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    शिक्षा की आड़ में मौत बांट रहा था खुर्शीद, भेड़ की खाल में भेड़िया था सियाद; LG मनोज सिन्हा ने कस दिया शिकंजा

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 10:13 PM (IST)

    उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कश्मीर में आतंकियों की मदद करने वाले दो सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। इनमें एक शिक्षक और एक सहायक भेड़पालक शामिल हैं जो लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करते थे। ये दोनों घुसपैठ करने वाले आतंकियों को गाइड करने और नार्को टेरर मॉड्यूल से जुड़े थे। इन पर विभिन्न थानों में मामले दर्ज हैं और फिलहाल ये जेल में हैं।

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    आतंकियों के दो मददगार के खिलाफ एलजी सिन्हा का बड़ा एक्शन। फाइल फोटो

    नवीन नवाज, श्रीनगर। शिक्षा बांटने के बजाय कश्मीर में मौत का सौदागर बने एक सरकारी अध्यापक के साथ आतंकियों का मददगार बने सहायक भेड़पालक समेत दो सरकारी कर्मियों केा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शुक्रवार बर्खास्त कर दिया।

    दोनों को भविष्य में किसी भी सरकारी सेवा के अयोग्य करार दिया गया है। फिलहाल,दोनों बीते एक वर्ष से भी ज्यादा समय से जेल में बंद हैं। मौजूदा वर्ष में यह तीसरा अवसर है जब उपराज्यपाल ने सरकारी विभागों में छिपे आतंकियों के मददगारों की सेवाएं समाप्त की हैं।

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    इससे पूर्व 15 फरवरी को तीन और उसके बाद तीन जून को भी उन्होंने आतंकियों के मददगार तीन सरकारी कर्मियों की सेवाएं समाप्त की थी।

    सियाद अहमद खान और खुर्शीद अहमद राथर

    आज जिन दो सरकारी कर्मियों की सेवाएं समाप्त की गई हैं, उनमें एक जिला कुपवाड़ा में केरन का रहने वाला सियाद अहमद खान है। वह भेड़ प्रजनन एवं पशुपालन विभाग में सहायक स्टाकमैन के पद पर कार्यरत था।

    दूसरे का नाम खुर्शीद अहमद राथर है और वह भी जिला कुपवाड़ा में करनाह का रहने वाला है। वह शिक्षा विभाग में बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं प्रदान करने की आड़ में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त था। सियाद और खुर्शीद दोनों ही उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में लश्कर ए तैयबा के आतंकियों के लिए बतौर ओवरग्राउंड वर्कर काम करते थे।

    यह दोनों एलओसी के पार से कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आतंकियों के लिए बतौर गाइड काम करने के अलावा नार्काे टेरर माडयूल से भी जुढ़े हुए थे।। इन दोनों के खिलाफ विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई जांच में जुटाए गए साक्ष्यों और इनके खिलाफ विभिन्न थानों में दर्ज मामलों का संज्ञान लेते हुए ही यह कार्रवाई की गई है। मौजूदा परिस्थितियों मं यह दोनों जेल में बंद हैं।

    यहां यह बताना असंगत नहीं हाेगा कि अगस्त 2020 में केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश के उपराज्यपाल के पद पर आसीन होने के बाद उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आतंकवाद और अलगाववाद के प्रति शून्य सहिष्णुता व उनके पारिस्थितक तंत्र के समूल नाश का एक अभियान चला रखा है।

    इसी अभियान के तहत सरकारी तंत्र में बैठे आतंकियों व अलगाववादियों के मददगारों को चिह्नित करते हुए उनकी सेवाएं बर्खास्त की जा रही हैं और उनके खिलाफ संबंधित कानून के तहत भी कार्रवाई को सुनिश्चित किया जा रहा है ।

    इन व्हाईट कालर आतंकियों की सेवाओं को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 के प्रविधान दो के तहत समाप्त किया गया है। बीते पांच वर्ष में अब तक ऐसे 85 सरकारी अधिकारियों व कर्मियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं।

    शिक्षक नहीं मौत का सौदागर है खुर्शीद

    एलओसी के साथ सटे केरन, कुपवाड़ा का रहने वाला खुर्शीद अहमद राथर वर्ष 2003 में वह रहबर ए तालीम योजना के तहत शिक्षा विभाग में अस्थायी अध्यापक नियुक्त हुआ था । वर्ष 2008 में शिक्षक के रूप में उसकी सेवाएं नियमित की गई, लेकिन वह सिर्फ दिखावे के लिए शिक्षक था, लेकिन उसका l असली काम आतंकियों की मदद करना था।

    वह एलओसी के पार पाकिस्तान में बैठे लश्कर ए तैयबा के दो हैंडलरों मंजूर अहमद शेख उर्फ शकूर और जावेद अहमद के साथ लगातार संपर्क में रहता था। वह उनके निर्देशानुसार, कश्मीर घाटी में सक्रिय आतंकियों तक हथियार पहुंचाने के अलावा नार्काे टेरर माडयूल के जरिए अवैध नशीले पदार्थाें की कमाई का एक बड़ा हिस्सा आतंकियों तक पहुंचाता था।

    शिक्षा के बजाय कश्मीर में मौत बांट रहे खुर्शीद अहमद राथर के बारे में सुरक्षा एजेंसियों को 25 जनवरी 2024 को पता चला।

    सुरक्षा एजेंसियों केा अपने तंत्र से पता चला था कि दो पाकिस्तानी आतंकी कुपवाड़ा में अपने चार स्थानीय मददगारों की मदद से कश्मीर में सक्रिय आतंकियों तक हथियार पहुंचा रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने जांच की तो पता चला कि चार स्थानीय मददगार खुर्शीद अहमद राथर, जहूर अहमद, गुलाम सरवर और काजी फजल है।

    पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की और जहूर अहमद को पूछताछ के लिए बुलाया। जहूर पहले तो मुकर गया,लेकिन बाद मे टूट गय और उसने अपने तीन अन्य साथियों का भी कच्चा चिट्ठा बक दिया। इसके साथही खुर्शीद, गुलाम सरवर और काजी फजल को भी गिरफ्तार कर लिया गया गया।

    पूछताछ के दौरान खुर्शीद और उसके साथियों ने पांच एके टाइप (शॉर्ट) एमपी 5 राइफल, एक एके-47 राइफल, दो पिस्तौल, पाच एमपी 5 मैगजीन, दो पिस्तौल मैगजीन, एक एके-47 मैगजीन, 20 एके-47 राउंड सहित भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद की जानकारी दी। पुलिस ने यह सारा साजो सामान बरामद किया।

    खुर्शीद अहमद राथर और उसके साथियों की गिरफ्तारी व उनके गुनाहों की जांच कर रहे एसएसपी कुपवाड़ा ने कहा कि खुर्शीद अहमद राथर जैसे लोग बहुत खतरनाक होते हैं। उसका काम बच्चों को शिक्षा देना था,लेकिन वह उनमें अवैध नशीले पदार्थ की आड़ में मौत बांट रहा था, वह कश्मीर में निर्दाेष लोगों की हत्याओं के लिए हथियारों का बंदोबस्त करता था। वह शिक्षक नहीं मौत का सौदागर है।

    भेड़ की खाल में भेड़िया है सियाद

    सियाद अहमद खान को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि वह भेड़ की खाल में छिपा हुआ एक भेड़िया है। उत्तरी कश्मीर में एलओसी के साथ सटे करनाह,कुपवाड़ा का रहने वाला सियाद अहमद खान 2004 में भेड़ पालन विभाग में सहायक पशुपालक के रूप में नियुक्त हुआ था।

    वह लश्कर ए तैयबा के सबसे खास ओवरग्राउंड वर्करों में एक था। वह घुसपैठ करने वाले आतंकियों को एलओसी से घाटी के भीतरी इलाकों में सुरक्षित पहुंचाने और उनके हथियार को एक जगगह से दूसरी जगह पहुंचाने की जिम्मेदारी संभाल रहा था। उसने सीमा पार से अवैध नशीले पदार्थाें की तस्करी भी शुरु कर दी थी।

    कुपवाड़ा पुलिस के अनुसार, सियाद अहमद खान को 12 जनवरी 2024 को केरन कुपवाड़ा में पुलिस और सेना की एक संयुक्त नाका पार्टी ने पकड़ा था। उस समय उसके पास से एक एसासल्ट राइफल् मिली जो वह एक आतंकी को देने जा रहा था।

    उसने पूछताछ में अपनी एक सहयोग रफाकत अहमद खान का नाम लिया। रफाकत को पकड़ा गया और उससे एक पिस्तौल, एक मैगजीन और पांच कारतूस मिले। जांच में पता चला कि सियाद अहमद पाकिस्तान में बैठे लश्कर ए तैयबा के एक हैंडलर बशारत अहमद खान के संपर्क में था।

    बशारत कश्मीर घाटी के विभिन्न इलाकों में लक्षित हत्याओं को अंजाम देने के लिए टीआरएफ के आतंकियों के लिए हथियार जुटाने मं सियाद अहमद की पूरी मदद लेता था।

    मौजूदा समय में जेल में बंद सियाद अहमद खान से पूछताछ में शामिल रहे एसपी रैंक के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि आप उसे देखकर अंदाजा नहीं लगा सकते कि वह कितना शातिरहै। वह चेहरे से पूरी तरह मासूम नजर आता है और कहेंगे कि यह बेचारा है,लेकिन वह बेचारा नहीं है, वह भेडिए से भी ज्यादा खतरनाक है।

    वह खाता हिंदुस्तान का है और काम करता है कि पाकिस्तान का। ऐसे लोगों की जगह सिर्फ जेल और जहुन्नम ही हो सकती है।