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    JK Election 2024: छह वर्ष के लिए नहीं, अब 5 वर्ष के लिए चुने जाएंगे विधायक, विधान परिषद भी नहीं होगी

    Updated: Fri, 23 Aug 2024 09:08 PM (IST)

    Jammu Kashmir Election 2024 पांच अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष के लिए होता था और यह व्यवस्था जम्मू कश्मीर के भारत में विलय के साथ या फिर अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के तहत लागू नहीं हुई थी। अलबत्ता इस व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर में बनाए रखने के लिए अनुच्छेद 370 ने एक कवच का काम जरूर किया।

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    JK Election 2024: जम्मू-कश्मीर में अब पांच सालों के लिए चुने जाएंगे विधायक।

    नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। सभी राजनीतिक दल मैदान में अपनी ताल ठोंक रहे हैं और मतदाता भी उन्हें वोट देने से पहले उनका आकलन कर रहे हैं। लेकिन इस बार जम्मू कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष नहीं, बल्कि पांच वर्ष ही होगा।

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    इससे पूर्व जम्मू-कश्मीर की जनता ने 1972 में अंतिम बार पांच वर्ष के लिए अपने विधायकों को चुना था। जम्मू कश्मीर ही देश का एकमात्र ऐसा राज्य था, जहां विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष का था और यह व्यवस्था पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण व जम्मू-कश्मीर राज्य के दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठन के साथ समाप्त हो गई। अब जम्मू-कश्मीर में विधान परिषद भी नहीं होगी। इसमें 36 सदस्य होते थे।

    कवच का काम किया अनुच्छेद 370

    पांच अगस्त 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष के लिए होता था और यह व्यवस्था जम्मू कश्मीर के भारत में विलय के साथ या फिर अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के तहत लागू नहीं हुई थी। अलबत्ता, इस व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर में बनाए रखने के लिए अनुच्छेद 370 ने एक कवच का काम जरूर किया।

    आपातकाल की देन 

    जम्मू-कश्मीर में छह वर्ष की विधानसभा 1975 के आपातकाल की देन थी। भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूरे देश में आपातकाल लागू करने के साथ ही लोकसभा और विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष कर दिया था। देश के विभिन्न राज्यों ने तुरंत इसे अपनाया।

    जम्मू-कश्मीर में उस समय नेशनल कान्फ्रेंस और कांग्रेस सरकार थी। मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला थे और उन्होंने उस समय यह कहकर कि पूरे देश में जो कानून है, वही जम्मू कश्मीर में चलेगा, इसलिए हम भी जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष कर रहे हैं।

    1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार

    नए विधान के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में 1977 में विधानसभा का चुनाव हुआ और जम्मू-कश्मीर में छह वर्षीय कार्यकाल वाली विधानसभा की परम्परा शुरू हो गई। इस दौरान 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई और केंद्र में सत्ता संभालने वाली जनता पार्टी की सरकार ने छह वर्ष की लोकसभा और विधानसभा के कानून को निरस्त कर, कार्यकाल दोबारा पांच वर्ष के लिए कर दिया।

    अलबत्ता, जम्मू कश्मीर ने इस बदलाव को स्वीकार नहीं किया। उस समय भी शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ही मुख्यमंत्री थे। अनुच्छेद 370 के कारण कोई भी केंद्रीय कानून तभी लागू होता, जब राज्य विधानसभा उसे पारित करती।

    विधान परिषद को भंग करने की मांग

    वर्ष 1977, 1983, 1987, 1996, 2002, 2008 और 2014 में जब भी जम्मू-कश्मीर की जनता ने अपने विधायकों को चुना, छह वर्ष के लिए ही चुना। इस बीच पूर्व विधायक हर्ष देव सिंह ने विधानसभा में निजि विधेयक लाकर जम्मू-कश्मीर में विधानभा का कार्यकाल पांच वर्ष कराने का प्रयास किया। लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाए। उन्होंने विधानपरिषद को भी भंग करने की मांग की थी।

    कांग्रेस-एनसी ने किया काफी नुकसान

    जम्मू-कश्मीर मामलों के जानकार प्रो हरिओम ने कहा कि छह वर्ष की विधानसभा जो हमें दी गई थी, वह कांग्रेस की देन थी। वैसे भी कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर को अपने राजनीतिक हितों के लिए बहुत नुकसान पहुंचाया है।

    कांग्रेस ने ही आपातकाल लागू किया था और कांग्रेस ने ही अनुच्छेद 370 बनवाया था। कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस की जुंडली ने सिर्फ यहां सत्ता को देखा है।

    विधान परिषद की कोई जरूरत नहीं

    उन्होंने कहा कि यहां जो विधान परिषद थी, उसकी भी यहां कोई जरूरत नहीं थी। उसे सिर्फ सत्ताधारी दल ने अपने चहेतों को सरकारी खर्च पर पुनर्वासित करने के लिए बनाए रखा था।

    जम्मू-कश्मीर जैसे एक छोटे राज्य मे विधानपरिषद की जरूरत नहीं थी। विधानसभा का छह साल का कार्यकाल भी एक तरह से सरकारी खजाने पर बोझ ही था, क्योंकि हमारे यहां विधायकों को देश के अन्य राज्यों के विधायको की तुलना में एक साल अतिरिक्त मिल रहा था।

    आने वाले समय में मिलेगा लाभ

    उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के कारण इन्हे जम्मू-कश्मीर में बनाए रखा गया था। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा संवैधानिक सुधार है और इसका लाभ आने वाले समय में नजर आएगा। उन्होंने कहा कि लगभग 52 वर्ष बाद पहली बार पांच वर्ष की विधानसभा के गठन के लिए जम्मू-कमीर में चुनाव होने जा रहा है।

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