मुसीबत में कश्मीर के सेब उत्पादक, पेड़ों से गिरने लगा फल; रोजाना हो रहा भारी नुकसान
कश्मीर में सेब उत्पादक संकट में हैं। पेड़ों से असमय फल गिर रहे हैं जिससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है। बाजार में मांग कम है और परिवहन की समस्या से स्थिति और भी खराब हो गई है। उत्पादकों का कहना है कि बागवानी विभाग से कोई सहायता नहीं मिल रही है।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। लंबे समय तक हजारों करोड़ों रुपयों के भारी नुकसान से जूझ रहे सेब उत्पादकों को अब एक और मुसीबत ने आ घेरा है। भारी मात्रा में फलों विशेषकर सेबों का पेड़ों से गिरना, बाजार में कम मांग और रसद संबंधी बाधाओं ने मिलकर घाटी के बागवानी क्षेत्र को और अधिक गहरे संकट में धकेल दिया है।
उत्पादकों का कहना है कि लंबे समय तक सूखे के बाद लगातार बारिश, तेज हवाओं और ओलावृष्टि के कारण सेब समय से पहले ही पेड़ों से गिररहे हैं जिससे उन्हें अपनी फसल सामान्य से पहले काटने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। शोपियां के एक बागवान बिलाल अहमद ने कहा,सेबों का पेड़ों से गिरना अचानक शुरू हुआ और इस साल यह रुका ही नहीं। हर सुबह हमें जमीन पर सेब बिखरे हुए मिलते।
अगर हम उन्हें जल्दी नहीं तोड़ते, तो हमारे पास कुछ भी नहीं बचता। उत्पादकों ने बागवानी विभाग पर कोई सार्थक सहायता प्रदान करने में विफल रहने का आरोप लगाया। पुलवामा के एक उत्पादक फरीद अहमद ने कहा, हम फलों के गिरने को नियंत्रित करने के लिए मदद की गुहार लगा रहे थे, लेकिन कोई उपाय नहीं किया गया। हम असहाय होकर देखते रहे कि हमारी साल भर की मेहनत बर्बाद होती रही।
उत्पादकों ने कहा कि गिरे हुए सेबों को बाजार में कोई खरीदार नहीं मिलने से स्थिति और भी बदतर हो गई है। कुलगाम के एक उत्पादक मुनीर अहमद ने दुख जताते हुए कहा, पहले, जूस बनाने वाली फैक्ट्रियां या व्यापारी कम से कम गिरे हुए सेब कम दामों पर खरीद लेते थे, लेकिन इस साल कोई आगे नहीं आया। हमारे पास उन्हें पेड़ों के नीचे सड़ने देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। परिवहन एक और बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।
बार-बार राजमार्ग बंद होने, ट्रकों की कमी और माल ढुलाई के बढ़ते दामों के कारण, कई उत्पादकों ने कहा कि जो थोड़ा-बहुत मुनाफा होने की उम्मीद थी, वह भी खत्म हो गया है। अनंतनाग के एक अन्य उत्पादक जावेद मागरे ने कहा, माल ढुलाई असहनीय हो गई है। अगर हम किसी तरह अपनी उपज बाहरी मंडियों में भेज भी देते हैं, तो परिवहन लागत हमारी सारी कमाई निगल जाती है।
कोल्ड स्टोरेज संकट ने दहशत और बढ़ा दी है। घाटी भर में स्थित सभी सुविधाएं सामान्य से बहुत पहले ही भर गईं जिससे सैकड़ों उत्पादकों के पास भंडारण की जगह नहीं बची। बारामूला के एक उत्पादक मोहम्मद यासीन ने कहा, हममें से जो लोग कोल्ड स्टोरेज नहीं पा सके, वे अब औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। यह हम जैसे छोटे उत्पादकों के लिए बहुत बड़ा झटका है।
उत्पादकों ने कहा कि इस सीजन में कश्मीरी सेबों की मांग कम रही है, जिससे पिछले साल की तुलना में कीमतों में भारी गिरावट आई है। उत्पादकों ने कहा, हमें उर्वरकों, कीटनाशकों, मज़दूरी और परिवहन पर खर्च की गई राशि भी वापस नहीं मिल रही है। बाजार ठप्प है और हमारी मेहनत बेकार गई है।
उत्पादकों ने सरकार से माल ढुलाई शुल्क को नियंत्रित करने, कोल्ड स्टोरेज क्षमता बढ़ाने और कश्मीरी सेबों के लिए वैकल्पिक विपणन चैनल सुनिश्चित करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की। उन्होंने कहा कि बागवानी क्षेत्र घाटी की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार जल्द कार्रवाई नहीं करती है, तो पूरी अर्थव्यवस्था इस संकट का झटका महसूस करेगी।
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