कश्मीर में खून-खराबे की साजिश में थे आतंकी, पाकिस्तान में मिल रही थी ट्रेनिंग; भारतीय सेना ने तबाह कर डाले कैंप
भारतीय सेना ने Operation Sindoor के तहत पाकिस्तान के शक्करगढ़ में स्थित जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप को तबाह कर दिया है। इसी कैंप में पठानकोट हमले की साजिश रची गई थी और जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की योजना बनाई जा रही थी। यहां आतंकियों को अत्याधुनिक उपकरण और एन्क्रिप्टेड संचार सुविधाएं मिल रही थीं।

नवीन नवाज, श्रीनगर। हमास के कमांडर जम्मू-कश्मीर में खून-खराबा करने के लिए जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों को पाकिस्तान के शक्करगढ़ स्थित जिस कैंप में ट्रेनिंग दे रहे थे, उसे ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने मटिया मेट कर दिया है।
इसी कैंप में बैठकर आतंकियों ने पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर जैश के आत्मघाती हमले का षड्यंत्र रचा था। कठुआ के हीरानगर सेक्टर से लेकर जम्मू के आरएसपुरा सेक्टर तक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सुरंगें खोदकर भारतीय क्षेत्र में आतंकियों की घुसपैठ करने और जम्मू संभाग में ड्रोन के जरिए हथियार व नशीले पदार्थों की तस्करी का धंधा भी यही से चल रहा था
मुठभेड़ में शामिल आतंकी इसी कैंप से आए
इसके अलावा भी कई बड़ी मुठभेड़ में शामिल आतंकी इसी कैंप से आए थे। सांबा सेक्टर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार छह किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तानी पंजाब के शक्करगढ़ के तेहरा कलां सरजल में स्थित यह कैंप आतंकियों का एक बड़ा नियंत्रण कक्ष रहा है।
इसमें आतंकियों के लिए अत्याधुनिक रेडियो रिसीवर व अन्य संचार उपकरण पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ और पाकिस्तानी सेना ने ही उपलब्ध कराए गए थे। इसी जगह से जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को एन्क्रिप्टेड मोड के जरिए संदेश भेजे जा रहे थे।
एन्क्रिप्टेड मोड से डेटा को एक ऐसी फार्म में बदल दिया जाता है जो आसानी से नहीं पढ़ा जा सकता है। इस लांचिंग पैड पर जैश के लगभग दो दर्जन आंकी मौजूद रहते थे।
खालिस्तान फोर्स को भी यहीं से मिली ट्रेनिंग
खालिस्तान फोर्स के आतंकियों को भी यहीं दी गई थी ट्रेनिंग सूत्रों के अनुसार, जैश कमांडर मोहम्मद अदनान अली उर्फ डाक्टर और काशिफ जान अक्सर यहां आते रहते थे।
जैश सरगना अजहर मसूद का भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर यही से जैश की भारत में होने वाली आतंकी गतिविधियों की निगरानी करता था। खालिस्तान टाइगर फोर्स के आतंकियों को अदनान ने पैरा ग्लाइडर का प्रशिक्षण दिलाया था।
हमास जिस तरह से इजरायल में हमले करता है, वैसी ही रणनीति इस कैंप में जैश व हिजब द्वारा भारत में घुसपैठ व हमलों के लिए अपनाई जाती थी।
2016 में पठानकोट स्टेशन पर थी हमले की षड्यंत्र
नगरोटा मुठभेड़ में मारे गए आतंकी इसी कैंप से आए थे सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2016 में पठानकोट स्थित एयरफोर्स स्टेशन पर हुए हमले का षड्यंत्र इसी जगह पर जैश कमांडर काशिफ जान उर्फ अली जान ने रचा था।
वह हमले में लिप्त आतंकियों से संपर्क में था। उस समय उसके साथ शाहिद लतीफ भी था, जो दो वर्ष पहले मारा गया है।
शाहिद लतीफ ने ही पठानकोट हमले मे लिप्त जैश के आंकियों को लांच किया था। जनवरी 2020 में जम्मू के नगरोटा में हमले के बाद मुठभेड़ में मारे गए जैश के आतंकी भी इसी कैंप से आए थे।
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