंसर झील। फोटो जागरण
ललित कुमार, जम्मू। जम्मू-कश्मीर के हर मोड़ पर प्राकृतिक नजारे आपका स्वागत करते हैं। एक ओर प्राचीन मंदिरों के जगमगाते शिखर और सुंदर पहाड़ आपको बरबस आकर्षित करते हैं, वहीं दूसरी ओर यहां की झीलें भी हमारी पुरातन संस्कृति और विरासत को समेटे हुए पौराणिक युग की याद दिलाती हैं। सांबा जिले में स्थित मानसर और सुरिंसर झीलें भी धर्म, परंपरा और पर्यटन का अनूठा संगम है।
प्रकृति की गोद में सुंदर नजारों के साथ कुछ पल सुकून के बिताना चाह रहे हैं तो यहां निसंकोच चले आएं। चारों तरफ पहाड़ और उन पर दूर तक फैला जंगल आपको सुखद अहसास देगा ही, साथ ही जड़ी-बूटियों का असीमित खजाना भी यहां मिलेगा। एक तरफ इनका अपना पौराणिक महत्व भी है और भगवान शेष नाग को मानसर झील का संरक्षक माना जाता है।
प्रकृति की गोद में फैले खूबसूरत नजारों को समेटे यह झीलें स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र हैं तो पर्यटक और सैलानी यहां बोटिंग के साथ ट्रैकिंग का भी आनंद ले सकते हैं। झील के आसपास के जंगल मानसर-सुरिंसर वन्यजीव उद्यान का हिस्सा हैं और यहां हिरण, तेंदुआ जैसे वन्य जीव पाए जाते हैं। यहां चीड़, देवदार, चिनार के पेड़ों के जंगल के साथ लिली और चमेली जैसे फूल यहां के सौंदर्य को और बढ़ा रहे हैं।
मानसर के संरक्षक हैं भगवान शेषनाग
मानसर झील न केवल एक प्राकृतिक आश्चर्य है, बल्कि एक सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर भी है। यह झील दिव्यता और मिथकों से भरी है, जो इसके आकर्षण और रहस्य को और बढ़ा देती हैं। मान्यता है कि भगवान शेषनाग इस झील के संरक्षक और वे ही इसके जल के स्रोत भी हैं।
मान्यता है कि शेषनाग तिब्बत स्थित मानसरोवर झील और जम्मू स्थित मानसर झील दोनों में निवास करते हैं। मान्यता यह भी है कि वह आज भी एक विशाल कछुए के रूप में उसी झील में निवास करते हैं।
एक अन्य मान्यता के अनुसार मानसर-सुरिंसर झील की उत्पत्ति महाभारत के महान योद्धा अर्जुन से जुड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि अर्जुन ने मानसर में धरती पर एक बाण मारा था जो दूर सुरिंसर में जाकर निकला था। इस प्रकार दोनों झीलें अस्तित्व में आईं।
सांबा से ऊधमपुर जाते हुए धार रोड पर स्थित यह झील हरे-भरे जंगलों, रंग-बिरंगे फूलों और राजसी पहाड़ियों से घिरी है और एक शांत और मनोरम दृश्य प्रस्तुत करती है। पक्षियों की चहचहाहट, हवा और मंदिरों की घंटियां हवा को एक सुखद और आध्यात्मिक वातावरण से भर देती हैं।
जम्मू शहर से 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मानसर झील स्थानीय लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र हैं और मुंडन से लेकर कई तरह के संस्कार यहां करते हैं।
झील के चारों ओर बनाए गए मंदिर और देवस्थल समाज को इससे जोड़े रखे हैं। शेषनाग मंदिर झील में निवास करने वाले नाग देवता शेषनाग को समर्पित है। ब्रह्मांड माता देवी दुर्गा का मंदिर झील के पश्चिमी तट पर स्थित है।
सुरिंसर झील
घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरी हुई सुरिंसर झील की सुंदरता और प्राकृतिक वैभव की तुलना श्रीनगर की डल झील और नागिन झील की भव्यता से की जा सकती है। यह क्षेत्र प्रचुर मात्रा में जीव-जंतुओं, वनस्पतियों और पक्षी-पक्षियों से आबाद है।
झील के बीच में एक छोटा सा द्वीप है। यह द्वीप हज़ारों चमगादड़ों का घर है। यह मानसर झील से मात्र नौ किलोमीटर की दूरी पर है और इसे मानसर की जुड़वा झील भी माना जाता है। यह झील एक छोटी और शांत झील है। यह झील एक भूमिगत चैनल द्वारा मानसर झील से जुड़ी हुई है।
इसका वातावरण शांत और निर्मल है। यह झील पक्षी दर्शन, नौका विहार और कैंपिंग के लिए आदर्श है और इसके किनारे पर देवी दुर्गा का मंदिर भी आकर्षण का केंद्र है।
मानसर-सुरिंसर वन्यजीव सैंच्युरी
मानसर-सुरिंसर वन्यजीव उद्यान एक संरक्षित क्षेत्र है जो मानसर झील और सुरसर झील के आसपास के जंगलों में फैला है। यह क्षेत्र विभिन्न प्रकार के जानवरों, पक्षियों और पौधों का घर है और यह क्षेत्र के वन्य जीवन और जैव विविधता का अनुभव करने का अवसर प्रदान करता है।
यह सैंक्चुरी सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुली रहती है। सैंच्युरी में वाचटावर और पगडंडियां भी हैं, जहां आप वन्यजीवों को देख और उनका अवलोकन कर सकते हैं।
नौका विहार
मानसर झील में नौका विहार सबसे लोकप्रिय और मनोरंजक गतिविधियों में से एक है, जो आपको झील और उसके आसपास के वातावरण का आनंद लेने का अवसर प्रदान करता है। झील में एक बोटिंग प्वाइंट है।
नौका विहार सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक खुला रहता है। नौका विहार झील की सुंदरता और शांति को निहारने, साथ ही इसके किनारों पर स्थित मंदिरों और वन्यजीवों को देखने का एक मजेदार और आरामदायक तरीका है।

ट्रैकिंग
मानसर झील में ट्रेकिंग एक और रोमांचक और साहसिक गतिविधि है, जो आपको झील के आसपास की पहाड़ियों और जंगलों की खोज करने का मौका देती है। झील किनारे कुछ ट्रेकिंग रूट बनाए गए हैं, जिनकी कठिनाई आसान से लेकर मध्यम तक है और जो मनोरम दृश्य और चुनौतियां प्रदान करते हैं।
यह निश्शुल्क है। ट्रेकिंग इस क्षेत्र की प्रकृति और संस्कृति का अनुभव करने और सैंक्चुरी के वनस्पतियों और जीवों को देखने का एक शानदार तरीका है।

कैसे पहुंचा जाए
अगर आप सड़क रेलमार्ग से जम्मू आ रहे हैं तो वहां से सड़क मार्ग से सीधा इन क्षेत्रों में पहुंच सकते हैं। यह दूरी करीब 42 किलोमीटर है और जम्मू से टैक्सी सेवा भी उपलब्ध हो सकती है।
आप अपने वाहन से आ रहे हैं तो जम्मू'पठानकोट राजमार्ग पर सांबा के पास से मानसर मार्ग निकलता है। इससे आप सीधे पहाड़ी रास्तों का नजारा लेते हुए मानसर झील तक पहुंच सकते हैं। सुरिंसर झील मानसर से नौ किलोमीटर की दूरी पर है।

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