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    कश्मीरी अखरोट की कीमतों में उछाल, अमेरिकी टैरिफ का कमाल, ऊड़ी क्षेत्र के उत्पादकों के लिए सुनहरा मौका

    By Raziya Noor Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Wed, 22 Oct 2025 06:15 PM (IST)

    कश्मीर में अखरोट उत्पादकों के लिए खुशखबरी है क्योंकि अमेरिकी टैरिफ के कारण कश्मीरी अखरोट की कीमतों में वृद्धि हुई है। ऊड़ी क्षेत्र के किसानों को इससे विशेष लाभ हो रहा है, क्योंकि उन्हें अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य मिल रहा है और उनकी आय में वृद्धि हो रही है। 

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    यह ऊड़ी क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए एक अच्छा संकेत है।

    जागरण संवाददाता, श्रीनगर। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ से भले ही स्थानी व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। परंतु घाटी के अखरोट उत्पादकों के लिए इस टैरिफ में हुई बढ़तरी वरदान सिद्ध हो रही है।

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    विशेषकर बारामूला जिले के ऊड़ी क्षेत्र के अखरोट उत्पादकों के लिए यह चैरिफ शुभ साबित हो रहा है। क्योंकि इससे वर्षों की स्थिरता के बाद अखरोट की कीमतों में नाटकीय रूप से उछाल आया है जिससे क्षेत्र के उत्पादक खुश है l क्षेत्र के लगमा इलाके के बेशकीमती अखरोट 600 प्रति किलोग्राम से ज़्यादा नहीं मिलते थे।

    हालांकि, इस सीज़न में, कीमतें लगभग दोगुनी होकर 1,200 प्रति किलोग्राम तक पहुँच गई हैं जो व्यापारियों और उत्पादकों, दोनों के लिए एक स्वागत योग्य बढ़ावा है।

    कश्मीरी अखरोट की घरेलू मांग बढ़ी

    स्थानीय व्यापारी इस अप्रत्याशित मूल्य वृद्धि का श्रेय वैश्विक व्यापार में बदलाव, विशेष रूप से पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को देते हैं। इस कदम ने भारत को अखरोट के आयात को कम करने के लिए प्रेरित किया जिससे स्थानीय रूप से उगाए गए कश्मीरी अखरोट की घरेलू मांग बढ़ी।

    उरी स्थित ड्राई फ्रूट एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद अमीन चालकू ने कहा, यह टैरिफ हमारे लिए एक वरदान साबित हुआ है। उन्होंने कहा, पिछले साल तक सस्ते विदेशी आयात बाज़ार में छाए रहते थे। लेकिन अब, कश्मीरी अखरोट पर ध्यान केंद्रित है और कीमतें आसमान छू रही हैं । उन्होंने कहा, यह स्थानीय व्यापारियों के लिए एक बड़ी राहत है।

    यह एक वरदान जैसा लगता है

    अखरोट किसानों के लिए, जो लंबे समय से गिरते मुनाफे से जूझ रहे थे, इस साल की तेज़ी लंबे समय से प्रतीक्षित आशा लेकर आई है। गरकोट गाँव के एक उत्पादक नियाज मलिक ने कहा, यह एक वरदान जैसा लगता है। सालों तक हमने बहुत मेहनत की लेकिन हमें कोई ख़ास फ़ायदा नहीं मिला। अब, पहली बार, हमारे उत्पाद को वह मूल्य मिल रहा है जिसका वह हक़दार है।

    हालांकि इस उत्साहजनक माहौल के बीच, व्यापारी सरकार से अखरोट की बिक्री पर लगाए गए 5% वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर पुनर्विचार करने का आग्रह कर रहे हैं।

    एक अन्य व्यापारी अब्दुल कदूस ने कहा, हम ऊंची कीमतों के लिए आभारी हैं। लेकिन जीएसटी अभी भी हमारे मुनाफे को खा जाता है। अगर सरकार इस कर को कम कर दे या हटा दे तो किसानों और व्यापारियों दोनों को काफी फायदा होगा।

    लगामा गुणवत्ता वाले अखरोटों के लिए मशहूर

    बता देते हैं कि ऊड़ी क्षेत्र का लगामा इलाका अच्छे व गुणवत्ता वाले अखरोटों के लिए मशहूर है। लगमा अखरोट बाज़ार लगभग तीन महीने, मध्य अगस्त से मध्य नवंबर तक, खुला रहता है। इस दौरान, इसके उच्च-गुणवत्ता वाले अखरोट दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और गुजरात सहित प्रमुख भारतीय शहरों में पहुँचाए जाते हैं।

    एक सदी से भी ज़्यादा समय से, लगमा देश के बेहतरीन अखरोट की गिरी का पर्याय रहा है। श्रीनगर-मुज़फ़्फ़राबाद मार्ग पर नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सिर्फ़ चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित, इस बाज़ार का गहरा ऐतिहासिक महत्व है।

    जावेद शफी नामक एक व्यापारी ने याद करते हुए कहा, यह बाज़ार 1947 के विभाजन से पहले से ही सक्रिय है। उस समय, उरी वर्तमान पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुज़फ़्फ़राबाद ज़िले का हिस्सा था। दोनों तरफ़ के व्यापारी यहां अखरोट समेत सूखे मेवे ख़रीदने और बेचने के लिए लाते थे।

    लाभदायक साल के रूप में याद किया जाएगा यह वर्ष 

    शफी ने बताया कि यह व्यापार हाजीपीर सेक्टर के सिलिकोट गांव से होकर घोड़ागाड़ियों के ज़रिए होता था जो अब हमारा हिस्सा है और एलओसी का सबसे नज़दीकी बिंदु है।

    वहीं जैसे-जैसे फसल का मौसम अपने चरम पर पहुंच रहा है, लागामा के व्यापारियों को आशा है कि यह वर्ष हाल के दिनों में सबसे अधिक लाभदायक वर्षों में से एक के रूप में याद किया जाएगा । यह उस बाजार के लिए पुनरुत्थान है जो समय और संघर्ष दोनों की कसौटी पर खरा उतरा है।