जम्मू-कश्मीर: कस्टडी में कॉन्स्टेबल को प्रताड़ित किया, प्राइवेट पार्ट काटा... 6 पुलिसकर्मी गिरफ्तार
श्रीनगर सीबीआई ने कुपवाड़ा में पुलिस कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान को हिरासत में अमानवीय यातनाएं देने के आरोप में छह पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को पीड़ित को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था। सीबीआई ने सबूत जुटाकर आरोपितों को गिरफ्तार किया जिनमें डीएसपी एजाज अहमद नाइकू और सब इंस्पेक्टर रियाज अहमद शामिल हैं।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। सीबीआई ने उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिला में दो वर्ष पूर्व एक पुलिस कॉन्स्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान को हिरासत में अमानवीय यातनाएं देने के आरोप में छह पुलिस अधिकारियों व कर्मियों को गिरफ्तार किया है।
इनमें एक डीएसपी और एक सब इंस्पेक्टर भी शामिल है। इसी वर्ष जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को पीड़ित पुलिस कॉन्स्टेबल चौहान को उसके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था।
इसके साथ ही सीबीआई को इस मामले की पूरी जांच करने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा गया था।
28 जुलाई को एफआईआर दर्ज
सूत्रों के अनुसार, सीबीआई ने इस मामले में आवश्यक सुबूत जुटाते हुए आरोपित पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को गिरफ्तार किया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 28 जुलाई को एफआइआर दर्ज की थी।
इसमें डीएसपी एजाज अहमद नाइकू, सब इंस्पेक्टर रियाज अहमद और चार कॉन्स्टेबल जहांगीर अहमद, इम्तियाज अहमद, मोहम्मद यूनिस और शाकिर अहमद को नामजद किया गया। इन पर कॉन्स्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान को छह दिन तक हिरासत में क्रूर और अमानवीय यातनाएं देने का आरोप है।
फरवरी, 2023 का है मामला
यह मामला फरवरी 2023 में उत्तरी कश्मीर में पुलिस द्वारा एक नार्को टेरर मॉड्यूल को ध्वस्त करने से जुड़ा है। पुलिस ने कॉन्स्टेबल खुर्शीद अहमद को मॉड्यूल के अन्य सदस्यों से पूछताछ के आधार पर पकड़ा था। कॉन्स्टेबल ने आरोप लगाया था कि उसे हिरासत में अपराध स्वीकार करने के लिए यातनाएं दी गईं और उसका गुप्तांग काटा गया।
उन्होंने बताया कि वह उस समय बारामुला जिला पुलिस लाइन में तैनात थे और उन्हें कुपवाड़ा जेआइसी में यातनाएं दी गईं।
पत्नी ने दायर की याचिका
मामले में पीडि़त की पत्नी ने पहले कुपवाड़ा में पुलिस का दरवाजा खटखटाया और बाद में जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जो अंतत: सुप्रीम कोर्ट में पहुंची। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच सौंपते हुए टिप्पणी की थी कि हाई कोर्ट ने नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने में घोर भूल की है।
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