जम्मू-कश्मीर विधानसभा सत्र से घाटी के लोगों की उम्मीदें, बोले- 'सियासत की राजनीति में न दब जाए जनता की आवाज'
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सत्र शुरू होने से घाटी के लोगों में उम्मीद जगी है। स्थानीय नागरिक चाहते हैं कि उनकी समस्याओं और आकांक्षाओं को सुना जाए और सियासत की राजनीति में उनकी आवाज न दबे। वे उम्मीद कर रहे हैं कि नेता विकास और शांति लाने के लिए काम करेंगे।

घाटी में विधानसभा सत्र शुरू, आम लोगों के मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद।
रजिया नूर, जागरण, श्रीनगर। घाटी में विधानसभा का सत्र शुरू हो गया है। सत्र शुरू होते ही आम लोगों ने अपने कान व आंखें सत्र पर गाढ़ दी इस आशा के साथ कि रोजमर्रा जिंदगी से जुड़े उनके आम मुद्दे उभारे जाएंगे। हालांकि सत्र के पहले दिन रिवायतन दिवंगत राजनेताओं को श्रद्धांजिल अपिर्त की जानी थी।
श्रद्धांजलि अर्पित किए जाने के बीच ही आरक्षण, राजनीतिक कैदियों की रिहायी जैसे मुद्दे छेड़े गए। वहीं इस सत्र से उम्मीदें लगाए आम लोगों को हताशा हुई और अधिकांश का मानना है कि इस संक्षिप्त सत्र के एक बार फिर आम लोगों के नही बलकि सियासी मुद्दे ही उभारे जाएंगे।
मोहम्मद अशरफ राथर नामक एक व्यक्ति ने कहा, मायूसी हुई कि सत्र के पहले ही दिन सियासी मुद्दे उछाले गए और मुझे पक्का यकीन है कि यही मुद्दे पूरे सत्र पर हावी रहेंगी और हमारी यह सियासी पार्टियों एक दूसरे पर आरोप प्रतिआरोप लगाने में व्यस्त रहेगी। राथर ने कहा,यह सत्र हम आम लोगों के मुद्दे उभारने के लिए रखी जानी चाहिए थी।
सियासी मु्द्दे एक दिन में हल नही हुआ करती। इन्हें सुलझाने में टाइम लगता है। हमें जवाब कौन देगा। हम से जो वादे किए गए थे हमें बुनियादी सहूलियतें देने की,उनका क्या हुआ। वह तो अभी सुलझाए ही नही गए। कब सुलझाएं जाएंगी हमारे मुद्दे कब तक हमें बुनियादी जरूरतों के लिए तरसना पड़ेगा।
नसीर अहमद खान नामक एक अन्य व्यक्ति ने कहा,नई सरकार अब एक साल की हो गई है। इस सरकार ने हमसे इस शर्त पर वोट लिए थे कि यह बेरोजगारी दूर करेगी। हमारे बच्चों के बेहतर फ्यूचर के लिए काम करेगी। हमें बिजली संकट से निकालेगी। लेकिन इस सरकार ने अभी तक क्या किया।
बिजली में राहत देने के वादे का क्या हुआ। पानी कहां है? सड़कों की हालत कब सुधरेगी।हमारे पुल कब बनेंगे। क्या गंडबल इलाके के लोगों की तरह पहले हमें पुल के लिए 9 जिंदगियां भेंट चढ़ानी पड़ेगी? हमें ट्रैफिक जाम से राहत कब मिलेगी?। अछन डंपिंग यार्ड का मामला कब सुधरेगा? सरकार हमें बताए। हमें सियासी मुद्दों से कोई लेना देना देना। हमें बेहतर रोजगार चाहिए। बिजली चाहिए,पानी चाहिए बेहतर सड़कें चाहिए । हमें वह सब दो ताकि हम सकून से जी सके।
सामाजिक कार्यकर्ता व राजनीतिक विशलेषक सज्जाद काशानी ने कहा, मौलिक सुविधाओं के अभाव से लोग पहले से ही परेशासन थे। लेकिन पहलगाम हमले के बाद से यहां की आर्थिक सिथिति पूरी तरह से चरमरा गई है।न सिर्फ टूरिजम बलकि हर सेक्टर से जुड़े लोगों का रोजगार प्रभावित हो गया है।
ऐसे में इस सरकार से लोगों को उम्मीदें जुड़ी थी। लोगों ने डेवलपमेंट के लिए सरकार को वोट दिया था। इस सरकार ने भी लोगों को आश्वासन दिलाया था कि लोगों की दिक्कतों को दूर करना,बिजली,पानी,सड़कें,रोजगार जैसे मौलिक मुद्दे सरकार की प्राथमिकता होंगी। लेकिन अभी तक इस सरकार ने आम लोगों के मुद्दों के लिए जमीनी स्तर पर कुछ नही किया है।
ऐसे में स्पष्ट रूप से लोगों में निराशा है। काशानी ने कहा,सरकार को चाहिए कि वह लोगों से किए गए उन वादों का जवाब खतनी नही बलकि करनी के रू में इस सत्र में दें वहीं विपक्ष पार्टियों की भी यह जिम्मेदारी है कि वह लोगों से जुड़े इन मुद्दों पर सरकार को जवाबदेह बनाएं।
क्या हैं लोगों के बुनियादी मुद्दे
रोजगार के साथ साथ सड़क बिजली पानी व अन्य मौलिक सुविधाओं का अभाव ही घाटी के लोगों के मुद्दे हैं और इन्हीं मुद्दों के लिए उन्होंने हमेशा की तरह इस बार भी अपना वोट किया। श्रीनगरवासी भी इन्हें मुद्दों से जूझ रहे हैं। करोड़ों रुपये लागत वाले श्रीनगर स्मार्ट स्टी प्रोजेकट के तहत शहर का सौंदर्यीकरण व इसकी कायाकल्प के नाम पर लालचौक समेत कुछ इलाकों में सड़कों, पार्कों व कुछ इमारतों की कायाकल्प जरूर की गई।
इस प्रोजेक्ट के तहत कुछ स्मार्ट वाहनों की सेवा भी उपलब्ध रखी लेकिन जमीनी स्तर पर देखे तो आज भी शहरवासी बिजली,सड़क पानी व अन्य मौलिक सुविधाओं से वंचित हैं और इन्हीं मौलिक सुविधाओं के लिए अधिकांश लोगों ने बेलेट बाक्सों का सहारा लिया और बीते वर्ष यहां आयोजित हुए विस चुनाव मेें उभर कर सत्ता में आई नेका ने भी इन्हीं मौलिक सुविधाओं को उपलब्ध कराने के आश्वासन पर वोटर बटोरे। लेकिन सत्ताधारी नेका के एक वर्ष पूरा होने के बाद भी लोग इन सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
बिजली संकट ने किया लोगों बेहाल
दशकों से बिजली का संकट झेल रहे घाटी के लोगों को अभी भी इस संकट से जूझ रहे हैं। हांलिक अपने चुनावी मंशूर में वर्तमान सरकार ने सत्ता में आते ही इस संकट से लोगों को राहत देेने का आश्वासन दिलाया। हालांकि अभी सर्दियों के मौसम की शुरुआत ही है लेकिन बिजली की कटौती शुरू हो गई हैं जबकि संबंधित विभाग ने सर्दियों में इसमें और अधिक कटौती का संकेत दिया है। वर्तमान शहर के मीटर्ड इलाकों में प्रतिदिन चार घंटे बजिली गायब रहती रहती है।
पेयजल की अवस्था से हैं निढाल लोग
श्रीनगर शहर में एेसे दर्जनों इलाके हैं जहां पेयजल की कोई व्यापक व्वस्था नही है। इन इलाकों जिनमें सिविल लाइंज इलाकों महजूरनगर,पादशाहीबाग,छानपोरा,बाग ए मेहताब,अपर सौरा, लावेपोरा, गूरीपोरा, कमरवाड़ी के साथ साथ डाउनटाउन के खानकाह, आलीकदल, बोटाकदल, छत्ताबल, काकासराए नवाबबाजार, बटमालू, रावलपोरा जैस इलाके शामिल हैं, में पेयजल की अव्यवस्था लोगों को सड़कों पर उतर प्रदशर्न करने पर मजबूर करती हैं।
यह भी बढ़ा रहे लोगों की दिक्कतें
स्मार्ट स्टी प्रोजेक्ट के अंतर्गत सौंदरीयकरण व कायाकल्प कर स्मार्ट श्रीनगर शहर में अब भी जर्जर सड़के,टूटे पुल व वर्षों से अधर में पड़े फ्लाइओवरों का निर्माण कार्य शहरवासियों की दिक्कतें बढ़ा रहा है। शहर के कई इलाकों जिनमें विशेषकर गावकदल बसंतबाग, महजूर नगर, हब्बाकदल, कमरवाड़ी, बेमिना, रामबाग, पंथाछौक आदि में धूल उटाती जर्ज सड़कें लोगों को बेहाल किए देती हैं। हब्बाकदल में गत वर्ष ही जनता को समर्पित हब्बाकदल हेरिटेज पुल डेढ़ वर्ष बाद ही जर्जर हो प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही की अक्कासी करता है।
उधर नूरबाग इलाके में सिविल लाइंज को डाउनडटाउन इलाके से जोड़ने वाला नूरजहां पुल पर बीते 15 वर्षों से चल रहा निर्माण कार्य मुकम्मल होेने का नाम नही ले रहा है। इस पुल के न होने से शहर की एक बड़ी आबादी को असुविधा का सामना है( हालांकि प्रशासन का दावा है कि पुल को जलद ही जनता को समर्पित) किया जाएगा।
उधर लोगों को राहत पहुंचाने के लिए शुरू की गई विभिन्न विास परियोजनाएं जिनमें कई फ्लाईओवर भी शामिल हैं,पर अज्ञात कारणों के चलते निर्माण कार्य बरसों से अधर में पड़ा हुआ है और सननंतनगर इलाके में सिथत फ्लाईओवर इसकी एक मिसाल है।
अस्तव्यस्त ट्रैफिक लोगों के लिए बड़ी चुनौती
शहर में वाहनों के लिए उपलब्ध रखी गई पार्किग पर्याप्त न होने के चलते अधिकांश वाहन चालक अपनी गाड़ियां सड़कों पर इधर उधर पार्क कर देते हैं जिससे शहर में अकसर लोगों को ट्रैफिक जाम की समस्या से जूझना पड़ा है जिसके चलते लोग समय पर अपने अपने गंत्वयों पर नही पहुंच पाते। वहीं शहर के फुटपाथों चौक चौराहों पर प्रभावशाली लोगों द्वारा किया गया अतिक्रमण ट्रैफिक जाम की समस्या को और ज्यदा बढ़ाता है और रही सही कसर तंग,संकरी व जर्जर हो चुकी सड़कें पूरा करती हैं।
सार्वजनिक वाहनों का अभाव भी एक बड़ा मुद्दा
बीते वर्ष शहर श्रीनगर में प्रशसान ने स्मार्ट स्टी प्रोजेक्ट के तहत 100-स्मार्ट बसें लोगों के लिए उपलब्ध कराई थी। हालांकि तब आश्वासन दिलाया गया था कि चरणबद्ध तरीके से इन स्मार्ट बसों की संख्या में बढ़ोतरी की जाएगी। अलबत्ता यह वादा पूरा नही किया गया और सीमित संख्या में शहर में दौड़ रही इन बसों में हर यात्री को यात्रा करने का अवसर नही मिलता।
आरटीसी बसों की संख्या भी सीमित हैं और इनमें से अधिकांश घाटी के कब्सों के लिए सावा उपलब्ध कराती है। एेसे में अधिकांश शहरवासियों प्राइवेट ट्रांस्पोर्ट बसों जिनकी संख्या भी पर्याप्त नही है,का सहारा लेना पड़ता है। शहर के कई इलाकों के लिए अभी भी कोई व्यापक बस सेवा उपलब्ध नही है।
ताजा हवा में सांस लेने को तरस रहे शहरवासी
श्रीनगर के बाहरी छोर सैदापोरा इलाके में सिथत अछन डंपिंग यार्ड पर जमा किए जाने वाले कूड़े कचरे को प्रशासन द्वार ठिकाने या इसकी रिसाइकिंलग करने के लिए कोई ट्रीटमेंट प्लांट न लगाने के चलते इस यार्ड में जमा हो चुके कूड़े व कचरे के पहाड़ जैसे ढेरों से उठने वाली दुर्गंध न केवल समूचे श्रीनगर बलकि उत्तरी कश्मीर के बांडीपुर व मध्य कश्मीर के गांदरबल जिले के दर्जनों इलाकों के लिए असहनीय बनी हुई है।
हालांकि चुनावी प्रचार के दौरान ईदगाह विस क्षेत्र से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों ने चुनाव जीतते ही इस सम्सया को हल करने का वादा किया था। बता देते हैं कि शहर श्रीनगर से प्रतिदिन जमा होने वाले 350-400 टन कूड़े को अछन में जमा किया जाता है और वर्तमान में वहां 11 लाख टन से अधिक कचरे के पहाड़ खड़े हैं। शहर में सीवरेज व गंदे पानी की निकासी के लिए कोई व्यापक प्रणाली नही होने के चलते इन इलाकों जिनमें अधिकांश डाउनटाउन के इलाके शामिल हैं,में कचरा व गंदगी सड़कों पर पड़ी रहती है।
शहर श्रीनगर में मौलिक सुविधाओं के इस अभाव को जान यह अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है कि घाटी के अन्य कस्बों में लोगों को उपलब्ध रखी जाने वाली मौलिक सुविधाओं की सिथिति कैसी होगी।

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