Ladakh News: भूस्खलन में फंसे पर्यटकों के लिए देवदूत बना सैनिक, जान जोखिम में डाल बचाई जान
पूर्वी लद्दाख में नुबरा-पैंगांग झील मार्ग पर भूस्खलन में फंसे दो पर्यटकों को सेना के जवान ने बचाया। सड़क का 500 मीटर हिस्सा मलबे से भर गया था और पर्यटक पानी के तेज बहाव में फंस गए थे। 111 रोड़ कंस्ट्रक्शन कंपनी के सैपर कैलाश सिंह ने अपनी जान जोखिम में डालकर दोनों पर्यटकों को सुरक्षित निकाला जिससे पर्यटकों की जान बच गई।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। पूर्वी लद्दाख में नुबरा को पैंगांग झील से जोड़ने वाली खलसर-श्योक सड़क पर भूस्खलन में पानी की तेज धार में फंसे गए वाहन में सवार दो पर्यटकों को लगा कि अब उनकी जान जाना निश्चित है।
पानी का तेज बहाव उन्हें बहाकर दूर कहीं ले जाएगा। दिमाग में इन विचारों के साथ भूस्खलन में फंसे ये पर्यटक लगातार मदद के लिए गुहार भी लगा रहे थे। तभी वहां से गुजर रहा एक भारतीय सेना का जवान देवदूत बनकर वहां प्रकट हो गया और अपनी जान की बाजी लगाकर दोनों पर्यटकों को बचा लिया।
यह घटना रविवार शाम चार बजे के करीब की है। खलसर-अधम- श्योक सड़क पर भारी भूस्खलन के कारण सड़क का लगभग 500 मीटर हिस्सा पानी के साथ आए कीचड़, पत्थर और मलबे से भर गया। इस दौरान नाले में पानी के भारी प्रवाह के कारण वहां से वाहन में निकल रहे दाे पर्यटक बहाव के बीच फंस गए। उपरी इलाकों से और भूस्खलन के खतरे से स्थिति जानलेवा बन गई थी।
क्षेत्र में निर्माण कार्य में जुटी 111 रोड़ कंस्ट्रक्शन कंपनी के सैपर कैलाश सिंह उंचाई पर अपने डोजर से मिट्टी उठाने का काम कर रहे थे। उन्होंने वाहन में तेज बहाव व मलबे में फंसे पर्यटकों को बचाने की कार्रवाई शुरू कर दी।
वाहन में फंसे पर्यटक घबरा कर मदद करने के लिए चीख रहे थे। ऐसे हालात में सैपर कैलाश ने अपनी सुरक्षा को खतरे में डालकर पानी के तेज बहाव में फंसे दोनों पर्यटकों को एक-एक कर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।
इस दौरान पर्यटकों को बचाते हुए उन्हें चोटें भी आई। पानी के बहाव से बचाए गए पर्यटकों की पहचान नवरितु सिंह व सबल गुप्ता के रूप में हुई है। पर्यटकों को भू स्खलन से बाहर निकालने के बाद सेना ने उनके उपचार के लिए उन्हें लेह के परतापुर के निकट अपने फील्ड अस्पताल में भेजा। सेना के प्रति आभार जताने वाले इन दोनों पर्यटकों की हालात स्थिर है।
भूस्खलन में वाहन के फंसते ही सैपर कैलाश अगर त्वरित कार्रवाई न करते तो लद्दाख धूमने के लिए आए इन दोनों पर्यटकों की जान जा सकती थी। सेना ने अपने जवान की बहादुरी की सराहना की है। वहीं मौत के मुंह से बचकर आए पर्यटकों ने भी सेना के जवान का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अगर समय पर उनकी मदद नहीं मिलती तो उनकी जान को खतरा हो सकता था।
पर्यटकों ने कहा कि जिस तरह से वे फंसे हुए थे, उनका यह लग रहा था कि उनका मरना तय है। भगवान की कृपा ही रही कि पास ही काम कर रहे सेना के जवान की नजर उन पर पड़ गई और वह मदद के लिए आगे आ गया।
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