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    जम्मू-कश्मीर में पहली बार पहाड़ी और OBC की होगी जनगणना, चुनावी सीमाओं के परिसीमन का आधार बनेगी जनगणना

    Updated: Tue, 17 Jun 2025 11:59 AM (IST)

    केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2027 की जनगणना की अधिसूचना जारी की है जिसमें जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में पहली अक्टूबर 2026 को संदर्भ तिथि माना गया है। यह पहली जनगणना होगी जिसमें पहाड़ी और ओबीसी समुदायों को भी गिना जाएगा। यह जनगणना चुनावी सीमाओं के परिसीमन का आधार बनेगी और प्रदेश की जनसांख्यिकी और राजनीति को प्रभावित करेगी। इससे विभिन्न समुदायों की संख्या का पता चलेगा।

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    जम्मू-कश्मीर प्रदेश में पहली बार पहाड़ी, ओबीसी की होगी जनगणना (File Photo)

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को जनगणना 2027 की अधिसूचना जारी कर दी है। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में जनगणना का संदर्भ पहली अक्टूबर 2026 रखा गया है। 31 अक्टूबर 2019 को अस्तित्व में आए जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश में यह पहली जनगणना होगी।

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    अगले वर्ष होने वाली जनगणना का प्रदेश की जनसांख्यिकी और राजनीति दोनों पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। इस प्रक्रिया में केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की भी पहली बार जनगणना होगी। यह चुनावी सीमाओं के अगले परिसीमन के लिए भी यह आधार बनेगी।

    वर्ष 2011 में जम्मू-कश्मीर की कुल आबादी 12541502 थी। इसमें जम्मू प्रांत की आबादी 5350811, जबकि कश्मीर की 6888475 थी। लद्दाख की आबादी 274289 थी। आगामी जनगणना में लद्दाख की आबादी एक अलग केंद्र शासित प्रदेश के रूप में होगी।

    जनगणना से पता चलेगी सही आबादी

    अधिकारियों के अनुसार, आगामी जनगणना प्रदेश के लिए दो कारणों से महत्वपूर्ण है। इससे पहाड़ी और ओबीसी की सही आबादी का पता चलेगा और यह विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के अगले परिसीमन के लिए आधार बनेगी। वर्ष 2024 में जम्मू-कश्मीर की अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किए गए पहाड़ी, पद्दारी, गड्डा ब्राह्मण और कोली जनजातियों को पहली बार जनगणना में अलग-अलग समुदायों के रूप में गिना जाएगा।

    अभी तक जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी आबादी के बारे में कोई सटीक आंकड़ा है। जनगणना में पहाड़ी और अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित तीन अन्य समुदायों के बारे में डेटा उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले ऐसे अभ्यासों के दौरान एससी और एसटी का जनसांख्यिकीय डेटा भी एकत्र किया गया था।

    उन्होंने बताया कि 2011 की जनगणना के अनुसार, जम्मू कश्मीर की कुल एसटी-वर्ग एक की आबादी 12,75,106 है, जिसमें से 8,10,800 जम्मू में और 4,64,306 कश्मीर में रहते हैं। वर्ष 2024 में एसटी वर्ग में शामिल किए गए पहाड़ी, पद्दारी, गड्डा ब्राह्मण और कोली समुदाय को एसटी वर्ग दो में गिना जाता है। इनके लिए अलग से आरक्षण का प्रविधान किया गया है।

    41 जातियां राज्य की सूची में शामिल हैं

    आगामी जनगणना में पहली बार जम्मू कश्मीर के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जनसंख्या का भी पता चलेगा। उपलब्ध जानकारी के अनुसार, जम्मू कश्मीर में 20 जातियां व समुदाय ओबीसी की केंद्रीय और 41 जातियां राज्य की सूची में शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर में ओबीसी को सरकारी नौकरियों में 8 प्रतिशत आरक्षण मिलता है।

    केंद्र ओबीसी की गणना के लिए केंद्रीय सूची और राज्य (यूटी) सूची दोनों का उपयोग करने की संभावना है।इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि जनगणना यूटी में चुनावी निर्वाचन क्षेत्रों के अगले परिसीमन का आधार भी बनेगी, जैसा कि जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम- 2019 में निर्धारित किया गया है।

    वरिष्ठ पत्रकार ज़फ़र चौधरी ने कहा कि अगली जनगणना जम्मू कश्मीर में प्रतिस्पर्धी पहचान संघर्ष को गति देगी।“कोटा सूची में नए समुदायों को जोड़ने के साथ, आरक्षण का मुद्दा जम्मू और कश्मीर में केंद्र में आ गया है।

    आगामी जनगणना जम्मू कश्मीर के लिए विशेष रूप से विभिन्न समुदायों की संख्या का दस्तावेजीकरण करने के मामले में बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में मौजूदा परिस्थितियों मं आरक्षण को लेकर जो विवाद है, वह भी इस जनगणना के बाद जोर पकड़ सकता है।