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    जम्मू-श्रीनगर हाईवे बनेगा पर्पल राजमार्ग, बनिहाल-काजीगुंड के बीच लैवेंडर की खेती से सुगंधित और आकर्षक होगा सफर

    By Satnam Singh Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Mon, 10 Nov 2025 12:21 PM (IST)

    जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनिहाल से काजीगुंड तक लैवेंडर के पौधे लगाकर सुगंधित और सुंदर बनाने की पहल की जा रही है। इस परियोजना का उद्देश्य राजमार्ग को आकर्षक बनाना, पर्यावरण को सुधारना और पर्यटन को बढ़ावा देना है। एक लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है, जिससे यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा और स्थानीय किसानों को भी लाभ होगा।

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    इस पहले से स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ भी मिलेगा।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग अब सिर्फ सफर का रास्ता नहीं बल्कि एक खूबसूरत और सुगंधित अनुभव बनने जा रहा है।

    राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने बनिहाल से काजीगुंड के बीच 16 किलोमीटर लंबे हिस्से पर लैवेंडर के पौधे लगाने की पहल शुरू की है। इस परियोजना का उद्देश्य राजमार्ग को न सिर्फ आकर्षक बनाना है, बल्कि पर्यावरणीय सौंदर्य और सुगंध पर्यटन को भी बढ़ावा देना है।

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    राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण परियोजना निदेशक शुभम यादव ने बताया कि हमारे राजमार्ग सिर्फ यात्रा के साधन नहीं, बल्कि प्रकृति के सौंदर्य का प्रतीक बनें। यही हमारा उद्देश्य है। लैवेंडर की खेती से न केवल पर्यावरण में सुधार होगा, बल्कि स्थानीय समुदायों को आर्थिक लाभ भी मिलेगा।

    यह पहल वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के भारतीय एकीकृत औषधि संस्थान (सीएसआइआर-आइआइआइएम) के सहयोग से की जा रही है। परियोजना के तहत 200 कनाल भूमि पर लैवेंडर की खेती की जा रही है। यादव ने बताया कि काजीगुंड-बनिहाल (अटल टनल) के दोनों सिरों पर पौधारोपण का कार्य आरंभ हो चुका है।

    1 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया

    उन्होंने कहा कि उत्तर पोर्टल पर 23000 और दक्षिण पोर्टल पर 29000 लैवेंडर पौधे लगाए जा चुके हैं। कुल मिलाकर 1 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। अधिकारियों के अनुसार, जब ये पौधे खिलेंगे, तो यह हिस्सा यात्रियों और पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण केंद्र बन जाएगा।

    बर्फ से ढकी चोटियों के बीच दोनों ओर फैले बैंगनी फूल इस राजमार्ग को एक खूबसूरत पर्पल हाइवे में बदल देंगे। लैवेंडर को अक्सर पर्पल गोल्ड कहा जाता है क्योंकि इसकी मांग आवश्यक तेलों और सुगंध उत्पादों में बहुत अधिक है। अधिकारियों का मानना है कि इस परियोजना से स्थानीय किसानों को लैवेंडर की खेती अपनाने के लिए प्रेरणा मिलेगी।

    जैसा कि भद्रवाह क्षेत्र में हुआ है, जिसे अब इंडिया की लैवेंडर वैली कहा जाता है। अगर यह पहल सफल रही, तो बनिहाल-काजीगुंड का यह हिस्सा हिमालय की सबसे सुंदर सड़कों में से एक बन सकता है, जहां वाहन लैवेंडर की सुगंध से महकती घाटियों के बीच से गुजरेंगे।