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    45 वर्षों तक हज पर जाने के लिए बेताब रहा बुजुर्ग, अब अल्लाह ने सुन ली दुआएं; जल्द करेगा काबे का दीदार

    Updated: Mon, 05 May 2025 03:48 PM (IST)

    श्रीनगर के अब्दुल रहमान राथर जो 45 वर्षों से गरीबी के कारण हज पर जाने के लिए तरस रहे थे उनकी दुआ अल्लाह ने सुन ली। कुपवाड़ा के एक व्यक्ति ने उनकी मदद करने का फैसला किया है और उनके हज पर जाने का पूरा खर्च उठाने का जिम्मा लिया है। राथर की खुशी का ठिकाना नहीं है और वे जल्द ही काबा के दर्शन करेंगे।

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    श्रीनगर के अब्दुल रहमान राथर जल्द करेंगे काबा का दीदार

    रजिया नूर, श्रीनगर। कहते हैं कि दिल से मांगी गईं दुआएं कभी रद नहीं होती। लगातार 45 वर्षों तक श्रीनगर के बेमिना इलाके के रहने वाले 70 वर्षीय अब्दुल रहमान राथर नामक एक वृद्ध ने हज पर जाने के लिए बेताब रहा लेकिन गरीबी उसको काबा के दीदार कराने में रोड़े अटकाती रही।

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    अब राथर की मांगी दुआएं, काबा के दीदार करने की तम्नाएं ऊपर वाले ने सुन ली और उसके हज पर जाने का बंदोबस्त करा दिया। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के एक व्यक्ति ने राथर को हज पर भेजने की जिम्मेदारी ली है और सऊदी अरब जाने के लिए आवश्यक दस्तावेज बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

    कैसे लाइमलाइट में आए अब्दुल रहमान राथर

    दरअसल राथर रविवार सुबह उस समय लाइमलाइट में आ गया जब बेमिना इलाके में स्थित हज हाउस (इस स्थान से हज श्रद्धालुओं को एकत्र कर श्रीनगर हवाई अड्डा रवाना किया जाता है) पहुंचे। श्रद्धालुओं के पहले काफिले को श्रीनगर हवाई अड्डे की तरफ रवाना किया जा रहा था और लोग हज पर जाने वाले अपने परिजनों को रुखसत कर रहे थे।

    वहीं किनारे पर खड़ा एक बुजुर्ग भी हाथ हिला हिला कर हज श्रद्धालुओं को दुआओं के बीच रुखसत करा रहा था। इस बीच वहां मौजूद पत्रकारों ने जब उसे पूछा कि उसका कौन परिजन हज पर जा रहा है, तो उसकी आंखें छलक पड़ी और कहा, मेरा तो कोई रिश्तेदार नहीं जा रहा। मैं बस अपने इन किस्मत वाले हाजियों को रुखसत कराने आया था और मैं यह बीते 45 वर्षों से करता आ रहा हूं।

    मुझे इससे दिल को तस्सली मिलती है। गरीबी के चलते मैं वहां तो नही जा पाया लेकिन अपने इन भाई बहनों बेटे,बेटियों को देख दिल को तस्सली मिलती है कि कम से कम उस पाक सरजमीं को जाने वाले अपने इन हाजियों का दीदार ही कर लूं।

    मैं बीते 45 बर्षों से इस तरह हर साल हाजियों को इसी तरह रुखसत करने आ जाता हूं। राथर ने कहा, इससे पहले टूरिस्ट रिसेप्शन सेंटर पर हाजियों को श्रीनगर एयरपोर्ट रवाना किया जाता था। मैं वहां भी जाता था। लेकिन हज हाउस बनने के बाद यहीं से हाजियों को रुख्सत किया जाता है। लिहाजा मैं यहां भी हर साल आता हूं। आज भी आया हूं।

    वीडियो वायरल होने के बाद कुपवाड़ा के व्यक्ति ने की मदद

    इधर सोशल मीडिया पर राथर का यह भावुक वीडियो वायरल होते ही उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के एक व्यक्ति ने राथर का यह सपना पूरा करने की ठान ली। जिले के हाइहामा इलाके के रहने वाले अब्दुल हमीद खान नामक इस व्यक्ति जोकि पेशे से ठेकेदार है।

    उन्होंने कहा कि मैंने सोशल मीडिया पर जब हज पर जाने के लिए तड़प रहे उस बुजुर्ग आदमी को देखा तो मेरी आंखों से आंसू आ गए। मुझे अपने पिता की याद आ गई। उन्हे भी हज पर जाने की तमन्ना थी, लेकिन वह पूरी नही हो सकी। मैंने फौरन अपने एक दोस्त को फोन कर उस बुजुर्ग आदमी के बारे में छानबीन करने को कहा। छानबीन के बाद पता चला कि वह बुजुर्ग आदमी वाकई दयनीय हालत में है। उसकी कोई औलाद नहीं है और पत्नी की वर्षों पहले मौत हो गई है।

    छानबीन पूरी होने के तुरंत बाद मैंने फैसला किया कि मैं हज पर जाने का उनका यह सपना पूरा करूंगा और हज पर जाने का उसका पूरा खर्चा उठाऊंगा। खान ने कहा,अगर मुझे पहले ही इस बुजुर्ग की ख्वाहिश का पता चलता तो इसी साल उसे हज पर भेज देता। लेकिन मुझे कल ही उसके बारे में पता चला। मैंने उसके पासपोर्ट व बाकी दस्तावेज बनाने की प्रोसेस शुरू कर दी है।

    राथर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं

    इधर यह जानने के बाद कि उनका यह सपना कुपवाड़ा का एक युवक पूरा कर रहा है, उसके बाद राथर की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। उनके लबों पर खुदा के शुक्र के साथ-साथ अब्दुल हमीद के लिए भी दुआएं हैं। जबकि हमीद का कहना है कि इसमें उसका ( हमीद का) कोई कमाल नही है।

    हमीद ने कहा कि अल्लाह ने दरअसल इस बुजुर्ग बाबा की वह दुआएं सुन ली हैं जो वह लगातार पिछले 45 वर्षों से मांगता आ रहा है। मुझे तो खुदा ने उन्हें हज पर पहुंचाने के लिए एक वसीला बना दिया है। हमीद ने कहा कि उन्हें हज पर भेज मुझे यह लगेगा कि जैसे मैंने अपने पिता की ख्वाहिश पूरी कर दी है।

    क्या है हज करने का महत्व?

    सनद रहे कि इस्लाम धर्म के पांच मौलिक स्तंभों में हज पांचवे नंबर पर है। इस धर्म के अनुसार हर वह मुसलमान जो हज करने की स्थिति में हो, उसको अवश्य यह फर्ज निभाने का हुक्म है। अलबत्ता भारी खर्चा आने के चलते गरीब लोग यह फर्ज चाह कर भी निभा नहीं पाते हैं। ज्ञात हो कि एक व्यक्ति पर हज पर जाने का खर्चा औसतन 4 से साढ़े चार लाख रुपये तक आता है।

    भारी खर्च के चलते श्रद्धालुओं में कमी

    गौरतलब है कि इस वर्ष हज पर भारी खर्चे के चलते जम्मू कश्मीर प्रदेश से हज पर जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भारी कमी देखने को मिली। हालांकि प्रदेश के लिए इस वर्ष हज कोटा 10,000 था अलबत्ता मात्र 3600 श्रद्धालुओं ही हज पर जाने की सभी औपचारिकताएं पूरी कर हज पर जाने के लिए अपना रास्ता हमवार कर पाए।