जम्मू-कश्मीर में किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच नहीं होगा विवाद, उमर सरकार सदन में पेश करेगी प्राधिकरण विधेयक
जम्मू-कश्मीर में किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच विवाद कम करने के लिए उमर अब्दुल्ला सरकार एक प्राधिकरण विधेयक पेश करेगी। इस विधेयक का उद्देश्य दोनों पक्षों के अधिकारों की रक्षा करना है। सरकार एक किराया प्राधिकरण स्थापित करेगी जो विवादों का समाधान करेगा। विधेयक में किराया निर्धारण और बेदखली के नियम भी शामिल हैं, जिससे विवादों का त्वरित समाधान हो सकेगा।

उमर अब्दुल्ला फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। प्रदेश सरकार किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच अक्सर पैदा होने वाले विवादों के समाधान के लिए किराया प्राधिकरण का गठन करने जा रही है। सोमवार को विधानसभा सत्र में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जिनके पास आवास एवं शहरी विकास विकास विभाग का कार्यभार है, किराया प्राधिकरण विधेयक पेश करने जा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, प्रस्तावित विधेयक अगर पारित होता है तो यह जम्मू कश्मीर (आवासीय एवं व्यावसायिक किरायेदार) अधिनियम, 2012 की जगह लेगा। इसी कानून को आधार बनाकर संबंधित पक्षों की दिक्कतों का संज्ञान लेते नया कानून लाया जा रहा है। मौजूदा कानून में मकान मालिक और किरायेदार के हितों के संरक्षण को लेकर अस्पष्टता थी। कई मामलों में संबंधित कानून में विरोधाभास की शिकायतें थी।
उसमें संबंधित विवादों के समाधान के लिए प्रविधानों की कमी है। अधिकारियों ने बताया कि प्राधिकरण के पास किराये पर दिए जानेवाले व्यावसायिक और आवासी संपत्तियों के संदर्भ में अनुबंध के पंजीकरण, उसकी निगरानी का अधिकार होगा।
प्राधिकरण किराये से जुड़ी शिकायतों की सुनवाई और मामलों के रिकार्ड बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होगा। प्राधिकरण मकान मालिकों और किरायेदारों के बीच विवादों के समाधान के लिए व्यावाहरिक, सरल और त्वरित प्रक्रिया अपनाएगा। अदालतों पर संबंधित मामलों का बोझ कम होगा। विवाद से संबंधित कई मामले अदालत में 60-70 वर्ष से भी लंबित पड़े हैं।

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