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    अब Bipin Rawat Stadium के नाम से जाना जाएगा झेलम स्टेडियम, CODS का बारामूला से रहा खास नाता

    By naveen sharmaEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Sat, 09 Dec 2023 01:08 PM (IST)

    उत्तरी कश्मीर में जिला बारामूला में स्थित झेलम स्टेडियम जांबाजपोरा अब जनरल बिपिन रावत स्टेडियम (General Bipin Rawat Stadium) के नाम से जाना जाएगा। जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने शुक्रवार को स्टेडियम का नाम देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखे जाने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। जनरल बिपिन रावत और उनके पिता का बारामूला से पुराना नाता रहा है।

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    अब Bipin Rawat Stadium के नाम से जाना जाएगा झेलम स्टेडियम

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। Jammu-Kashmir News:   उत्तरी कश्मीर में जिला बारामूला में स्थित झेलम स्टेडियम, जांबाजपोरा अब जनरल बिपिन रावत स्टेडियम (General Bipin Rawat Stadium) के नाम से जाना जाएगा। जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन ने शुक्रवार को स्टेडियम का नाम देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के नाम पर रखे जाने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

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    बिपिन रावत स्टेडियन के नाम से जाना जाएगा झेलम स्टेडियम

    संबधित अधिकारियों ने बताया कि युवा सेवा एवं खेल विभाग और जिला उपायुक्त बारामूला को झेलम स्टेडियम जांबाजपोरा का नाम बदलने और संबधित रिकॉर्ड में आवश्यक बदलाव करने और अन्य औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए तत्काल कार्रवाई के लिए कहा गया है।

    बिपिन रावत और उनके पिता का बारामूला से पुराना नाता

    मंडलायुक्त कश्मीर को निर्देश दिया गया है कि वह स्टेडियम का नाम जनरल बिपिन रावत किए जाने के संदर्भ में एक भव्य समारोह का आयोजन सुनिश्चित बनाएं। समारोह में स्टेडियम का नाम औपचारिक रूप से बदला जाएगा।

    बारामूला के निसार यत्तु ने कहा कि जनरल बिपिन रावत और उनके पिता का बारामूला से पुराना नाता रहा है।

    मेजर के पद पर बारामूला में बिपिन रावत ने दी थी सेवाएं

    उनके पिता भी बारामूला में और उड़ी में तैनात रहे थे और उनका स्थानीय लोगों के साथ संवाद-समन्वय मजबूत था। जनरल बिपिन रावत यहां मेजर के रूप में पहली बार आए थे। उन्होंने उड़ी में एक कंपनी की कमान संभाली थी। जब वह ब्रिगेडियर बने तो उन्होंने सोपोर में राष्ट्रीय राइफल्स के पांच सेक्टर की कमान संभाली थी।

    आतंक कुचलने में निभाई अहम भूमिका

    वह उड़ी में सेना की 19वीं इन्फैंट्री डिविजन के भी जीओसी रहे हैं। उन्होंने यहां आतंकवाद को कुचलने, कई नामी पत्थरबाजों को मुख्यधारा में शामिल होने राष्ट्र निर्माण में लगाने में अहम भूमिका निभायी है। जब वह थलसेना प्रुमख बने और जब उन्होंने सीडीएस का कार्यभार संभाला ताे भी वह निजी तौर पर बारामूला में शांति बहाली और स्थानी युवाओं के कल्याण में निजी रूचि लेते थे। वह समय मिलने पर बारामूला आते थे ।

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    बारामूला के लोगों ने अर्पित की श्रद्धांजलि 

    उनका यहां कई लोगों के साथ सीधा संवाद था। बारामूला अगर आज पत्थरबाजों से मुक्त है तो उसका श्रेय आप उन्हें ही दें। जांबाजपोरा मे स्थित झेलम स्टेडियम का नाम जनरल बिपिन रावत कर प्रशासन ने उन्हें बारामूला के लोगों की तरफ से एक श्रद्धांजलि अर्पित की है। 

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