जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की नापाक हरकत, सुरक्षाबलों पर निगरानी रखने के लिए कर रहे ड्रोन का इस्तेमाल
श्रीनगर जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर निगरानी रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। वे इसका उपयोग रसद जुटाने और अपने ठिकानों की निगरानी के लिए भी कर रहे हैं। पिछले पांच सालों में ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क कमजोर होने के बाद आतंकी अब ड्रोन का सहारा ले रहे हैं। पाकिस्तानी सेना भी हथियारों की तस्करी के लिए ड्रोन का उपयोग करती रही है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में सक्रिय आतंकियों ने अब सुरक्षाबलों की गतिविधियों की निगरानी के लिए अपने स्थानीय नेटवर्क के बजाय ड्रोन की मदद लेना शुरु कर दिया है। आतंकी इनका इस्तेमाल रसद प्राप्त करने से लेकर अपने ठिकानों के आस पास के इलाकों की निगरानी के लिए भी कर रहे हैं।
आतंकियों द्वारा ड्रोन को अपने किसी ओवरग्राउंड वर्कर की तरह इस्तेमाल की अपनायी जा रही रणनीति सुरक्षाबलों के लिए एक नई चुनौती पैदा कर रही है। आतंकी अब आम नागरिकों और अपने मुखबिरों व साथियों के साथ कम से कम संपर्क बना रहे हैं।
ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क लगभग नष्ट
संबधित अधिकारियों के अनुसार, विगत पांच वर्ष के दौरान कश्मीर घाटी समेत पूरे जम्मू कश्मीर में आतंकियों का ओवरग्राउंड वर्कर नेटवर्क लगभग नष्ट हो चुका है। कईयों ने सुरक्षाबलों से बचने के लिए आतंकियों से नाता तोड़ छिपना बेहतर समझा है और कई गिरफ्तारी के बाद विभिन्न जेलों में अपने दिन गिन रहे हैं।
आतंकी भी अब अपने मुखबिरों के साथ या ओवरग्राउंड वर्करों के साथ न्यूनतम संपर्क रख रहे हैं,क्योंकि उन्हें आशंका रहती है कि कहीं वह इनके जरिए सुरक्षाबलों के हत्थे न चढ़ जाएं। वह अगर ओवरग्राउंड वर्करों से कहीं सामान मंगवा भी रहे हैं तो उन्हें सिर्फ एक जगह विशेष बताई जाती है।
उन्होंने बताया कि आतंकियों द्वारा ह्यूमन नेटवर्क से ड्रोन की तरफ जाना, जम्मू कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा और पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे छद्म युद्ध में एक नया मोड़ है।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी व आतंकी संगठन गुलाम जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान से जम्मू कश्मीर में हथियारों व नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए या फिर सीमांत इलाकों की टोह लेने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रही थी।
अब इसका इस्तेमाल अन्य गतिविधियों में भी किया जाने लगा है। उन्होंने जम्मू एयरपोर्ट पर 27 जून 2021 को यूएवी के जरिए हमले की घटना का हवाला देते हुए कहा कि इस घटना ने बहुत कुछ बदल कर रख दिया है। यह जम्म- कश्मीर में आतंकियों द्वारा किसी जगह पहला सीधा हमला था।
इन इलाकों में आतंकी भी कर रहे ड्रोन का इस्तेमाल
उन्होंने बताया कि राजौरी-पुंछ, किश्तवाड़, उधमपुर-डोडा -कठुआ और कश्मीर घाटी के विभिन्न ऊंचाई वाले और वनीय इलाकों में छिपे आतंकी ड्रोन का इस्तेमाल सुरक्षाबलों की गतिविधियों की निगरानी के लिए भी कर रहे हैं।
इसी कारण जब सुरक्षाबल कभी आतंकियों के ठिकानों के पास पहुंचते हैं, आतंकी वहां से निकलने में कामयाब रहते हैं। उन्होंने कहा कि कई जगहों पर आतंकी ठिकानों तक राशन पहुंचाने में ड्रोन के इस्तेमाल की संभावना भी जताई जा रही है।
उन्होंने कहा कि ड्रोन का इ्स्तेमाल आतंकियों की घुसपैठ को सुरक्षित बनाने के लिए भी किया जा रहा है। पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर आतंकियों की सुरक्षित घुसपैठ को सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर संबधित इलाकों में भारतीय सुरक्षाबलों की मौजूदगी और क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों का आकलन करती है। इससे पहले उसे गाइडों और जासूसों का सहारा लेना पड़ता था और उनके पकड़े जाने या मारे जाने का जोखिम रहता था।
आतंकी संगठनों की हुई थी बैठक
इस बीच, एक अन्य सूचना के मुताबिक, गुलाम जम्मू कश्मीर में गत मई अंतिम दिनों में लश्कर, जैश व अन्य आतंकी संगठनों के शीर्ष कमांडरों की एक बैठक हुई। इसमें पाकिस्तानी सेना और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
बैठक में आतंकियों की भर्ती बढ़ाने के अलावा घुसपैठ की कोशिशों से पहले की स्थिति पर नजर रखने के लिए नियंत्रण रेखा पर ड्रोन निगरानी के महत्व" पर जोर दिया गया था।
बैठक में तय किया गया था कि घुसपैठ के लिए पुराने गाइडों की मदद लेने के बजाय जीपीएस का प्रयोग किया जाए या फिर गुलाम जम्मू कश्मीर के गाइडों को ही इस्तेमाल किया जाए। इसके अलावा कई आतंकी कैंपों और लॉन्चिंग पैड को भी उनके मौजूदा स्थानीय से अन्यत्र स्थानांतरित करने पर बैठक में चर्चा हुई है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारी ने क्या कहा?
इस बीच, जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ड्रोन के खतरे से निपटने के लिए ही और आतंकियों या उनके साथियों द्वारा ड्रोन का प्रयोग न किया जाए, इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन के उड़ाने पर पहले ही पाबंदी लगाई जा चुकी है। उन्होंने कहा कि अगर किसी निजी व्यक्ति को ड्रोन का प्रयोग करना है तो उसे इसके लिए पहले अनुमति लेनी होती है।
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