Saffron Farming: केसर की खेती से कश्मीरी किसानों की जेब हो रही गर्म, जीआई टैग ने उत्पादकों की बदली तकदीर
Saffron Farming कश्मीर के केसर को जीआई-टैग मिलने के बाद अब बाजार में अब केसर को अच्चा भाव मिल रहा है। केसर की पैदावार भी लगातार बढ़ रही है और उम्मीद क ...और पढ़ें

श्रीनगर, जागरण संवाददाता: Saffron Farming केसर के फूलों से अब सिर्फ खेत ही नहीं महकते, अब किसानों की जेब भी गर्म हो रही है, क्योंकि अब उन्हें अपनी पैदावार को बेचने के लिए मोलभाव नहीं करना पड़ता। कारण जीआई-टैग प्रमाणन की सुविधा। मिलावटखोर अब कश्मीरी केसर के नाम पर बाजार में घटिया और मिलावटी केसर नहीं बेच पा रहे हैं। केसर उत्पादन भी लगातार बढ़ रहा है।
बाजार में केसर थोक भाव में सवा दो लाख रूपये प्रति किलो से लेकर साढ़े तीन लाख रूपये प्रति किलो तक बिक रहा है। केसर की पैदावार भी लगातार बढ़ रही है और उम्मीद की जा रही है इस वर्ष यह 18 टन तक पहुंच जाएगी।
दुनिया के चुनिंदा देशाे में में पैदा होने वाले मसालों में केसर सबसे महंगा मसाला है। भारत में यह सबसे ज्यादा जम्मू कश्मीर और वह भी दक्षिण कश्मीर के पांपोर पुलवामा और जिला बडगाम व किश्तवाड़ में ही सबसे ज्यादा पैदा होता है।
कश्मीर में पैदा होने वाला केसर सबसे ज्यादा विशिष्ट और महंगा है, क्योंकि यह अपने रंग, खुशबु और औषधीय गुणों के आधार पर इरान व अन्य मुल्कों में पैदा होने वाले केसर पर भारी पड़ता है। पांपोर को केसर की क्यारी कहतेे हैं। कश्मीर में केसर की कृषि का इतिहास बरसों पुराना है। 500 ईसा पूर्व चीन के महान चिकित्सक वान जेन ने कश्मीर को केसर का घर बताया था।
केसर की मांग को देखते हुए कई मुनाफाखोरों ने जहां कश्मीरी केसर के नाम पर मिलावटी और घटिया केसर बेचना शुरु कर दिया था, वहीं उचित मूल्य न मिलने के कारण कई किसानों ने केसर की खेती से मुंह मोढ़ लिया था। इसके अलावा रही सही केसर के खेतों के आस पास कारखानों और अनियोजित शहरीकरण ने पूरी कर दी।
इससे केसर उत्पादन भी घटा और कश्मीरी केसर के दाम भी। कश्मीरी केसर को बचाने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय केसर मिशन शुरु करने के साथ ही कश्मीरी केसर के लिए जीआई टैग प्राप्त करने का प्रयास किया। केसर मिशन ने जहां किसानों को फिर से केसर की खेती के लिए प्रोत्साहित किया, वहीं जीआई टैग मिलने से कश्मीरी केसर की पहचान भी संरक्षित हो गई। जीआइ चिह्न का उपयोग उन वस्तुओं पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट क्षेत्र में पैदा होते हैं या बनाए जाते हैं और अपनी एक विशेष पहचान व गुणवत्ता रखते हैं।
पांपोर सैफरान फार्मर्स प्रोडयूसर्स कंपनी लिमिटेड के सीईओ उमर मंजूर ने कहा कि जीआई टैग मिलने से हम कश्मीरी केसर उत्पादकों को लाभ पहुंचा है। अब न सिर्फ घरेलू बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कश्मीरी केसर के नाम पर कोई दूसरा केसर नहीं बिक सकता।
जीआई टैग के कारण अब विदेशी बाजार में कश्मीरी केसर का निर्यात बढ़ रहा है। इरानी केसर जो हमारे लिए एक बड़ी चुनौती बना था, अब नहीं है। आप यहां कश्मीर में जीआई टैग वाला कश्मीरी केसर 2.30 लाख रूपये प्रति किलो से लेकर सवा तीन लाख रूपये प्रतिकिलाे की दर से प्राप्त कर सकते हैं।
जीआई टैग होने के कारण ग्राहक नहीं करता मोलभाव
अगर बिना जीआई टैग चाहें तो बाजार में आपको वह डेढ़ से दो लाख रूपये प्रति किलो की दर से मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि जीआई टैग होने के कारण आम ग्राहक कोई ज्यादा मोलभाव नहीं करता। यहां कश्मीर में कई दुकानदार रिटेल में तीन सौ से लेकर पांच सौ रूपये प्रति ग्राम की दर से जीआई टैग वाला केसर बेच रहे हैं।
कृषि निदेशक चौधरी मोहम्मद इकबाल ने कहा कि हमारा केसर दुनिया का सबसे बेहतरीन केसर है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा केसर है जिसे जियो टैगिंग प्राप्त है। उन्होंने कहा कि केसर मिशन और जीआई टैगिंग ने कश्मीरी केसर को फिर से बढ़ावा दिया है। किसानों को फायदा हो रहा है तभी तो फिर से केसर की खेती बढ़ रही है।
अगले पांच वर्ष में 20 टन तक ले जाना चाहते हैं उत्पादन
केसर की खेती सामान्यत: समुद्रतल से 1600 मीटर से 1800 मीटर की ऊचाई पर होती है और पांपोर इस जरुरत को पूृरा करता है। इसके अलावा केसर के लिए जो ठंडा और आर्द्र मौसम चाहिए, वह भी कश्मीर में है। हम इसका उत्पादन अगले पांच वर्ष में 20 टन तक ले जाना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि आपको यह जानकारी हैरानी होगी कि करीब 43 साल पहले तक वादी में 5707 हेक्टेयर जमीन पर केसर की खेती होती थी, जो वर्ष 2010 में सिमटकर 3715 हेक्टेयर रह गई थी। इसी दौरान केसर उत्पादन भी प्रति हेक्टेयर 3.13 किलोग्राम से घटकर 1.88 किलोग्राम रह गया था।
अब एक बार फिर लगभग 27 हजार हेक्टेयर जमीन पर खेती हो रही है जबकि 13 हजार हेक्टेयर जमीन को और विकसित किया जा रहा है। केसर मिशन के तहत बहाल की गई जमीन में हमने प्रति हेक्टेयर चार से पांच किलोग्राम केसर प्राप्त किया है।
केसर तो कश्मीर की है पहचान
कश्मीर चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष शेख आशिक अहमद ने कहा कि केसर तो कश्मीर की पहचान है। यह पीला सोना है इसलिए मसालों में सबसे कीमती है। इसका रंग सुनहरी होता है, यह पीला हो ता है, यह सदियों से कश्मीर में उगाया जा रहा है।
जीआई टैग ने केसर उत्पादकों की बदली तकदीर
कुछ वर्ष पहले तक कश्मीरी केसर की बाजार में धाक खत्म हो चली थी, किसानों ने भी इसकी खेती कम कर दी थी। पहले केसर मिशन और तीन वर्ष पहले मिले जीआई टैग ने केसर उत्पादकों की तकदीर बदल दी है। अब इसकी कीमत लगातार बढ़ रही है।

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