Kashmir सेब की गुणवत्ता को बड़ा खतरा, जानें मौसम ने क्यों उड़ा रखी है उत्पादकों की नींद
कश्मीर घाटी में असामान्य गर्मी और कम बारिश से सेब उत्पादक चिंतित हैं। शोपियां के एक किसान ने बताया कि गर्मी से फल पर सनबर्न हो सकता है और विकास बाधित हो सकता है जिससे बाज़ार मूल्य कम हो सकता है। कश्मीर में बारिश में भारी कमी आई है जिससे सिंचाई मुश्किल हो गई है।
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। कश्मीर घाटी में मौसम के मौजूदा मिजाज ने फल उत्पादकों, विशेषकर सेब उत्पादकों की नींदें उड़ा दी हैं। फल उत्पादक बेल्ट में तापमान में असामान्य वृद्धि ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।
उन्हें डर है कि लंबे समय तक सूखा रहने से फलों की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। और आने वाले दिनों में इससे उन्हें काफी वित्तीय नुकसान भी हो सकता है।
शोपियां के एक सेब उत्पादक तारिक अहमद मीर ने कहा, लगातार गर्मी से फल पर सनबर्न हो सकता है और इसका उचित विकास बाधित हो सकता है। जिससे संभावित रूप से आकार छोटा, गुणवत्ता खराब हो सकती है। जिससे बाजार मूल्य भी कम हो सकता है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक सूखा रहने से फल की शेल्फ लाइफ भी कम हो सकती है, जिससे रिटर्न पर असर पड़ेगा।
क्षेत्र में भीषण गर्मी जारी है, साथ ही बारिश में भी उल्लेखनीय कमी आई है। 1 जून से 25 जून तक के मौसम संबंधी आंकड़ों के अनुसार, कश्मीर में औसत से काफी कम वर्षा हुई। इस अवधि के दौरान श्रीनगर में 65 प्रतिशत वर्षा की कमी दर्ज की गई।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बांदीपोरा में 71 प्रतिशत, कुलगाम में 62 प्रतिशत, बारामुल्ला में 47 प्रतिशत, गंदेरबल में 54 प्रतिशत, शोपियां में 44 प्रतिशत, कुपवाड़ा में 36 प्रतिशत और पुलवामा में 13 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। कई बागवानों ने अपने खेतों में पानी के पंपों का इस्तेमाल करके सिंचाई शुरू कर दी है।
हालांकि, बारिश पर निर्भर क्षेत्रों में किसानों के लिए स्थिति अधिक कठिन बनी हुई है, जहां सिंचाई के बुनियादी ढांचे तक पहुंच सीमित या न के बराबर है। नहरों और अन्य सिंचाई स्रोतों में पानी का स्तर गिरने से उनकी परेशानी और बढ़ गई है, जिससे बागों को हाइड्रेट रखने के प्रयास और जटिल हो गए हैं।
मैंने अपने जीवन में कभी इतनी भीषण गर्मी नहीं देखी। यहां तक कि ऊंचे इलाकों में भी सेबों पर दबाव दिख रहा है,” कुलगाम जिले के दमहाल हंजीपोरा के एक सेब किसान मुहम्मद यूसुफ ने कहा।
शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कश्मीर (एसकेयूएएसटी-के) के प्रोफेसर तारिक रसूल ने कहा कि लंबे समय तक उच्च तापमान सेब के पेड़ों में पोषक तत्वों के अवशोषण को बाधित कर सकता है।
तत्काल राहत की कोई संभावना नहीं होने के कारण, किसान और विशेषज्ञ समान रूप से अधिकारियों से सहायता और दीर्घकालिक अनुकूलन उपायों के साथ आगे आने का आग्रह कर रहे हैं, क्योंकि चरम जलवायु परिवर्तन कश्मीर के प्रसिद्ध सेब उद्योग को नया रूप देने लगे हैं।
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