ITR में फर्जी रिफंड का दावा: जांच के दायरे में जम्मू-कश्मीर के 28 हजार सरकारी कर्मचारी, 405 के खिलाफ FIR दर्ज
एक अनुमान के अनुसार 28000 से अधिक सरकारी कर्मचारियों ने 2020-21 और 2021-22 के लिए धोखाधड़ी से रिफंड का दावा किया है और विभाग जल्द ही उनके आईटीआर की जांच के लिए नोटिस भेजने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगा।
श्रीनगर, पीटीआई। जम्मू-कश्मीर में कार्यरत 28,000 से अधिक सरकारी कर्मचारी, जिनमें 8,000 पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवान शामिल हैं, आयकर विभाग की जांच के दायरे में हैं। आधिकारिक सूत्रों ने पीटीआई को यह जानकारी दी है। इन कर्मचारियों पर आईटीआर दाखिल कर फर्जी रिफंड का दावा करने का आरोप है। आयकर विभाग ने पाया है कि यह कथित धोखाधड़ी 2020-21 और 2021-22 में आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने के दौरान हुई थी। यहां तक कि विभाग ने एक चार्टर्ड एकाउंटेंट (CA) और 404 अन्य लोगों के खिलाफ दो आपराधिक प्राथमिकी दर्ज की थी।
कथित अनियमितताएं कुछ समय पहले तब सामने आईं जब श्रीनगर स्थित विभाग के स्रोत पर कर कटौती (TDA) ने पाया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में कई लोगों ने विभिन्न मदों के तहत "अत्यधिक और अपात्र कटौती" का दावा किया था। सूत्रों ने कहा कि फर्जी रिफंड का दावा किया जा रहा है।
पीटीआई द्वारा एक्सेस किए गए दस्तावेजों से पता चलता है कि आई-टी (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) के प्रधान निदेशक एम.पी सिंह ने चार्टर्ड एकाउंटेंट और 404 अन्य लोगों के खिलाफ पुलिस एफआईआर दर्ज करने की मंजूरी दी, जिसमें कुछ संदिग्ध टैक्स सलाहकार और फाइलर शामिल हैं।
गलत आईटीआर दाखिल किया
विभाग ने पाया कि इनमें से कई लोगों ने गलत आईटीआर दाखिल किया था और रिफंड में लगभग 4 लाख रुपये का दावा किया था। सूत्रों ने कहा कि विभाग ने 25 मई को दर्ज की गई दो प्राथमिकियों के परिणामस्वरूप पुलिस के साथ इन 405 लोगों के नाम, पते, पैन और बैंक खातों को साझा किया है, जिसके बाद अपराध शाखा ने इन बैंक जमाओं पर रोक लगा दी है।
इन धाराओं में दर्ज हुआ मुकदमा
पुलिस ने इन लोगों पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं जैसे 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज को असली बताकर इस्तेमाल करना), 120बी (आपराधिक साजिश) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी (प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया है। सूत्रों ने कहा कि विभाग ने आरोपी चार्टर्ड एकाउंटेंट का लाइसेंस रद्द करने की मांग करते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) को भी लिखा है।
सूत्रों के अनुसार कर्मचारी, बिजली विकास, स्वास्थ्य, पर्यटन, शिक्षा, बैंक, विश्वविद्यालयों के अलावा पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के कर्मियों से संबंधित हैं, जो कानून और व्यवस्था के लिए यूटी में तैनात हैं।
9 हजार से अधिक कर्मचारियों ने दाखिल की ITU-R
सूत्रों ने कहा कि इस मार्च के अंत तक जम्मू-कश्मीर में 9,000 से अधिक कर्मचारियों ने अपना आईटीआर-यू दाखिल किया और विभाग ने 56 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त टैक्स एकत्र किया। हालांकि, कई कर्मचारियों ने आईटीआर-यू दाखिल करने के इस अवसर का लाभ नहीं उठाया और अब उन्हें जुर्माना नोटिस जारी किया जाएगा और कुछ मामलों में 405 लोगों के खिलाफ पुलिस प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।
एक अनुमान के अनुसार, 28,000 से अधिक सरकारी कर्मचारियों ने 2020-21 और 2021-22 के लिए धोखाधड़ी से रिफंड का दावा किया है और विभाग जल्द ही उनके आईटीआर की जांच के लिए नोटिस भेजने के बाद उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगा।
कानून के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति टैक्स चोरी करता है या आईटीआर में अपनी आय की गलत घोषणा करता है, तो उस पर आयकर अधिनियम की धारा 276-सी के तहत टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा मुकदमा चलाया जा सकता है। इसमें छह महीने से लेकर सात साल तक के सश्रम कारावास की सजा होती है।
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