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    कश्मीर घाटी में गर्मी ने तोड़ा 47 साल का रिकार्ड, 33 डिग्री के साथ औसत सबसे गर्म रहा जून

    Updated: Fri, 04 Jul 2025 01:49 PM (IST)

    श्रीनगर में मौसम विभाग के निदेशक मुख्तार अहमद ने बताया कि इस जून में 1978 की भीषण गर्मी पड़ी हालांकि अधिकतम तापमान थोड़ा कम था। स्वतंत्र मौसम पूर्वानुमानकर्ता फैजान आरिफ के अनुसार जून 2025 श्रीनगर के लिए दूसरा सबसे गर्म महीना रहा जब से 1892 में तापमान अवलोकन शुरू हुआ। पिछले कुछ वर्षों में अधिकतम तापमान अधिक था। जून 2025 की खास बात यह है कि गर्मी बनी रही।

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    श्रीनगर में निरंतर बढ़ता तापमान पीने के पानी व सिंचाई नहरों के लिए खतरा बनता जा रहा है।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। खूबसूरत वादियों के साथ ठंडी हवाओं के लिए जानी जाने वाली कश्मीर घाटी में इस समय आग बरस रही है। पिछले पांच दशकों में यहां जून सबसे गर्म दर्ज किया गया। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि 50 प्रतिशत बारिश की कमी के कारण घाटी में तीव्र और निरंतर गर्मी की लहर चल रही है। पिछले महीने श्रीनगर में औसत अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो सामान्य से कम से कम तीन डिग्री अधिक है। जिससे यह 1978 के बाद सबसे गर्म जून बन गया। औसत न्यूनतम तापमान भी 18.2 डिग्री सेल्सियस पर बना रहा।

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    श्रीनगर में मौसम विभाग के निदेशक मुख्तार अहमद ने बताया कि इस जून में 1978 की भीषण गर्मी पड़ी हालांकि अधिकतम तापमान थोड़ा कम था। दस दिनों तक श्रीनगर में अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा। इस महीने का उच्चतम तापमान 20 जून और 24 जून को 36 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। उन्होंने बताया कि इसके अलावा गर्म दिनों में 19, 21, 23 और 30 जून शामिल हैं। जिनमें से प्रत्येक में तापमान औसतन 35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।

    स्वतंत्र मौसम पूर्वानुमानकर्ता फैजान आरिफ के अनुसार जून 2025 श्रीनगर के लिए दूसरा सबसे गर्म महीना रहा जब से 1892 में तापमान अवलोकन शुरू हुआ। श्रीनगर ने 1978 के बाद से सबसे गर्म जून देखा है और 1892 के बाद से दूसरा सबसे गर्म महीना। इससे पहले जून का औसत अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस और औसत न्यूनतम 18.2 डिग्री सेल्सियस रहा है। अगर कुल औसत तापमान की बात करें तो यह 24.6 डिग्री सेल्सियस रहा है। रिकॉर्ड पर 1978 में ही एकमात्र गर्म जून था जब औसत तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जो कि 32.9 डिग्री सेल्सियस के औसत अधिकतम और 17.1 डिग्री सेल्सियस के औसत न्यूनतम तापमान के कारण था।

    दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2008 में अभी भी जून के लिए सबसे अधिक औसत न्यूनतम तापमान 18.3 डिग्री सेल्सियस का रिकॉर्ड है, जो इस वर्ष के आंकड़े से थोड़ा अधिक है। ऐतिहासिक रिकॉर्ड बताते हैं कि जून 1978 में श्रीनगर में लगातार पांच दिन भीषण गर्मी रही: 26 जून को 37.5 डिग्री सेल्सियस, 27 जून को 37.6 डिग्री सेल्सियस, 28 जून को 37 डिग्री सेल्सियस, 29 जून को 37.8 डिग्री सेल्सियस (रिकॉर्ड पर सबसे गर्म) और 30 जून को 36.7 डिग्री सेल्सियस। 

    पिछले कुछ वर्षों में अधिकतम तापमान अधिक था। जून 2025 की खास बात यह है कि गर्मी बनी रही। बमुश्किल ही कोई ठंडक का दौर आया। भीषण गर्मी का मुख्य कारण लंबे समय तक सूखा और बारिश में कमी है। मौसम विभाग के अनुसार कश्मीर में 50 प्रतिशत कम बारिश हुई जबकि जम्मू संभाग में 24 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। वर्षा की कमी ने ठंड को रोका और गर्मी को बरकरार रखा।

    वहीं प्रसिद्ध भूविज्ञानी और पृथ्वी वैज्ञानिक प्रोफेसर शकील अहमद रोमशू का कहना है कि लंबे समय तक सूखा रहना तत्काल ट्रिगर था लेकिन इसका व्यापक कारण जलवायु परिवर्तन से प्रेरित वायुमंडलीय परिसंचरण पैटर्न में बदलाव है। पश्चिमी विक्षोभ और भारतीय मानसून से जम्मू-कश्मीर में वायुमंडलीय नमी कम हो गई है। पिछले दो महीनों में जो वर्षा हुई भी है तो वह अधिकांश स्थानीय संवहनी प्रणालियों से हुई है।

    दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के काजीगुंड में जून 2025 पचास वर्षों में सबसे गर्म रहा। यहां औसत अधिकतम तापमान 30.3 डिग्री सेल्सियस और औसत न्यूनतम 16.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया। जिसके परिणामस्वरूप यहां तापमान औसत 23.2 डिग्री सेल्सियस रहा जोकि 1973 के बाद से सबसे अधिक है।

    उन्होंने बताया कि 1973 में काजीगुंड ने 23.7 डिग्री सेल्सियस के समग्र औसत के साथ सबसे गर्म जून दर्ज किया। जिसमें 30.4 डिग्री सेल्सियस (औसत अधिकतम) और 16.9 डिग्री सेल्सियस (औसत न्यूनतम) के थोड़े अधिक मान शामिल थे। काजीगुंड में जून 1978 का औसत तापमान भी इस साल के 23.2 डिग्री सेल्सियस से मेल खाता है। काजीगुंड का सबसे गर्म औसत न्यूनतम तापमान 17.3 डिग्री सेल्सियस रहा जोकि 1971 में दर्ज किया गया था उस समय यहां कुल औसत तापमान 23.3 डिग्री सेल्सियस था।

    आपको बता दें कि लगातार गर्मी और बारिश की कमी के कारण कश्मीर के कई हिस्सों में पानी की कमी हो गई है। पीने के पानी की आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित है। कई सिंचाई नहरें सूख गई हैं, जिससे खासकर दक्षिण कश्मीर के किसान चल रहे कृषि सीजन के बीच परेशान हैं।