जम्मू-कश्मीर के युवाओं के लिए रोजगार की भरमार, 100 करोड़ की लागत से बनेगा एक्वा पार्क
जम्मू-कश्मीर में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत एक्वा पार्क का निर्माण किया जाएगा जिस पर 100 करोड़ की लागत आएगी। अनंतनाग को शीत जल मत्स्य पालन कलस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा जिसमें शोपियां और कुलगाम भी शामिल होंगे। केंद्र सरकार ने डेनमार्क से ट्राउट मछली के आनुवंशिक रूप से उन्नत अंडे के आयात की सुविधा प्रदान की है जिससे उत्पादन में वृद्धि हुई है।
राज्य ब्यूरो,श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में मत्स्य पालन में रोजगार की संभावनाओं के विस्तार के लिए एकीकृत एक्वा पार्क का निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा अनंतनाग को शीत जल मत्स्य पालन कलस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा। इस कलस्टर में दक्षिण कश्मीर के दो अन्य जिले शोपियां व कुलगाम भी शामिल रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि ताजे ठंडे पानी की मछली ट्राउट के कुल राष्ट्रीय उत्पादन में जम्मू कश्मीर की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है। केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने बताया कि इस एकीकृत एक्वा पार्क पर 100 करोड़ की लागत आएगी। यह समग्र शीत जलीय कृषि विकास के लिए एक मॉडल के रूप में काम करेगा। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित पार्क प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के द्वितीय चरण के तहत बनाया जाएगा।
इस बीच, कृषि उत्पादन और मत्स्य पालन विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि कुछ वर्षों में प्रदेश में कृषि, बागवानी, पशुपालन, पोल्ट्री, डेयरी और मत्स्य पालन के क्षेत्र में व्यापक सुधार हुआ है। जम्मू-कश्मीर में नीली क्रांति का व्यापक असर दिख रहा है और मत्स्य पालन क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर अन्य हिमालयी राज्यों की तुलना में कहीं आगे है।
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर सरकार के लिए डेनमार्क से रेनबो और ब्राउन ट्राउट मछलियों के 13.40 लाख आनुवंशिक रूप से उन्नत अंडे (ओवा) के आयात की सुविधा प्रदान की। इससे ट्राउट मत्स्य पालकों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले मछली बीज की उपलब्धता में काफी सुधार हुआ है। उत्पादन लगभग चार गुना बढ़ चुका है। वहीं ट्राउट मछली का उत्पादन नौ गुणा हो चुका है।
यह है एक्वा पार्क
समेकित एक्वा पार्क एक ऐसा हब है जहां मत्स्य पालन के साथ जलीय संपदा के विभिन्न आयाम शामिल रहते हैं। एक्वा पार्क में मत्स्य पालन के लिए विभिन्न प्रकार के बीज का विकास और मछली पालन के लिए बाजार, लाजिस्टिक्स समेत निर्यात की संभावनाओं के विकास पर भी फोकस रहता है।
साथ ही इसमें नई तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। निजी निवेश किया जा रहा केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि युवाओं को सूक्ष्म और लघु स्तर के पशुधन एवं मत्स्य पालन उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने से रोजगार सृजन एवं समावेशी विकास किया जा सकता है।
केंद्र ने हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 852 करोड़ देने की प्रतिबद्धता जताई है। इसमें से जम्मू-कश्मीर को 300 करोड़ मिलेंगे। इससे उत्पादन, बुनियादी ढांचे और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जा सकेगा। मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि के तहत शीत जल मत्स्य पालन में 120 करोड़ से अधिक का निजी निवेश किया जा रहा है।
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