दिल्ली हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, टेरर फंडिंग केस में हिजबुल मुजाहिदीन चीफ सलाहुद्दीन के दो बेटों की याचिका खारिज
दिल्ली हाई कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में हिजबुल मुजाहिदीन के चीफ सलाहुद्दीन के दो बेटों की याचिका खारिज कर दी है। अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देख ...और पढ़ें

अदालत ने अपने फैसले में सुरक्षा एजेंसियों को जांच में पूरी सहायता करने का भी निर्देश दिया।
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। दिल्ली हाई कोर्ट ने हिजबुल मुजाहिदीन चीफ सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटों की याचिका खारिज कर दी है। इन याचिकाओं में टेरर फंडिंग केस में उनके खिलाफ आरोप तय करने को चुनौती दी गई थी। जस्टिस विवेक चौधरी और मनोज जैन की बेंच ने अपीलों को इस आधार पर खारिज कर दिया कि वे स्थायी नहीं हैं।
आरोपियों ने उनके खिलाफ आरोप तय करने के 2021 के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। हालांकि विस्तृत फैसला आने की प्रतीक्षा है।
यह मामला पाकिस्तान के आतंकवादियों द्वारा जम्मू-कश्मीर में हवाला चैनलों के जरिए फंड ट्रांसफर करने से जुड़ा है। आरोप है कि यह फंड जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने और फंड करने के लिए रची गई एक आपराधिक साजिश है।
सलाहुद्दीन के बेटे शाहिद यूसुफ को अक्टूबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था, जबकि उसके दूसरे बेटे सैयद अहमद शकील को NIA ने 30 अगस्त, 2018 को उसके श्रीनगर वाले घर से 2011 में दर्ज टेरर फंडिंग केस के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। NIA ने कहा था कि यूसुफ को विदेश से हिजबुल मुजाहिदीन से फंड लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और 2018 में उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी।
शकील ने कथित तौर पर फरार आरोपी ऐजाज अहमद भट से वेस्टर्न यूनियन के जरिए पैसे लिए थे। उसका नाम सऊदी अरब के कैडर के जरिए आतंकवादी संगठन से फंड जुटाने, लेने और इकट्ठा करने में भी सामने आया था। सलाहुद्दीन, जिसे अमेरिका ने ग्लोबल आतंकवादी घोषित किया है, खुद को हिजबुल मुजाहिदीन का कमांडर बताता है।

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