जम्मू-कश्मीर: होम स्टे योजना बदल रही घाटी के पिछड़े इलाकों की तस्वीरें, दे रही बेरोजगारों को रोजगार
होम स्टे से पर्यटकों को आराम मिला है और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार बढ़ा है। उन्होंने गेस्ट हाउस में निवेश किया जिससे अच्छी कमाई हुई और घर का खर्च चल रहा है। घाटी में कई बेरोजगार युवाओं के लिए होम स्टे रोजगार का स्रोत बन गया है। वर्तमान में घाटी में 2000 से अधिक पंजीकृत होम स्टे पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं।
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होम स्टेज योजना बदल रही घाटी के पिछड़े इलाकों की तस्वीरें। फाइल फोटो
रजिया नूर, श्रीनगर। नवंबर की एक सर्द दोपहर। गुलमर्ग से 13 किलोमीटर की दूरी पर सिथत पर्यटन स्थल द्रंग के साथ सटे माहिम गांव के निसार अहमद तांतरे नामक एक युवा उद्यमि अपने घर के साथ सटे आठ कमरों वाले अपने दो मंजिला गेस्ट हाउस (पर्यटकों के ठहरने की जगह) के कमरों की साफ सफाई कर रहा है।
कमरों की खुली हुई खिड़कियों से गुलमर्ग की सफैद बर्फ की चादर औढ़े पहाड़ियों पर पड़ रही सूरज की किरणें इन पहाड़ियों को और भी खूबसूरत बना रही है।
दो दिन पहले ही गुलमर्ग समेत घाटी के उच्च पर्वतीय इलाकों में ताजा बर्फबारी हुई हैं। इस बर्फबारी से जहां गुलमर्ग व अन्य पर्यटनस्थलों पर धीरे धीरे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है। वहीं पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों में भी अच्छे विंटर सीजन की उम्मीदें बढ़ गई है।
निसार ने भी यही सोच कर बीते तकरीबन सात महीनों से बंद पड़े अपने गेस्ट हाउस की साफ सफाई शुरू कर दी है। कमरों के पर्दों की नए सिरे से सेटिंग करते हुए निसार ने कहा,इस बार जलदी बर्फबारी हुई है। अच्छा संकेत है।
मुझे लगता है कि इन सर्दियों में यहां खूब बर्फबारी होगी। पर्यटक भी आएंगे। निसार ने कहा,पिछले साल यहां पर्यटकों का काफी जमावड़ा लगा रहा।मेरा यह गेस्ट हाउस फुल बुक था। पूरे सीजन में यहां देश के कई हिस्सों के पर्यटक ठहरे रहे।
अच्छी कमाई हुई। निसार ने कहा,इस गेस्ट हाउस के निर्माण पर मेरे 67 लाख रुपये खर्च हुए जिसमें से कुछ रकम मैंने बैंक से लोन ली। 8 कमरे हैं मेरे इस गेस्ट हाउस में अटैच बाथरूम्ज के साथ । इसके अलावा छोटा सा लान भी है।
बीते वर्ष अच्छी कमाई हुई। हालांकि बैंक का अभी भी कुछ कर्जा बाकी है। वह भी मैंने चुकाया होता इस साल अगर पहलगाम की घटना नहीं होती। लेकिन अब शुक्र है कि हालातों में सुधार आ गया है और टूरिस्टों ने फिर से यहां का रुख करना शुरू कर दिया है। मुझे उम्मीद हैं कि हमारा यह टूरिस्ट स्पार्ट द्रंग भी टूरिस्टों के लिए खुल जाएगा और इस सीजन में मैं बैंक का सारा कर्जा चुकाऊंगा। श्रीनगर से 55 किलोमीटर दूर हिमाल की पहाड़ियों के दामन में सिथत पर्यट सथल गुगलडारा से दो किलोमीटर दूर बटकूट गांव के निवासी वहीद अहमद चौपान नामक एक स्थानीय नागरिक ने भी बीते वर्ष पर्यटकों के लिए चार कमरों का एक छोटा सा गेस्ट रूम बनाया था जिस बीच समर सीजन के दौरान वहां पर्य क जिनमें तीन विदेशी पर्यटक भी शामिल हैं, आकर ठहरे थे।
वहीद ने भी अपने गेस्ट रूम की विंटर सेटिंग मुकम्मल कर दी है। उसके अनुसार विंटर सीजन में गुगलडारा में पर्यटक कम ही आते थे। क्योंकि रात को ठहरने के लिए पर्यटकों के लिए सुविधाएं नही थी। लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा उपलब्ध रखी गई होम स्टे की सुविधा के बाद से वहां भी पर्यटकों की भीड़ जुटने लगी है। वहीद ने कहा,200 चूलहों पर आधारित हमारे गांव में टूरिटों के लिए 9 होम स्टेज हैं जिनमें से एक मेरा गेस्ट हाउस भी है। हम पर्यटकों को रहने तथा खाने पीने की सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। बीते वर्ष समर सीजन में यहां टूरिस्टों का काफी रश रहा। विटंर में रश कम हो गया अलबत्ता विदेशी टूरिस्ट विंटर में भी यहां आए। मेरे घर में 6 दिन बेलजियम के टूरिस्ट रुके थे। इस साल भी उममीद है कि यहां टूरिस्ट आएंगे।
पर्यटकों के लिए होम स्टेज की सब से अधिक सुविधा श्रीनगर में उपलब्ध है यहां 833 होम स्टेज उपलब्ध हैं। इसके बाद दक्षिणी कश्मीर के अनंतनाग जिले में 439 तथा उसके बाद उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में 294 होम स्टेज की सुविधा उपलब्ध है। इसके अलावा कई गैर पंजीकृत होम स्टेज भी लोगों ने पर्यटकों के लिए उपलब्ध रखे हुए हैं। होम स्टेज की इस स्कीम से पर्यटनस्थलों के इर्द गिर्द के इलाकों जो अमूमन पिछड़े हुए इलाकों में गिने जाते हैं,की तस्वीरें बदल गई हैं और इन इलाकों के लोगों जो अमूमन मध्य व गरीबी की रेखा से नीचे अपना जीवन व्यतीत करते हैं,के लोग पर्यटकों के लिए अपने घर व मेहमानखाने उपलब्ध रख अपनी आजीविका कमा रहे हैं।
वहीद ने कहा कि होम स्टे से जहां पर्यटकों को टूरिस्ट स्पाटों पर ठहरने व खाने पीने के हवाले से राहत मिली। वहीं इससे हमारे रोजगार भी बढ़ गया। वहीद ने कहा,मैं ग्रेजुएट हूं। पढ़ लिख कर बेरोजगारी की मार झेल रहा था। छोटे मोटे ट्यूशन कर कुछ पैसे कमा लेता था। लेकिन वह गुजारे लायक नही था। गेस्ट हाउस पर पैसा इंवेस्ट किया। हाालंकि दिक्कत हुई पैसे जुटाने में। लेकिन यह मुनाफे का सौदा साबित हुआ। अच्छी कमाई हुई। घर का दाल चावल अच्छे से मेनैज हो रहा है।मेरी छोटी बहन की मेडिकल की पढ़ाई का खर्चा भी मैं आराम से निकाल रहा हूं। हालांकि पहलगाम घटना से इस साल काम मंधा रहा। लेकिन उम्मीद है कि अब यह सीजन हमारे लिए अच्छा रहेगा।
निसार और वहीद की तरह घाटी के कई एेसे बेरोजगार युवाओं के लिए पर्यटकों के लिए होम स्टे की सुविधा उपलब्ध कराना रोजगार का एक स्रोत साबित हो रहा है और पर्यटन स्थलों के इर्द गिर्द होम स्टे के माध्यम से रोजगार प्राप्त करने वाले लोग विशेषकर पढ़े लिखे युवा प्रशासन द्वारा उपलब्ध रखी गई इस स्कीम का लाभ उठा रहे हैं। वर्तमान में घाटी में 2000 से अधिक पंजीकृति होम स्टे प्वाइंट्स पर्यटकों के लिए उपलब्ध हैं और यह होम स्टेज घाटी के हर जिले विशेषकर उन स्थानों पर जहां प्रसिद्ध पर्यटनस्थल जैसे गुलमर्ग,सोनमर्ग,द्रंग,दूधपथरी,यूसमर्ग,बंगस,तोसामदान,कुकरनाग,वेरीनाग,गुगलडारा,रिंगावारी,रेशी साहिब,श्रंजफाल,नारानाग,पहलगाम, आदि शामिल हैं।

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