20 हजार दीयों से जगमगा उठा कश्मीर का लाल चौक, दीपोत्सव के साथ 'ऑपरेशन सिंदूर' के वीरों को भी किया नमन
कश्मीर के लाल चौक को 20 हजार दीयों से रोशन किया गया। यह दीपोत्सव 'ऑपरेशन सिंदूर' के शहीदों को समर्पित था, जिन्होंने देश के लिए बलिदान दिया। इस आयोजन ने देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता का संदेश दिया, और शहीदों के बलिदान को याद किया गया। लाल चौक पर दीयों की रोशनी से अद्भुत दृश्य बना।

कश्मीर: लाल चौक पर दीपोत्सव, 'ऑपरेशन सिंदूर' के वीरों को श्रद्धांजलि
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। रोशनी का त्योहार दीवाली पूरे कश्मीर में श्रद्धा और भाईचारे के साथ मनाया गया। लाल चौक के चहल-पहल भरे बाजार से लेकर विभिन्न मंदिरों तक घाटी अनगिनत दीयों की रोशनी में जगमगा उठी।
लाल चौक स्थित घंटाघर उत्सव के प्रतीक में बदल गया। इस ऐतिहासिक स्थल को रोशनी की लड़ियों से सजाया था और चारों ओर मिट्टी के दीयों की कतारें लगी थीं।
स्थानीय लोग और पर्यटक चौक पर उमड़ पड़े, तस्वीरें खींची और सुनहरे रंगों में नहाए श्रीनगर के दुर्लभ नजारे को कैद में कैद किया। कश्मीर में सोमवार और मंगलवार दोनों दिन दीवाली का खुमार छाया रहा। घंटाघर पर दोनों दिन लोगों ने दीये जलाए।
ऑपरेशन सिंदूर की तर्ज पर दीये जलाए
लाल चौक को 20,000 से ज्यादा दीयों से रोशन किया गया। भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता का सम्मान करते हुए, 'ऑपरेशन सिंदूर' की तर्ज पर मिट्टी के दीये जलाए गए। लोगों ने भारत माता की जय के जयघोष के नारे लगाते हुए भी दीये जलाए। स्थानीय लोग व पर्यटक उत्सव की शुरुआत के लिए घंटाघर के पास एकत्र हुए।
जगमगाते दीयों की कतारें अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक थीं, जो पूरे चौक में गर्मजोशी और सकारात्मकता का संचार कर रही थीं। वातावरण भक्ति गीतों से भरा हुआ था, जिससे सचमुच उत्सव का माहौल बन गया।
आयोजकों ने कहा कि इस वर्ष के बड़े पैमाने पर उत्सव का उद्देश्य सांप्रदायिक सद्भाव और सांस्कृतिक एकता की भावना को उजागर करना है जो कश्मीर की पहचान है। कार्यक्रम के एक स्वयंसेवक ने कहा, लाल चौक पर 20,000 दीये जलाना केवल देखने लायक आनंद से कहीं अधिक है। यह शांति और साझा खुशी का संदेश है।
कश्मीर में दिखी भाईचारे की मिसाल
स्थानीय कश्मीरी पंडित ने कहा, दीवाली एक ऐसा त्योहार है जो हमें याद दिलाता है कि प्रकाश हमेशा अंधकार पर विजय प्राप्त करता है। हम न केवल अपने परिवारों के लिए, बल्कि पूरे कश्मीर में शांति और सद्भाव के लिए प्रार्थना करते हैं। हमारे मुस्लिम पड़ोसी भी हमें बधाई देने, मिठाइयां बांटने और उत्सव में शामिल होने आए। सज्जाद नामक एक स्थानीय युवक ने कहा, दीवाली और ईद जैसे त्योहार ऐसे अवसर होते हैं जहां धर्म से परे दिल मिलते हैं। आज हम अपने हिंदू दोस्तों से मिलने गए और एक-दूसरे के लिए प्रार्थना की। डल झील, राजबाग और शहर के बाहरी इलाके आतिशबाजी से जगमगा उठे।
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