Poppy Cultivation: अफीम की खेती के खिलाफ पुलिस और आबकारी विभाग सक्रिय, कानूनी कार्रवाई का दिया अल्टीमेटम
Poppy Cultivation कश्मीर में सबसे ज्यादा अफीम की खेती जिला पुलवामा और अनंतनाग के दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में हो रही है। यह वही इलाके हैं जो कभी आतंकियों का गढ़ रहे हैं। आतंकियों ने भी अफीम की खेती को प्रोत्साहित किया है

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। आतंकी हिंसा से उपजे हालात के बीच वादी में कई जगह शुरू हुई अफीम की खेती के खिलाफ अब पुलिस और आबकारी विभाग पूरी तरह सक्रिय हो चुका है। वादी में बीते एक माह के दौरान लगभग एक हजार कनाल जमीन पर उगी अफीम की खेती को नष्ट किया है। खेती में लिप्त करीब छह लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की गई है। किसानों को सचेत किया गया है कि अफीम की खेतों को अटैच भी किया जा सकता है।
कश्मीर में सबसे ज्यादा अफीम की खेती जिला पुलवामा और अनंतनाग के दूर दराज के ग्रामीण इलाकों में हो रही है। यह वही इलाके हैं जो कभी आतंकियों का गढ़ रहे हैं। आतंकियों ने भी अफीम की खेती को प्रोत्साहित किया है,क्योंकि वह इसे उगाने वालों से प्रोटेक्शन मनी के नाम पर कमाई का एक हिस्सा लेते रहे हैं। शेापियां, कुलगाम के अलावा बडगाम और उत्तरी कश्मीर के बारामुला व बांडीपोर में भी कई जगह अवैध रूप से इसकी खेती हो रही है।
बागों और खेतों के बीच अफीम के पौधे
जम्मू कश्मीर पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अगर आप दक्षिण कश्मीर के ग्रामीण इलाकों का दौरा करेंगे तो आप कई जगह बागों और खेतों के बीच अफीम के पौधे पाएंगे। उन्होंने बताया कि बीते बुधवार को अनंतनाग के दुपतयार गांव में तीन कनाल 10 मरला जमीन और उत्तरी कश्मीर के सोपोर के नादिहाल व सीर जगीर में 12 कनाल जमीन पर फैले अफीम के खेत नष्ट किए गए हैं। उन्होंने बताया कि आबकारी विभाग के साथ मिलकर पुलिस ने पूरी घाटी में नशे की इस जड़ को नष्ट करने का एक अभियान चला रखा है।
आतंकियों ने भी अफीम की खेती को किया प्रोत्साहित
अफीम की खेती के खिलाफ लोगों को जागरूक बनाने में जुटी एनजीओ पीपुल्स सोशनल एंड कल्चरल सोसाइटी के संचालक रफी रज्जा की ने कहा कि यहां जो हालात रहे हैं, उसका फायदा नशा कारोबारियों ने उठाया। पुलिस का भी पहले ध्यान आतंकियों के खिलाफ ही रहता था। इसके अलावा आतंकियों ने भी इस खेती को प्रोत्साहित किया क्यों कि जिन इलाकों में उनका प्रभाव रहा है,वहीं पर इसकी ज्यादा खेती होती है। यहां पैदा होने वाली अफीम की तस्करी सबसे ज्यादा पंजाब में हाेती है। अफीम उत्पादकों को पैसा खूब मिलता है। अगर आप पुलिस रिकॉर्ड की जांच करेंगे तो आप पाएंगे कि आए दिन अफीम की भुक्की और चूरा लेकर जा रहे ट्रक चालक व अन्य लोग पकड़े जाते हैं।
किसानों को किया जा रहा है जागरूक
जम्मू कश्मीर के आबकारी आयुक्त पंकज कुमार शर्मा ने कहा कि हमने राजस्व विभाग और पुलिस के साथ मिलकर अपने विभागीय अधिकारियों के अलग अलग दल बनाए हैं। यह दल वादी के विभिन्न हिस्सों में जहां भी अफीम की खेती हो रही है, जाकर उसे नष्ट कर रहे हैं। बीते एक माह के दौरान घाटी में लगभग 992 कनाल जमीन पर की गई अफीम की खेती को नष्ट किया गया है। दक्षिण कश्मीर के चार जिलों में 18 एफआईआर दर्ज की गई है।
उन्होंने कहा कि हम पुलिस व अन्य एजेंसियों के माध्यम से किसानों को सचेत कर रहे हैं कि अगर किसी ने अफीम की खेती की है तो वह उसे स्वेच्छा से नष्ट कर दे,अन्यथा उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। कई मामलों में हम किसानों को चेतावनी देकर छोड़ देते हैं,लेकिन जहां कोई किसान पहले भी अफीम की खेती करता रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
इस वजह से किसान लग रहे अफीम
समाज सेवी एजाज अहमद ने कहा कि यहां कई लोग अपने घर में अफीम के एक दो पौधे सिर्फ इसलिए लगाते हैं कि इससे उन्हें खसखस मिलेगी, जिसका उपयोग वह दवा के रूप में कर सकते हैं। इसके अलावा कश्मीर में बेकरी के परम्परागत उत्पादों में भी खसखस का इस्तेमाल होता है। कईयों ने इसकी आड़ में अफीम का कारोबार ही शुरु कर दिया जो पूरी तरह गलत है। प्रशासन ही नहीं अब कश्मीर में मजहबी संगठन भी इसके खिलाफ सक्रिय हो चुके हैं। लोगों में भी जागरूकता आयी है।
नशा कारोबारियों पर पुलिस कस रही लगाम
इस बीच, पुलिस ने भी दो कुख्यात नशा कारोबारियों को जो अफीम के कारोबार में भी लिप्त थे,जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाकर कोट भलवाल जेल जम्मू भेज दिया है। जिला बारामुला से संबंधित यह दोनों नशा कारोबारी मोहम्मद अफसार खान उर्फ अफसार और तारिक अहमद शेख हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि पुलिस ने नशे के खिलाफ एक प्रभावी अभियान चला रखा है। अफीम की खेती को नष्ट किया जा रहा है। इसमें लिप्त तत्वों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। हम नशा कारोबारियों को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत भी बंदी बना रहे हैं।
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