जम्मू-कश्मीर राज्यसभा चुनाव: नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन टूटा, निर्दलीय विधायकों की क्रॉस वोटिंग का डर
जम्मू-कश्मीर में राज्यसभा चुनाव से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन में दरार आ गई है। दोनों दलों ने अलग-अलग उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है, जिससे निर्दलीय विधायकों की क्रॉस वोटिंग का डर बढ़ गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने गुलाम नबी आजाद को राज्यसभा भेजने का प्रस्ताव रखा था, जिसे कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया।

राज्यसभा चुनाव के नतीजे राज्य के राजनीतिक भविष्य के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। राज्यसभा की चार सीटों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन की गांठ निर्दलीय विधायकों के समर्थन को लेकर अविश्वास के चलते खुल गई। कांग्रेस चाहती थी कि सत्ताधारी गठबंधन के सहयोगी निर्दलीय विधायकों के वोटों पर निर्भर रहने के बजाय, नेशनल कॉन्फ्रेंस अपने पांच विधायकों को निर्देश दे कि वह चौथी सीट पर चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के उम्मीदवार को ही वोट दें।
सीटों के तालमेल में नहीं आई सहमतिसंबधित सूत्रों ने बताया कि गठबंधन में सीटों पर तालमेल नहीं हुआ, उसका मुख्य कारण निर्दलीय विधायकों की क्रॉस वोटिंग की आशंका रही है। निर्दलीय विधायकों के लिए जरुरी नहीं है कि वह यह बताएं कि उन्होंने किसे वोट दिया है और किसे नहीं।
कांग्रेस ने रखी थी शर्त
कांग्रेस ने चौथी सीट पर चुनाव लड़ने की हामी भी भर दी, लेकिन शर्त रखी कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के पांच विधायक उसे वोट देंगे बजाय इसके कि वह वर्तमान में सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन कर रहे निर्दलीय विधायकों पर निर्भर रहे। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। कांग्रेस नेता ने कहा कि निर्दलीय अपने अपने चिह्नित मतपत्र किसी को दिखाने के लिए बाध्य नहीं हैं। अगर वे ऐसा करते हैं, तो उनके वोट रद्द किए जा सकते हैं।
निर्दलीय विधायकों की भूमिका
सत्तारूढ़ गठबंधन का समर्थन करने वाले 53 विधायकों में से पांच निर्दलीय हैं। चुनाव नियमों के अनुसार, निर्दलीय विधायकों को अपने चिह्नित मतपत्र दिखाने की आवश्यकता नहीं होती, जबकि पार्टी से जुड़े विधायकों को अपने वोट अधिकृत एजेंटों को दिखाने होते हैं।
निर्दलीय उम्मीदवारों के लिए मतदान की शर्तों ने कांग्रेस के भीतर क्रॉस-वोटिंग की संभावना को लेकर चिंताएं पैदा कर दीं। कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि जब हम सत्ता में नहीं हैं और सिर्फ़ बाहरी समर्थन दे रहे हैं, तो हम निर्दलीय उम्मीदवारों पर कैसे भरोसा कर सकते हैं?
पीडीपी का समर्थन भी नहीं मिला
इसके अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस नेतृत्व चाहता था कि कांग्रेस पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का भी समर्थन सुनिश्चित करे। पीडीपी के तीन विधायक हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस अपनी जिम्मेदारी सिर्फ सीट छोड़ने तक ही रखना चाहती थी, वह हमारी जीत को लेकर कोई प्रयास करती नजर नहीं आ रही थी।
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