जम्मू-कश्मीर: पुलवामा में अब आतंक नही फलफूल रहा है खेलकूद ,युवा बढ़ चढ़कर ले रहे हिस्सा
पुलवामा जो कभी आतंकवाद का गढ़ था अब खेलों में युवाओं का भविष्य संवर रहा है। सेना द्वारा आयोजित क्रिकेट टूर्नामेंट में स्थानीय युवाओं की भारी भागीदारी दिख रही है। पहली बार सेना और नागरिक एक साथ क्रिकेट खेल रहे हैं जिससे सकारात्मक बदलाव आ रहा है। स्थानीय लोगों ने सेना की इस पहल की सराहना की है जिससे सामुदायिक संबंध मजबूत हो रहे हैं।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में, जिसे कभी आतंकवाद का गढ़ माना अब युवा खेलों मे नाम चमका रहे हैं सेना द्वारा समर्थित क्रिकेट टूर्नामेंटों में भारी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हो रहे हैं और भारी भीड़ उमड़ रही हैl
पहली बार, पुलवामा में सेना द्वारा आयोजित क्रिकेट लीग में सैनिक और नागरिक भी एक ही मैदान पर कंधे से कंधा मिलाकर खेल रहे हैं।
"यह पुलवामा के लिए कुछ नया है," जिले में तैनात सेना की 44 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) द्वारा आयोजित एक टूर्नामेंट का प्रबंधन करने वाले एक स्थानीय खेल प्रमोटर मोहम्मद अयूब डार ने कहा।
यह टूर्नामेंट जिसे स्थानीय प्रायोजकों का भी समर्थन प्राप्त है, पिछले महीने 44 आरआर की शादीमार्ग इकाई द्वारा फॉर्मिडेबल क्रिकेट लीग के बैनर तले शुरू किया गया था।
600 से ज्यादा मिले आवेदन
डार ने कहा कि इसे उम्मीद से बढ़कर प्रतिक्रिया मिली है। डार ने कहा, शादीमार्ग और आसपास के गांव पारंपरिक रूप से सेना की ऐसी पहलों से दूर रहे हैं, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में यहां कई गोलीबारी हुई हैं। लेकिन अब, चीजें बदल रही हैं। हमें 600 से ज़्यादा आवेदन मिले, और अंततः प्रतिस्पर्धा के लिए 128 टीमों का चयन किया गया।
फाइनल मैच रविवार, 10 अगस्त को होने की उम्मीद है। इन मैचों में भारी भीड़ उमड़ रही है, चाहे वह प्रत्यक्ष हो या ऑनलाइन। डार ने कहा, शुरुआत में, केवल आस-पास के क्षेत्र पर ही ध्यान केंद्रित किया गया था, लेकिन भारी प्रतिक्रिया के कारण, इसका विस्तार किया गया।
दर्शकों में दिख रहा उत्साह
अब पूरे जिले की टीमें इसमें भाग ले रही हैं। स्थानीय लोगों में सेना की अपनी टीम की भागीदारी ने और भी ज़्यादा दिलचस्पी जगाई। डार ने कहा, उन्होंने तीन मैच खेले और तीसरे राउंड में हार गए, जिससे दर्शकों में और भी उत्साह और उत्साह पैदा हो गया।
इधर स्थानीय लोगों ने मज़बूत सामुदायिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए 44 आरआर के वर्तमान नेतृत्व की प्रशंसा की है। पुलवामा के एक निवासी गौहर ने कहा, वर्तमान कमांडिंग ऑफिसर के नेतृत्व वाली यह टीम वास्तव में लोगों से जुड़ रही है, और ऐसा लगता है कि इससे बदलाव आ रहा है।
44 आरआर की पहल की सफलता से प्रेरित होकर, अन्य बटालियनों ने भी इसका अनुसरण किया है। सेना की 55 आरआर ने हाल ही में ज़िले में इसी तरह के एक टूर्नामेंट का उद्घाटन किया, जिसमें 64 टीमें प्रतिस्पर्धा कर रही थीं।
'हमें कुल 783 आवेदन मिले'
टूर्नामेंट के प्रबंधन में मदद कर रहे क्रिकेट प्रेमी शाहिद ने कहा, यह पहली बार है जब यहां इतना व्यापक आयोजन हो रहा है। यह एक ग्राम-स्तरीय आयोजन है, जिसमें 64 टीमें 100 से ज़्यादा गांवों का प्रतिनिधित्व करती हैं। हमें कुल 783 आवेदन प्राप्त हुए।
सेना के अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की पहल सशस्त्र बलों और नागरिकों के बीच की खाई को पाटने में मदद कर रही है। दक्षिण कश्मीर में तैनात एक अधिकारी ने कहा, हम हमेशा आवाम (जनता) के साथ खड़े रहे हैं, और हमारा उद्देश्य ऐसे मंचों के माध्यम से स्थानीय लोगों—खासकर युवाओं—से जुड़ना है।
इस तरह के आयोजन न केवल खेलों को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि नशीली दवाओं के दुरुपयोग और सामाजिक अलगाव जैसी समस्याओं को दूर करने में भी मदद कर रहे हैं।
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