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    जम्मू-कश्मीर फास्ट-ट्रैक कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, मासूम लड़के के साथ यौन उत्पीड़न के दोषी को 12 साल की कड़ी कैद

    By Naveen Sharma Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Tue, 23 Dec 2025 11:28 AM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए, एक मासूम लड़के के साथ यौन उत्पीड़न के दोषी को 12 साल की कड़ी कैद की सजा सुनाई है। अ ...और पढ़ें

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    जज ने अपराधी को जुर्म के लिए 12 साल की कड़ी कैद की सज़ा सुनाई।

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। पाकसो मामलों की सुनवाई के लिए गठित श्रीनगर स्थित फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने साढ़े पांच वर्ष के एक मासूम लड़के के साथ यौन उत्पीड़न के दोषी 12 साल की कड़ी कैद की सज़ा सुनाई है। कोर्ट ने पीड़ित को सात लाख रूपये मुआवजा भी प्रदान करने का निर्देश दिया है।

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    उपलब्ध जानकारी के अनुसार, श्रीनगर में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पाकसो) अधिनियम से संबधित मामलों की सुनवाई के लिए गठित फास्ट ट्रैक कोर्ट की पीठासीन अधिकारी, उमी कुलसुम ने पुलिस स्टेशन हारवन में दर्ज एफआईअार नंबर 45/2018 से जुड़े मामले में दोषी को सजा सुनाते हुए कहा कि घटना के समय पीड़ित की उम्र लगभग साढ़े पांच साल थी।

    सुनवाई के दौरान पीड़ित ने कहा कि उसने अपने साथ हुए अत्याचार की जो जानकारी दी है और पुलिस की जांच, गवाहो के बयान और घटनास्थल से मिले सुबूतों के आधार पर आरोपित नजीर अहमद डोई, बेटा गामी डोई निवासी फकीर गुजरी, हारवन, को पाकसो अधिनियम की धारा 5(एम), 5(एन), धारा छह और और रणबीर पीनल कोड (आपीसी ) की धारा 377 के तहत गंभीर पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असाल्ट का दोषी पाया गया।

    जुर्म अगस्त 2018 का है

    दोषी को सज़ा सुनाते हुए जज ने कहा कि कोर्ट को सज़ा सुनाते समय मामले की पृष्ठभूमि, दोषी की पिछली ज़िंदगी, अपराध और अपराध को रोकने और सजा की प्रकृति व अन्य बिंदुओं को ध्यान में रखना होता है।जुर्म अगस्त 2018 का है और पाकसो में बाद में बढ़ाई गई सज़ाओं को पिछली तारीख से लागू नहीं किया जा सकता। दोषी कोई बड़ा अपराधी नहीं है।

    वह गरीब और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग से आने वाला एक दिहाड़ीदार श्रमिक है। वह अपने परिवार का अकेला कमाने वाला है। उसके चार नाबालिग बच्चे हैं, । उसकी पत्नी और बच्चे पूरी तरह से उस पर निर्भर हैं। हालांकि अभियोजन पक्ष ने उसके लिए कड़ी सजा की मांग की है और पीड़ित जो अब 12 वर्ष का है, के साथ जो अपराध हुआ है, उसका असर उस पर जिंदगी भर रहेगा।

    पाकसो अधिनियम बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने और बच्चों के साथ अपराध्श करने वालाें कोकड़ सजा देन के लिए बनाया गया था। जज ने कहा कि सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए दोषी को पाकसो अधिनियम की धारा 5(एम), 5(एन) और धारा छह 6 के तहत जुर्म के लिए 12 साल की कड़ी कैद की सज़ा सुनाई जाती है।

    सात लाख रुपये पीड़ित को देने का भी एलान

    उसे आरपीसी की धारा 377 के तहत अपराध के लिए 10 साल की साधारण कैद की भी सज़ा सुनाई जाती है। उसकी दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी। इसके साथ ही जांच और मामले की सुनवाई के दौरान दोषी ने जो समय हिरासत, कैद में बिताया है, उसे उसकी सजा से घटाया जाए। पीड़ित को बड़ी राहत देते हुए, कोर्ट ने पीड़ित को मुआवज़े के तौर पर सात लाख रुपये देने का भी एलान किया।

    आठ अगस्त, 2018 को, नाबालिग पीड़ित को आरोपित फुसलाकर अपने घर ले गया और वहां उसने उसका उसका यौन उत्पीड़न किया गया। छह साल से ज़्यादा चले ट्रायल के दौरान, कोर्ट ने पाया कि सरकारी वकील के गवाहों ने बताया कि कैसे दोषी ने लगभग पाँच साल के लड़के के साथ अननैचुरल अपराध किया।

    पीड़ित के पिता ने कोर्ट में बताया कि नज़ीर डोई उनके बेटे को फुसलाकर अपने घर ले गया, और उसके बाद उसकी पैंट खींची और उसके साथ कमरे में कुकर्म किया, जिससे बच्चे की गुदा से खून बहने लगा, और बच्चा रो रहा था।