Pahalgam Attack: आतंकियों ने कैसे बरपाया कहर, कहां हुई सुरक्षा में चूक? लोग बोले- यह व्यवस्था होती तो नहीं बहता खून
पहलगाम के बैसरन में हुए नरसंहार ने कश्मीर में ऑफबीट पर्यटन स्थलों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन ने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए गुमनाम स्थलों को खोला लेकिन सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया। इस घटना से घाटी के अन्य पर्यटन स्थलों पर भी खतरे की आशंका बढ़ गई है। स्थानीय लोगों ने सरकार से सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने की अपील की है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। प्रशासन द्वारा घाटी में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए तथा अधिक से अधिक पर्यटकों को घाटी की तरफ आकर्षित करने के लिए गुमनाम पर्यटन स्थलों को खोज उन्हें पर्यटन के मानचित्र पर लाना अच्छी बात थी, लेकिन इन गुमनान पर्यटनस्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था न करना घातक सिद्ध हुआ और इसी का भारी परिणाम पहलगाम के बैसरन में पर्यटकों को उठाना पड़ा।
उस गुमनाम पर्यटन स्थल जो कि मेन पहलगाम से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, पर बीते काफी समय से पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता था। लेकिन घने जंगलों से घिरी इस स्थल पर प्रशासन ने सुरक्षा का कोई प्रबंध नहीं था जिसका आतंकवादियों ने भरपूर फायदा उठाकर वहां आए पर्यटकों को अपनी गोलियों का निशाना बनाया।
बैसरन की इस घटना ने घाटी के अन्य गुमनाम पर्यटन स्थलों, जिनमें दूधपथरी, बोड़ नमबल, बंगस, नारानाग, श्रंजफाल, द्रंग, रिंगावेली, गुगलडारा आदि शामिल हैं, में पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहने लगा था। वर्ष 2023 में जी-20 बैठक के बाद से यह ऑफबीट पर्यटन स्थल पर्यटकों से गुलजार बने रहते थे। अब सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। बैसरन की तरह उक्त पर्यटन स्थल भी दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों तथा घने जंगलों से ढके रहते हैं, उसमें सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है।
पर्यटकों को सुरक्षित फील कराना जरूरी
आकिब अहमद सुहाफ नामक एक व्यक्ति ने कहा कि टूरिज्म इंफ्रास्ट्रक्चर पर तो प्रशासन ने अच्छा काम किया, लेकिन इसके साथ-साथ इन टूरिस्ट डेस्टिनेशन पर सिक्योरिटी का भी बंदोबस्त करना चाहिए था।
ताकि टूरिस्ट इन जगहों पर जाकर सेफ फील कर सके। सुहाफ ने कहा कि बैसरन में हमारे यह मेहमान टूरिस्ट अपनी जानें नहीं गंवाते, अगर वहां सिक्योरिटी के बंदोबस्त होते।
फहीम मीर नामक एक और स्थानीय युवक ने कहा कि सरकार का दावा अपनी जगह पर कि यहां मिलिटेंसी खत्म हो चुकी है। लेकिन जमीनी स्तर पर सरकार को इस बात से भी इनकार नहीं करना चाहिए था कि अभी यहां मिलिटेंसी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।
टूरिस्टों के भारी रश और उनके ऑफबीट टूरिस्ट डेस्टिनेशन की तरफ रुजहान को देख सरकार को उन जगहों पर सिक्योरिटी का बंदोबस्त रखना चाहिए था, ताकि मिलीटेंट इन जगहों में न घुस सके। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मीर के अनुसार, बैसरन में मिलीटेंट बैखौफ होकर घुस गए और वहां खून की होली खेली।
स्थानीय लोगों को सता रहा रोजी-रोटी का डर
अध्यापक साबिक अली नामक एक और स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि इसमें कोई शक व संदेह नहीं कि प्रशसन ने यहां का टूरिजम सेक्टर जो कि बीते तीन दशकों में रहने वाले हालातों के चलते चरमरा गया था, को फिर से पटरी पर लाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
प्रशासन की इस कड़ी मेहनत का फल हमें यहां लाखों नहीं बल्कि करोड़ों टूरिस्टों की आमद से मिलने लगा था। लेकिन काश प्रशासन ने इन टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स खासकर उन ऑफबीट टूरिस्ट प्लेसेज जोकि दूरदराज व दुर्गम इलाकों में स्थित होने के चलते आतंकियों की पहुंच में रहती है।
उसमें सिक्योरिटी का बंदोबस्त किया होता तो आज हमारे इन मासूम मेहमानों को बैसरन जैसे घटना में अपनी जानें न गंवानी पड़ती। अली ने बताया कि इस घटना से यहां का टूरिज्म सेक्टर फिर से जीरो पर आ गया है और इसे फिर से पटरी पर लाने के लिए प्रशासन को नए सिरे से मेहनत करनी पड़ेगी।
लेकिन हमारी प्रशासन से अपील है कि इंफ्रास्ट्रक्चर को फिर से पटरी पर लाने के लिए बनाई जाने वाली फ्यूचर सट्रेटजी में फेमस टूरिस्ट स्पॉटों के साथ-साथ उन गुमनाम टूरिस्ट स्पॉटों पर भी सिक्योरिटी के कड़े बंदोबस्त करें, ताकि टूरिस्ट उन जगहों पर जाकर खुद को सेफ महसूस करें।
बता दें कि बैसरन में हुए इस नरसंहार ने समूची घाटी को हिला के रख दिया है। इस नरसंहार के विरोध में आज घाटी में सिविल व धार्मिक संगठनों के आह्वान पर घाटी बंद रही।
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