जम्मू-कश्मीर का भविष्य युवा वैज्ञानिकों के हाथों में है : एसकेएयूएसटी-के दीक्षांत समारोह में बोले मुख्यमंत्री उमर
अब्दुल्ला ने छात्रों को भरोसा दिलाया कि सरकार उन लोगों को सहायता प्रदान करेगी जो अभिनव विचारों और व्यावसायिक योजनाओं के साथ आगे आएंगे। उन्होंने घोषणा की कि सरकार कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों पर काम कर रही है जिसमें सटीक खेती डेयरी आधुनिकीकरण और कटाई के बाद प्रसंस्करण शामिल हैं।
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में कृषि क्षेत्र न केवल अर्थव्यवस्था की रीढ़ है बल्कि यह क्षेत्र की संस्कृति और पहचान का भी केंद्र है। क्योंकि 70 प्रतिशत से अधिक आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी हुई है। शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कश्मीर (एसकेयूएसटी-के) के छठे दीक्षांत समारोह में बोलते हुए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का भविष्य युवा वैज्ञानिकों के हाथों में है।
स्नातकों को सीधे संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया को न केवल उनके ज्ञान की बल्कि उनके साहस, करुणा और चरित्र की भी आवश्यकता है। अपने विचारों के साथ साहसी होने, कृषि-स्टार्टअप बनाने, किसान समूहों से परामर्श करने और विस्तार सेवाओं को डिजिटल बनाने के लिए कहा। उन्हें इसी उद्देश्य के साथ यहां विज्ञान और समाज को जोड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
उन्हें अपनी मिट्टी से जुड़े रहना चाहिए और अपनी भूमि और लोगों को कभी नहीं भूलना चाहिए। “चाहे वे बेंगलुरु जाएं या किसी अन्य स्थान पर, उन्हें अपने दिल में जम्मू और कश्मीर को लेकर जाना चाहिए। उन्हें एक शांतिपूर्ण और समृद्ध जम्मू और कश्मीर के निर्माण में भी योगदान देना चाहिए। उमर ने स्नातकों से पूछा कि क्या वे छोटे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद कर सकते हैं।
जलवायु-स्मार्ट कृषि के लिए समाधान विकसित कर सकते हैं। ग्रामीण रोजगार पैदा करने वाले कृषि-उद्यमों का निर्माण कर सकते हैं या भविष्य की पीढ़ियों का मार्गदर्शन कर सकते हैं। यदि उनका उत्तर हां है, तो उन्हें जम्मू-कश्मीर सरकार का पूरा समर्थन मिलेगा।
उमर ने अपने दादा शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की दूरदर्शी सोच की सराहना करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र के तेजी से विकास की दूरगामी दृष्टि उनके आदर्शों में निहित थी। यही वजह है कि उनकी आज हर प्रयोगशाला और व्याख्यान कक्ष में उनकी वह सोच नजर आती है। संस्थान ने समशीतोष्ण बागवानी अनुसंधान, उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में टिकाऊ खेती, पशुपालन और जैविक कृषि प्रथाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। “यहां से उत्तीर्ण होने वाले युवा केवल डिग्री धारक नहीं हैं बल्कि जमीनी स्तर पर समस्या समाधानकर्ता बन रहे हैं।
उमर ने कहा कि कल की कृषि आने वाले कल की चुनौतियों का समाधान नहीं कर सकती। जलवायु परिवर्तन, भूमि संक्षरण और बाजार की अस्थिरता जैसी प्रमुख बाधाओं के साथ विकास और अवसर चाहने वाली युवा पीढ़ी की आकांक्षाएं भी हैं। प्रशासन ने जमीन पर वास्तविक परिवर्तन प्राप्त करने के उद्देश्य से कई डेटा-संचालित सुधार कार्यक्रम शुरू किए हैं और समग्र कृषि विकास कार्यक्रम इस प्रयास की आधारशिलाओं में से एक है।
उन्होंने बताया कि 5000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश वाला यह कार्यक्रम कृषि को उच्च-मूल्य और प्रौद्योगिकी-संचालित क्षेत्र में बदलने के लिए विज्ञान, वित्त और शासन को एक साथ लाता है। सरकार कई मोर्चों पर वैज्ञानिकों, उद्यमियों और किसानों के साथ मिलकर काम कर रही है, जिसमें सटीक खेती, डेयरी आधुनिकीकरण और कटाई के बाद प्रसंस्करण शामिल हैं। "29 प्रमुख परियोजनाओं का समर्थन किया जा रहा है, जिनमें उच्च घनत्व वाले सेब और अखरोट के बागान, भेड़ पालन क्लस्टर, केसर पुनरोद्धार और नए कृषि व्यवसाय मॉडल शामिल हैं"।
उन्होंने स्नातकों से कहा कि यह उनका क्षेत्र है और उनका अवसर। सरकार का मिशन युवा आकांक्षाओं को सशक्त बनाना है और खाद्य प्रसंस्करण, कृषि-तकनीक, डेयरी और बागवानी में सैकड़ों स्टार्ट-अप के लिए सहायता शुरू कर दी है। स्नातकों को समर्थन मिलेगा यदि वे विचारों और व्यावसायिक योजनाओं के साथ आगे आते हैं। यदि युवाओं में नेतृत्व करने का साहस है तो सरकार उनके लिए मंच तैयार करेगी। उन्होंने स्नातकों को बदलाव के नए पथप्रदर्शक कहा।
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