चीन-पाकिस्तान ने की हिमाकत तो खैर नहीं, C-17 ग्लोब मास्टर की सफल लैंडिंग; चार गुणा बढ़ी सैन्य ताकत
भारतीय वायुसेना ने लद्दाख के कारगिल जिले में अपने सबसे बड़े सी-17 ग्लोब मास्टर विमान की सफल लैंडिंग कराई है। यह विमान सामान्य से चार गुणा अधिक भार लेकर उड़ान भर सकता है। इससे वायुसेना लेह के बाद कारगिल के अग्रिम इलाकों में सैनिकों और भारी भरकम साजो सामान को आसानी से पहुंचा सकती है। चीन से हिंसक संघर्ष के बाद सेना की ताकत बढ़ाने में भूमिका निभा चुका है।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। पाकिस्तान और चीन की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए लद्दाख के कारगिल जिले में गुरुवार को पहली बार वायुसेना ने अपने सबसे बड़े सी 17 ग्लोब मास्टर विमान की सफल लैंडिंग कराई है। वायुसेना का यह विमान सामान्य से चार गुणा अधिक भार लेकर मंजिल के लिए उड़ान भर सकता है।
ऐसे में अब वायुसेना लेह के बाद कारगिल के अग्रिम इलाकों में सैनिकों और सेना के भारी भरकम साजो सामान को आसानी से पहुंचा सकती है।
बता दें कि वायुसेना के सी 17 ग्लोब मास्टर विमान ने पूर्वी लद्दाख के गलवन में चीन से हिंसक संघर्ष के बाद क्षेत्र में भारतीय सेना की ताकत बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई थी। लद्दाख में चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों का सामना करने के लिए वायुसेना के मालवाहक विमानों की अहम भूमिका है।
ग्लोब मास्टर से पहले कारगिल एयर फील्ड से वायुसेना के एएन-32 व सी -130 जे विमान उड़ान भरते थे। एएन-32 एक बार में 3-4 टन व सी -130 जे सुपर हक्र्यूलिस एक बार में छह से सात टन भार के साथ उड़ान भर सकते हैं।
युद्ध चुनौतियों का और भी बेहतर तरीके से सामना
ग्लोब मास्टर के मैदान में आने के बाद पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा की सुरक्षा के लिए ऑपरेशनल तैयारियों को तेजी देना संभव होगा। लद्दाख में चीन, पाकिस्तान के सामने डटी सेना, वायुसेना की ताकत को बढ़ाने के लिए ग्राउंड दौलत बेग ओल्डी, फुक्चे में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं।
न्योमा के एडवांस लैंडिग ग्राउंड को फाइटर विमानों के ऑपरेशन के लिए अपग्रेड किया गया। इससे भविष्य की युद्ध चुनौतियों का और भी बेहतर तरीके से सामना करना संभव होगा।
सेना की जरूरतों को विमानों से पूरा किया जाता
वायुसेना के विमान लद्दाख की लाइफ लाइन हैं। सर्दियों में बर्फबारी के दौरान श्रीनगर से कारगिल को जोड़ने वाली नेशनल हाईवे कई बार बंद हो जाता है। ऐसे समय में सेना की जरूरतों को विमानों से पूरा किया जाता है। वायुसेना के विमान एयर स्ट्रिप तक सामान पहुंचाते हैं।
पूर्वी लद्दाख के गलवन में चीन से हिसंक संघर्ष के बाद सी -17 ग्लोब मास्टर का सैन्य ताकत बढ़ाने में इस्तेमाल हुआ था। वायुसेना ने अपने हैवी ट्रांसपोर्ट विमानों से 330 आर्म्ड पर्सनल कैरियर व्हीकल, 90 टैंक, आर्टेलरी गन व 68 हजार से अधिक सैनिकों को कम से कम समय में पूर्वी लद्दाख तक पहुंचाया था।
कारगिल युद्ध के बाद वायुसेना के इस बड़े अभियान में सी-17 ग्लोबमास्टर, आइएल -76 , सी -130 जे सुपर हर्कूयलिस , एएन-32 विमान के साथ साथ हेलीकाप्टर भी इस्तेमाल हुए थे। उच्चतम इलाके में चले अभियान के दौरान 9000 टन से ज्यादा भार पूर्वी लद्दाख पहुंचाया गया था।
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