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    जम्मू-कश्मीर उपचुनाव: बडगाम-नगरोटा में आज मतदान, 1977 के बाद पहली बार नेकां को मिल रही कड़ी टक्कर

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 05:00 AM (IST)

    बडगाम और नगरोटा विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने जा रहे हैं। बडगाम में नेशनल कान्फ्रेंस को कड़ी चुनौती मिल रही है, जबकि नगरोटा में भाजपा की साख दांव पर है। बडगाम सीट उमर अब्दुल्ला के इस्तीफे से और नगरोटा सीट देवेंद्र सिंह राणा के निधन से खाली हुई है। मतदान के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।

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    जम्मू-कश्मीर उपचुनाव: बडगाम-नगरोटा में आज मतदान। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। बडगाम और नगरोटा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं एक वर्ष बाद मंगलवार को पुन: अपना विधायक चुनने का अवसर मिल रहा है। हालांकि दोनों ही सीटों का मतदान सत्ताधाारी नेशनल कान्फ्रेंस के बीते एक वर्ष के कार्यकाल का आकलन करेगा, लेकिन बडगाम में बीते 1977 के बाद पहली बार नेशनल कान्फ्रेंस को कड़ी चुनौति मिल रही है।

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    नगरोटा में नेशनल कान्फ्रेंस से ज्यादा भाजपा की साख दांव पर नजर आती है जहां भाजपा ने दिवंगत नेता देवेंद्र सिंह राणा की पुत्री देवयानी राणा को अपना उम्मीदवार बनाया है। इस बीच, प्रदेश सरकार ने मंगलवार कोबडगाम व नगरोटा में पेड हॉलीडे घोषित कर दिया है।

    दोनों निर्वाचन क्षेत्रों में सभी मतदान केंद्रों को देर रात गए पूरी तरह सील कर दिया गया था और मतदान कर्मी अपने साजो सामान समेत निर्धारित स्थानों पर पहुंच गए थे।

    उल्लेखनीय है कि बडगाम सीट मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के इस्तीफे से रिक्त हुई है। उन्होंने बडगाम और गांदरबल दो सटों से चुनाव लड़ा और जीता था। बाद में उन्होंने बडगाम सीट से इस्तीफा दे दिया था। नगरोटा सीट भाजपा नेता देवेंद्र सिंह राणा के निधन से गत अक्टूबर में रिक्त हुई थी।

    हालांकि बडगाम को नेशनल कान्फ्रेंस का गढ़ माना जाता है। वर्ष 1972 में कांग्रेस के अली मोहम्मद मीर इस सीट से जीते थे और उसके बाद 1977 से लेकर गत अक्टूबर 2024 तक हुए प्रत्येक विधानसभा चुनाव में नेशनल कान्फ्रेंस ने ही यहां जीत दर्ज की है।

    वर्ष 1977,1983,1987 और 1996 में नेशनल कान्फ्रेंस के सैयद गुलाम शाह यहां से चुनाव जीतते रहे और उसके बाद वर्ष 2002,2008 और 2014 में आगा सैयद रुहुल्ला ने तीन बार और वर्ष 2024 में उमर अब्दुलला ने इसे नेशनल कान्फ्रेंस के लिए जीता।

    बडगाम में चुनाव लड़ रहे 17 उम्मीदवारों में तीन प्रमुख उम्मीदवार नेशनल कान्फ्रेंस के आगा सैयद महमूद अल मौसवी, पीडीपी के आगा सैयद मुंतजिर और भाजपा के आगा सैयद मोहसिन, शिया समुदाय से ही हैं।

    नेशनल कान्फ्रेंस के बागी सांसद आगा सैयद रुहुल्ला के चुनाव प्रक्रिया से दूर रहने और पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार और पार्टी नेतृत्व को निशाना बनाए जाने के बाद नेशनल कान्फ्रेंस केा इस पूरे क्षेत्र में शिया मतदाताओं के एक बड़े वर्ग की नाराजगी का डर सता रहा है। इसके अलावा उमर अब्दुल्ला का बडगाम सीट छोड़ना भी कई मतदाताओं को रास नहीं आया है।

    दूसरी तरफ आगा सैयद मुंतजिर जिन्हें 2024 के विधानसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला ने 18,000 से ज़्यादा वोटों के बड़े अंतर से हराया था, इस बार पहले की तुलना में अपने चुनाव प्रचार में काफी आक्रामक नजर आए हैं।

    इसके अलावा वह भी शिया समुदाय के एक बड़े वर्ग के धर्मगुरु भी हैं और उनके पिता का अलगाववादी विचारधारा के समर्थकों में भी अच्छा खासा प्रभाव है। राजनीतिक मामलों के जानकार बिलाल बशीर ने कहा कि बडगाम में उमर अब्दुल्ला के कामकाज और प्रभाव का आकलन होगा,क्योंकि यह चुनाव एक तरह से आगा सैयद रुहुल्ला बनाम उमर भी हो चुका है।

    उन्होंने कहा कि बडगाम के सुन्नी बहुल क्षेत्रों में मंगलवार को होने वाला मतदान भी चुनाव परिणाम प्रभावित करता है। बीते तीन दशकों के दौरान सुन्नी बहुल इलाकों में कम मतदान हुआ है। बडगाम के जिला चुनावाधिकारी डा बिलाल मोहिउदृदीन ने कहा कि मतदान के लिए सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।

    पूरे निर्वाचन क्षेत्र में 1.25 लाख से ज्यादा मतदाता हैं और उनके लिए 173 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मतदान एक सुरक्षित,शांत और विश्वासपूर्ण वातावरण में संपन्न हो इसकी पूरी व्यवस्था की गई है।

    उधर, जिला जम्मू के नगरोटा विधानसभा सीट के उपचुनाव में 97,893 मतदाता 10 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे,लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा की देवयानी राणा, नेशनल कान्फ्रेंस के शमीम बेगम, पैंथर्स पार्टी के हर्ष देव सिंह और भाजपा के बागी व पूर्व सरपंच अनिल शर्मा के बीच होगा।

    नगरोटा में 150 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। नगरोटा में भाजपा के लिए यहां सिर्फ सीट को बरकरार रखने और देवयानी राणा के लिए पिता राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाने की चुनौती है वहीं सत्ताधारी नेशनल कान्फ्रेंस के लिए नगरोटा पर एक बार फिर अपना झंडा फहराने की चुनौती है।

    वर्ष 1996 और वर्ष 2014 में नेशनल कान्फ्रेंस ने यह सीट जीती है जबकि वर्ष 2002, वर्ष 2008, वर्ष 2019 में भाजपा ने यहां जीत दर्ज की। इस क्षेत्र में नेशनल कान्फ्रेंस का परम्परागत वोटर भी अच्छी खासी संख्या में है। इसके अलावा कांग्रेस का भी यहां प्रभाव रहा है।