जम्मू कश्मीर के सरकारी स्कूलों का होगा कायाकल्प, बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए 2000 करोड़ का पैकेज मंजूर
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के स्कूल शिक्षा विभाग को 2000 करोड़ रुपये का पैकेज देने का निर्णय लिया है। अगले पांच वर्षों में स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार किया जाएगा। सीमावर्ती क्षेत्रों के 396 स्कूलों में कंप्यूटर लैब जैसी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी। यह पैकेज समग्र शिक्षा योजना के तहत दिया जा रहा है।

नवीन नवाज, जागरण, श्रीनगर। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने जम्मू कश्मीर स्कूल शिक्षा विभाग को दो हजार करोड़ रूपये का पैकेज देने का निर्णय किया है।
इस राशि का प्रयोग अगले पांच वर्ष के दौरान स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार व उसे उन्नत बनाने में किया जाएगा। इसके तहत प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में 396 स्कूलों में कंप्यूटर लैब व अन्य आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार के नेतृत्व में 40 सदस्यीय एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भी प्रदेश के विभिन्न भागों का दौरा कर, प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग की गतिविधियों औ स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया है।
केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने जम्मू कश्मीर शिक्षा विभाग के साथ भी प्रस्तावित पैकेज के इस्तेमाल से संबधित विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की है।
समग्र शिक्षा योजना के तहत दिया जा रहा पैकेज
शिक्षा विभाग के अनुसार, दो हजार करोड़ रूपये का प्रस्तावित पैकेज समग्र शिक्षा योजना के तहत दिया जा रहा है। इसका उपयोग स्कूलों में बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को उपलब्ध कराने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 के मानकों को पूरा करने पर खर्च होगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश के सीमांत इलाकों में स्थित 396 स्कूलों को पूरी तरह से नया बनाया जाएगा, उनके बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ उनमें स्मार्ट कक्षाओं को भी सुनिश्चित किया जाएगा। इनमें 200 स्कूल कश्मीर प्रांत में एलओसी के साथ सटे जिलो मं हैं जबकि 196 स्कूल जम्मू प्रांत में अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी के साथ सटे इलकों में हैं। इन स्कूलों को नाम वायब्रेंट स्कूल किया जाएगा और इन्हें पीएमश्री स्कूलों की तरह विशेष फंडिंग मिलेगी।
अल्पसंख्यक समुदाय वाले क्षेत्रों के लिए विशेष फंडिंग
उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय वाले क्षेत्रों में चिन्हित 60 स्कूलों को भी बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए विशेष फंडिंग मिलेगी। इन स्कूलों को समाज कल्याण विभाग के समन्वय में चिह्नित किया गया है। इसके अलावा उर्दू भाषी बहुल इलाकों में स्थित प्रत्येक कस्तूरबा गांधी विद्यालय में एक-एक उर्दू शिक्षक नियुक्त करने का भी प्रस्ताव है। प्री-प्राइमरी स्कूलों में भी दो आयाएं नियुक्त की जाएंगी और उनके लिए शैक्षिक योग्यता 10वीं से 12वीं पास होगी।
छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए उठाया कदम
उन्होंने बताया कि गत दिनों स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव संजय कुमार के नेतृत्व में 40 सदस्यीय एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने भी प्रदेश के विभिन्न भागों का दौरा कर, प्रदेश स्कूल शिक्षा विभाग की गतिविधियों और स्कूलों में उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लिया। केंद्रीय दल ने प्रदेश में सरकारी स्कूलों में छात्रों की घटती संख्या पर चिंता जताते हुए इसे बढ़ाने और स्कूल न जाने वाले छात्रों को स्कूलों में लाने के लिए विशेष उपाय करने के लिए कहा है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 12वीं तक कोई भी छात्र स्कूली शिक्षा से वंचित नहीं रहना चाहिए। नर्सरी व किंडरगार्डन कक्षाओं में बच्चों के दाखिले को प्रोत्साहित किए जाने और सरकारी स्कूलों को 'सीखने और करियर विकास के प्रमुख केंद्र बनाने के उपायों की कार्ययोजना को भी प्रभावी रूप से लागू करने पर जाेर दिया गया है।
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