कश्मीर में ड्रग्स का जाल, पांच सालों में 540 तस्कर गिरफ्तार, नेटवर्क में सरकारी कर्मचारी और पुलिस वाले भी शामिल
कश्मीर में पिछले पांच सालों में 540 ड्रग तस्कर गिरफ्तार हुए हैं। इस नेटवर्क में सरकारी कर्मचारियों और पुलिसकर्मियों की मिलीभगत भी सामने आई है। नशीली दवाओं का कारोबार तेजी से फैल रहा है, जिससे युवा पीढ़ी प्रभावित हो रही है। पुलिस इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए लगातार कार्रवाई कर रही है।

पुलिसिंग के साथ-साथ कम्युनिटी की भागीदारी, जागरूकता और रिहैबिलिटेशन की ज़रूरत।
डिजिटल डेस्क, जागरण, श्रीनगर। कश्मीर में ड्रग्स तस्कर अपनी जड़े मजबूत करने में लगे हुए हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस के प्रयासों के बावजूद नेश का यह कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। घाटी में ड्रग का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है, अलग-अलग जिलों के सरकारी आंकड़े नारकोटिक्स से जुड़े क्राइम और लत की खतरनाक तस्वीर दिखाते हैं।
आरटीआई में यह खुलासा हुआ है कि उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में जनवरी 2020 और जून 2025 के बीच 540 ड्रग पेडलर गिरफ्तार किए गए।
कुपवाड़ा के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस के ऑफिस से मिले डेटा से यह भी पता चलता है कि इसी दौरान चोरी के 428 मामले दर्ज किए गए। जिनमें से कई को नारकोटिक्स के बढ़ते असर से जुड़ा माना जाता है।
कारोबार में सरकारी कर्मचारी-पुलिस वाले भी शामिल
पुलिस ने पांच साल में कुपवाड़ा में बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित सामान बरामद किया, जिसमें 55 किलोग्राम चरस, 171 किलोग्राम ब्राउन शुगर और 77 किलोग्राम हेरोइन शामिल है। हैरानी की बात यह है कि इन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि ड्रग्स से जुड़े मामलों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोगों में 27 सरकारी कर्मचारी और 21 पुलिस वाले शामिल हैं, जो सरकारी रैंक में नारकोटिक्स के धंधे की गहरी पैठ को दिखाता है।
जागरूकता के बावजूद गिरफ्तारियां बढ़ रही
इस बीच, दक्षिण कश्मीर के अवंतीपोरा में भी ऐसे ही ट्रेंड दिख रहे हैं, जहाँ पुलिस ने ड्रग्स की तस्करी और नशे के सेवन के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, पिछले पांच सालों में 515 ड्रग्स बेचने वालों और 47 नशेड़ियों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई, हालांकि बड़े पैमाने पर है, चुनौती के पैमाने को दिखाती है, क्योंकि शहर में बार-बार जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद ड्रग्स से जुड़ी गिरफ्तारियां लगातार हो रही हैं।
पुलवामा जिले में 398 तस्कर किए गिरफ्तार
पुलवामा जिले में, पुलिस ने 2020 से 398 ड्रग्स बेचने वालों और 16 नशेड़ियों को हिरासत में लिया है, जो दिखाता है कि यह संकट अलग-अलग इलाकों से कहीं ज़्यादा फैला हुआ है। अधिकारी और एक्सपर्ट ड्रग्स के सेवन में बढ़ोतरी के लिए कई वजहों को ज़िम्मेदार मानते हैं कि स्थानीय तस्करी नेटवर्क, हेरोइन तक आसान पहुंच, बेरोज़गारी और सामाजिक-राजनीतिक तनाव। 17 से 33 साल के युवा सबसे कमज़ोर ग्रुप बने हुए हैं, जिसमें हेरोइन सबसे ज़्यादा गलत इस्तेमाल होने वाला नशा बन गया है।
इलाज करने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ी
रिहैबिलिटेशन के लिए कम इंफ्रास्ट्रक्चर होने से यह समस्या और बढ़ गई है। श्रीनगर में इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज़ (IMHANS) ने बताया है कि नशे की लत का इलाज करवाने वाले मरीज़ों की संख्या बहुत ज़्यादा है। सामाजिक बदनामी और ग्रामीण ज़िलों में नशा छुड़ाने की खास सुविधाओं की कमी से यह संकट और बढ़ गया है।
समाज को भी आगे आने की जरूरत
अधिकारियों का कहना है कि इस खतरे को रोकने के लिए सिर्फ़ गिरफ़्तारी से ज़्यादा की ज़रूरत है। एक अधिकारी ने कहा, "यह एक ऐसी लड़ाई है जिसमें पुलिसिंग के साथ-साथ कम्युनिटी की भागीदारी, जागरूकता और रिहैबिलिटेशन की ज़रूरत है।"
महामारी का रूप ले चुका है नशा
एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि कश्मीर में ड्रग्स की समस्या महामारी के लेवल तक पहुंच गई है। स्टडीज़ का अनुमान है कि घाटी की लगभग 11 प्रतिशत आबादी – लगभग 1.35 मिलियन लोग – नशे की लत से प्रभावित हैं, जिससे यह इस इलाके की सबसे बड़ी पब्लिक हेल्थ और सोशल चुनौतियों में से एक बन गई है।
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