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    आतंक को करारा तमाचा... पहलगाम हमले के चार महीने बाद कश्मीर में दिखने लगी रौनक, पर्यटकों से गुलजार हुई गुरेज घाटी

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 03:25 PM (IST)

    कभी दहशत के लिए जाना जाने वाला गुरेज घाटी अब पर्यटकों से गुलजार है। इस साल लगभग 30 हजार पर्यटक यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले चुके हैं। किशनगंगा नदी के किनारे स्थित यह घाटी जो एलओसी से सटी है अब भयमुक्त है और लोगों में उत्साह भर रही है। पर्यटक यहाँ के मनमोहक दृश्य बर्फ से ढके पहाड़ और स्थानीय लोगों की मेहमाननवाजी से बहुत खुश हैं।

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    कश्मीर की गुरेज घाटी पर्यटकों से गुलजार हो रही है (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। उत्तरी कश्मीर में एलओसी से सटी गुरेज घाटी जहां कभी पाकिस्तानी गोलाबारी के कारण विरानी पसरी रहती थी। बाहर से कोई आना तो दूर स्थानीय लोग भी घरों से बाहर ज्यादा देर तक घूमने से बचते थे, क्योंकि किसी भी समय पाकिस्तानी सेना के गोलों के साथ मौत बरसने का डर रहता था।

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    शाम होते ही लोग घरों के दरवाजे बंद कर लेते थे, क्योंकि एलओसी पार से आने वाले आतंकियों के आने की आशंका रहती थी। गुरेज में भय और आशंका की वीरानी खत्म हो चुकी है। लोगों में उत्साह और सुखद भविष्य की उमंगे हिलोरे ले रही है। हालात में बेहतरी के साथ अब गुरेज में पर्यटकों की आमद लगातार बढ़ रही है।

    मौजूदा वर्ष में गुरेज में लगभग 30 हजार पर्यटक आ चुके हैं। उनकी आमद का सिलसिला लगातार बढ़ रहा है। जो आता है, वह यहां के प्राकृतिक सौंदर्य व स्थानीय लोगों की मेहमाननवाजी का कायल हुए बिना नहीं रहता। यही कारण गुरेज देश के सबसे लोकप्रिय आफबीट पर्यटन स्थलों में सबसे आगे अपनी पहचान बना रहा है।

    पहलगाम हमले के बाद बंद हो गई थी घाटी

    बांडीपोरा प्रशासन के अनुसार, इस वर्ष गर्मियों में अब तक गुरेज में 29479 पर्यटक आए हैं। इनमें 26234 स्थानीय और 3245 बाहरी पर्यटक हैं।  किशनगंगा दरिया के किनारे स्थित गुरेज में इस वर्ष पर्यटन जोर पकड़ता, उससे पहले पहलगाम में आतंकी हमला हो गया।

    इससे उत्पन्न हालात में गुरेज को पर्यटकों के लिए बंद कर दिया। उसके बाद सैन्य तनाव के दौरान गुरेज में पाकिस्तानी गोले गिरे। स्थानीय लोगों को अपनी जान बचाने के लिए बंकरों में शरण लेनी पड़ी। गत माह गुरेज को पर्यटकों के लिए खोला।

    इस माह छह-सात अगस्त को गुरेज महोत्सव का आयोजन किया गया। विधायक नजीर अहमद गुरेजी ने कहा कि आप गुरेज आएं, यह पूरे कश्मीर में सबसे खूबसूरत,शांत और सुरक्षित है। आप यहां आकर एक अलग ही अनुभव करेंगे। यहां आप ट्रैकिंग करें, नदी के आस पास के खूबसूरत वादियों में सैर करें, कैंपिंग करें।

    गुरेज घाटी की खूबसूरती के कायल हुए पर्यटक

    यहां की लोक संस्कृति को देखें। आज गुरेज में आकर कोई नहीं कह सकता कि यहां करीब एक-दो माह पहले वीरानी नजर आ रही थी। स्थानीय लोगों के आतिथ्य से खुश हैं।  पर्यटक गुरेज के मनमोहक दृश्यों, बर्फ से ढके पहाड़ों और सांस्कृतिक समृद्धि की प्रशंसा कर रहे हैं।

    किशनगंगा नदी के किनारे शिविरों और ट्रैकिंग ट्रेल्स ने घाटी को साहसिक उत्साही और शांति चाहने वालों के लिए एक केंद्र बना दिया है। गुरुग्राम से आए पर्यटकों के समूह ने कहा कि वे स्थानीय लोगों के स्नेह से खुश हैं। उन्होंने गुरेज टूर को एक अविस्मरणीय अनुभव बताया।

    बेंगलुरु की एक महिला पर्यटक वश्री ने गुरेज को छिपा हुआ स्वर्ग बताया। उन्होंने प्रकृति से प्यार करने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों को इस सुंदरता का आनंद लेने के लिए गुरेज आने का आग्रह किया। पर्यटकों ने भोजन और आवास की बेहतर सुविधाओं की भी सराहना की।

    पहले डर कर रहते थे गुरेज के लोग

    कई पर्यटक तो इतने उत्साहित दिखे कि उन्होंने घाटी में दोबारा आने का संकल्प लिया और दूसरों को भी आने के लिए प्रोत्साहित किया है।  पर्यटन ने आजीविका कमाने का मौका दिया।  गुरेज निवासी एजाज डार ने कहा कि शांति के इस वातावरण ने लोगों को पर्यटन से आजीविका कमाने का मौका दिया है।

    पहले हम डर में रहते थे और अक्सर बंकरों में शरण लेनी पड़ती थी। अब बड़ी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं और इसने हमारे लिए नए अवसर खोले हैं। हम बस यही उम्मीद करते हैं कि यह शांति बनी रहे। गुरेज के लोग आशावादी सोच के साथ आगे देख रहे हैं।

    उम्मीद करते हैं कि सीमा पर शांति इसी तरह बनी रहेगी, जिससे घाटी अपने निवासियों के लिए एक शांतिपूर्ण घर और पर्यटकों के लिए एक बेहतर गंतव्य के रूप में फल-फूल सकेगी।