'डेढ़ लाख देकर आया हूं, बोलने दीजिए; मुझसे ज्यादा पहलगाम का...', संसद में इंजीनियर राशिद ने ऐसा क्यों कहा?
श्रीनगर से निर्दलीय सांसद इंजीनियर रशीद जो संसद के मानसून सत्र में भाग लेने के लिए तिहाड़ जेल से आए थे ने पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कश्मीरी लोगों के दर्द को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वे 1989 से लाशें ढो रहे हैं और उन्होंने हजारों लोगों को खो दिया है। उन्होंने स्पीकर से बोलने देने की विनती की।

डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। संसद में मानसून सत्र चल रहा है। इस दौरान ऑपरेशन सिंदूर पर बहस चल रही है। जम्मू-कश्मीर से निर्दलीय सांसद इंजीनियर रशीद ने भी बहस में हिस्सा लिया।
सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए वे तिहाड़ जेल से आए थे। उन्होंने स्पीकर से विनती की कि प्लीज मुझे बोलने दीजिए, डेढ़ लाख रुपये खर्च करके आया हूं। अब यहां शायद आ पाऊं, लेकिन आज मुझे बोलने दीजिए।
जब उन्होंने बोलना शुरू किया तो उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत पहलगाम हमले से की। उन्होंने कहा कि पहलगाम में जो भी हुआ, वह इंसानियत का कत्ल था। उन्होंने कहा कि हमसे अधिक पहलगाम में मारे गए लोगों के परिवारों का दर्द कौन समझ सकता है।
हमलोग तो 1989 से लाशों को ढोते-ढोते थक गए हैं। हमने हजारों लोगों को खो दिया है। हमने यहां सिर्फ कब्रिस्तान ही कब्रिस्तान देखे हैं।
इसके पास है कश्मीर का हल?
आपने भारत को तीन हिस्से कर दिए। कश्मीरियों को क्यों मार रहे हैं? हमारा क्या कसूर है? हमारे खून का जवाब कौन देगा? यहां सब ट्रंप-ट्रंप कर रहे हैं। मैं कह रहा हूं कश्मीर मसले का हल ट्रंप के पास नहीं है। कश्मीर का हल, वहां के लोगों के पास है।
'मेरे पास अधिक पैसे नहीं'
बता दें कि सांसद इंजीनियर राशिद को जेल से संसद लाने में बहुत ज्यादा खर्चा होता है। काफी टाइट सिक्योरिटी होती है। डेढ़ लाख से भी ज्यादा खर्चा आता है। कोर्ट में सुनवाई के दौरान तय किया गया कि ये खर्चा खुद सांसद को उठाना पड़ेगा।
इसी पर उन्होंने कहा कि मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं यहां फिर से आऊं। इसलिए मुझे बोलने दीजिए, मुझसे ज्यादा कश्मीरियों का दर्द कोई और नहीं समझ सकता।
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