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    जम्मू कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर सियासत जारी, सरकार ने दो और जातियों को ओबीसी में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा

    By Naveen Sharma Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 02:12 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज है। सरकार ने दो और जातियों को ओबीसी में शामिल करने का प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजा है। वहीं, ...और पढ़ें

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    22 दिसंबर के बाद ओपन मेरिट वर्ग से संबधित युवाओं ने मुख्यमंत्री के घर के बाहर धरने की चेतावनी दे रखी है।

    राज्य ब्यूराे, श्रीनगर। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में आरक्षण नीति को लेकर जारी सियासत के बीच प्रदेश सरकार ने कथित तौर पर दो और जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने का भी प्रस्ताव भी उपराज्यपाल को भेजा है।

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    अलबत्ता, अधिकारिक स्तर पर इसकी पुष्टि नहीं हुई है। इस बीच, पीपुल्स कान्फ्रेंस के महासचिव इमरान रजा अंसारी ने आर्थिक रूप से पिछड़े और पिछड़ा क्षेत्र वर्ग निवासी के आरक्षण कटौती में की आलोचना करते हुए कहा कि आरक्षण को युक्तिसंगत बनाने के बजाय सरकार सिर्फ दिखावा कर रही है जबकि सिख समुदाय ने भी अपने लिएआरक्षण की मांग पर जोर देते हुए कहा कि अल्पसंख्यक होने के बावजूद उसे आरक्षण के लाभ से जानबूझकर वंचित किया जा रहा है।

    आपको बता दें कि जम्मू कश्मीर में आरक्षण नीति को लेकर विवाद चल रहा है। सामान्य वर्ग जिसे ओपन मेरिट कहते हैं, आरक्षित वर्गाे के कोटे को 50 प्रतिशत या फिर उससे कम किएजाने की मांग कर रहा है। आरक्षण कोटे में कटौती काे लेकर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के घर के बाहर प्रदर्शन भी हो चुका और इसे हल न किए जाने की सूरत में 22 दिसंबर के बाद उनके घर के बाहर फिर ओपन मेरिट वर्ग से संबधित युवाओं ने धरने की चेतावनी दे रखी है।

    ओपन मेरिट के लिए 50 प्रतिशत अवसर सुनिश्चित बनाने का प्रयास

    मामले को हल करने लिए गत बुधवार को प्रदेश कैबिनेट ने आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के कोटे को 10 प्रतिशत से घटाकर तीन और पिछड़ा क्षेत्र निवासी वर्ग के कोटे को 10 से घटाकर सात प्रतिशत करने का एक प्रस्ताव पारित कर, उपराज्यपाल को भेजा है। इस कटौती के जरिए प्रदेश सरकार ने ओपन मेरिट के लिए 50 प्रतिशत अवसर सुनिश्चित बनाने का प्रयास किया है।

    संबधित सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट ने आरक्षण कोटे में बदलाव के प्रस्ताव के साथ साथ वागे और अहंगर समुदाय जोकि चोपान समुदाय से से ही संबधित है,को कथित तौर पर अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी में शामिल करने का भी प्रस्ताव पारित कर, उपराज्यपाल कार्यालय मं भेजा है। मौजूदा समय में जम्मू कश्मीर में लगभग 40 जातिया व उपजातियां ओबीसी में शामिल हैं। मौजूदा समय में ओबीसी को आठ प्रतिशत का आरक्षण प्राप्त है।

    कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव पर असंतोष जताया

    हालांकि प्रदेश सरकार ने अभी तक अधिकारिक तौर पर आरक्षण् नीति में प्रस्तावित बदलाव की पुष्टि नहीं की है। लेकिन मामला हल होने के बजाय तूल पकड़ता जा रहा है। जम्मू कश्मीर स्टुडेंटस एसोसिएशन ने भी कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव पर असंतोष जताया है और कहा कि आरक्षण मंडल स्तर प किया जाए और आर्थिक रूप से पिछड़े व पिछड़े क्षेत्र निवासी वर्ग की समीक्षा कर,इसमें व्यापक सुधार किया जाए।

    इन वर्गाें का आरक्षण कोटा घटाने के बजाय कोइ दूसरा विकल्प अपनाया जाना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने सरकार से केबिनेट उप समिति की सिफारिशों को पूरी तरह सार्वजनिक करने का आग्रह किया है।इस बीच,आरबीए फोरम ने अपने आरक्षण कोटे में कटौती के लिए सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह अपना प्रस्ताव वापस ले,अन्यथा उसके खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा।

    सिख समुदाय को अल्पसंख्यक होने का यहां कोई लाभ नहीं

    आल पार्टी सिख कोआर्डिनेशनल कमेटी के चेयरमैन स. जगमोहन सिंह रैना ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सिख अल्पसंख्यक हैं, लेकिन सिख समुदाय को अल्पसंख्यक होने का कोई लाभ यहां नहीं मिल रहा है जो अन्याय ही है। उन्होंने कहा कि कश्मीर घाटी में रहने वाले सिख पहाड़ी समुदाय से ही आते हैंवह पहाड़ी बोलते हैं,लेकिन पहाड़ी समुदाय केआरक्षण लाभ से भी वंचित हैं। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय को भी आरक्षण लाभ मिलना चाहिए।